बात हमारे पूर्वांचल की, जिसने उठाने की ठानी है।
हरि के रूप “हरिश सिंह” का ना ही कोई शानी है।
उड़ान ए हौसले की, परवाज़ कभी ना कम होगा।
साथ निभाते “अरुण” लाल हैं, “पवन” वेग ना कम होगा।
“प्रवीण” लेखनी जो आपकी है, दिन प्रतिदिन वो तीव्र हुआ।
“विवेक” आप का ऐसा है, कोई भी निर्णय शीघ्र हुआ।
सत नमन आप की सोच को है, जो जन जन का कल्याण करें।
नित नई ऊंचाई मिले आपको,
दिनेश का वंदन स्वीकार करें।