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दस हजार दो, बीस हजार लो! भदोही जिले के सुरियावां, मोढ़ क्षेत्र में नोट दुगुना करने वाला गिरोह सक्रिय

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hamara purvanchal

बेरोजगारी के इस आलम में आज का युवा शॉर्टकट रास्ता अपनाकर धन अर्जित करने के चक्कर में जरायम की दुनियां में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यही कारण है कि युवा संगठित गिरोह बनाकर लोगों को धन दूना करने के लालच में फंसाकर लूट रहे हैं। यदि अचानक व्यक्ति को पता भी चल जाता है कि उसके साथ लूट हो रही है तो उसको हथियार दिखाकर चुप रहने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। ऐसा ही गिरोह इस समय सुरियावां और मोढ़ क्षेत्र में सक्रिय हुआ है। जो सीधे साधे लोगों को अपनी बातों के जाल में उलझाकर पहले लूट लेता है और लुटने वाला व्यक्ति यदि आवाज उठाता है तो उसे धमकी देकर चुप करा दिया जाता है।

बता दें कि यह गिरोह अपना निशाना हमेशा सीधे साधे युवा व्यापारियों को बनाता है, जो कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाह रखते हैं। लुटने के बाद न वह पुलिस के पास जाता है और न अपनी व्यथा परिवार में शेयर कर पाता है। इन लुटेरों के ऊपर सत्ताधारी कुछ छुटभैया नेताओं का हाथ भी है जिससे शिकायत होने पर आधा तिहाई रकम देकर समझौता करा दिया जाता है।

कैसे बनाते हैं लोगों को निशाना

सूत्रों की मानें तो इन अपराधि​यों का काम करने का तरीका भी अलग है। पहले यह अपराधी लोगों को छोटी रकम का लालच देते हैं। ‛दस हजार दो बीस हजार लो’ की तर्ज पर इनका खेल शुरू होता है और जब एक बार व्यापारी या ग्रामीण दस हजार देकर बीस हजार पा जाता है तो यह सौदा लाखों में होता है। अपराधी पहले से ही नोटो के बंडल बनाये रहते हैं जिसमे एक नोट ऊपर और एक नोट नीचे असली होता है बाकी सब सादा पेपर होता है जिसमें कोई केमिकल (फॉस्फोरस) लगा हुआ होता है। सौदा करने वाले अपराधी व्यापारी से पहले नोट दूना करने वाला रकम (नोट) ले लेते हैं फिर उसे केमिकल युक्त नोट दे देते हैं फिर वहीं शराब,कबाब का दौर चलता है।

इसी दौर के बीच अपराधी में से एक बन्दा असली नोट लेकर निकल जाता है और उसके बाद सिगरेट का दौर चलाने के लिए माचिस जलायी जाती है फिर क्या दो फिट दूर बैठे व्यापारी के दिये नोट में आग लग जाती है आग इतनी तेज होती है कि नोट बुझाते बुझाते राख हो जाती है । गिरोह के दो तीन लोग चिल्लाने लगते हैं कि पूरा नोट जला दिया साले ने, व्यापारी हक्का बक्का देखता रहता है यदि उसे पता भी चल जाए कि उसके साथ लूट हो गयी है तो अपराधी उसे मारना शुरू कर देते हैं और हथियार दिखाकर मुंह बंद करा दिया जाता है। यह सिर्फ रात के अंधेरे में तयशुदा जगह पर होता है।

नशीले पदार्थो के धंधे में भी शामिल हैं यह संगठित अपराधी

सूत्रों का कहना है कि सुरियावां और मोढ़ क्षेत्र के लगभग 25 से 30 लोग इस गोरखधंधे में शामिल हैं और इसमें कई हथियार बन्द युवा भी इस गिरोह में हैं। बता दें कि सुरियावां और मोढ़ का क्षेत्र जौनपुर जनपद की सीमा से लगता है। इस क्षेत्र के ऐसे अपराधियों का संबंध जौनपुर के अपराधियों से भी है। यहीं गिरोह नशीले पदार्थों का धंधा भी करता है। यह गोरखधंधा करने वाले लोग क्षेत्र के कुछ ऐसे चेहरों के संरक्षण में अपना धंधा चलाकर युवाओं को बर्बादी के रास्ते पर ढकेल रहे हैं। इस क्षेत्र के आम लोगों में यह चर्चा दबी जुबान से हमेशा होती रहती ​है किन्तु डरवश चुप रहते हैं। यदि जिला प्रशासन इस मामले की जांच गंभीरता से कराये तो कई अपराधी पुलिस के जाल में आ सकते हैं।

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