कल्याण। मुंबई से सटे उपनगरीय क्षेत्र के पूर्वी परिसर काटेमानिवली के अन्तर्गत आनेवाले कैलाशनगर, सहयाद्रीपार्क सहित खङेगोलवली के टाटा काँलोनी के सामने के पुल के पास एवं गैस कंपनी के मुख्य द्वार के सामने के सर्कल से आगे की तरफ झुंड के झुंड बनाकर बैठे हुए कुत्तो के खौफ से राहगीरो मे इस कदर डर समा गया है कि रात के 11 बजे के बाद एवं सुबह के 5 बजे के पहले तक राह चलते आम नागरिकों पर कब ये कुत्ते हमला कर घायल कर दे, इस कारण क्षेत्रो मे हर रात का मंजर खौफनाक बन जाता है।
बता दें कि कल्याण स्टेशन पर अधिकतर उत्तर भारत के तरफ जानेवाली रेलगाङियों के ठहराव होने के कारण जो अधिकतर गाङिया रात को ही जाती है वहां अपने परिचितो या रिश्तेदारो अथवा सगे संबंधियो को छोङने के लिए जो लोग जाते है ,लौटते वक्त आए दिन इस खौफनाक दृश्य से इनका पाला पङता है।
मुंबई के जवेरी बाजार के सोने चांदी के बंगाली कारिगर कुत्तो के खौफ से बिस्किट का पैकेट बैग मे या जेब मे रखे रहना नही भूलते ताकि कुत्तो के हमला करने के पहले ही इनके आगे बिसकिट के टुकङे फेक फेंक कर आगे बढते रहते है। यह जानकारी बंगाली कारिगर निमाई दादा तथा घोष दादा के तरफ से मिली जो अक्सर देर रात मुंबई मे काम कर कल्याण के अपने निवास पर आते है।
प्रशासन कुछ महीनों पहले श्वान नियंत्रक की गाङी लेकर आये थे एवं कुत्तो की नसबंदी कर वापस उसी स्थान पर छोङे जहा से वे कुत्तों को उठाकर ले गए थे बावजूद इसके भादो महीने मे बढती बांस के कोंपलो जैसे इन कुत्तो की वंशजो मे वृद्धि होती ही रहती है।देर रात कभी महावितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा संचालित विद्युत आपूर्ति कभी कभार ठप्प हो जाती है तो कुंभकर्ण की निद्रा मे सोया व्यक्ति भी इन कुत्तो के भौंकने की आवाजो से जग जाता है और सुबह के वक्त तथा दोपहर के समय कभी भी किसी के दरवाजे के सामने या पार्किंग मे खङी गाङियो पर लघुशंका आदि कर देना इन कुत्तो का डेली रूटीन जैसे बन गया है।
आलम यह है कि जबतक प्रशासन के तरफ से इन कुत्तो के जनसंख्या नियंत्रण पर कोई ठोस निर्णय लेकर उसका अगर पालन नही किया जाएगा तबतक कल्याण को स्मार्ट सिटी तो क्या साधारण शहर का भी तगमा नहीं मिल पाएगा।
नाकामी कल्याण डोम्बिवली म्युनिसिपल प्रशासन औऱ कर्मचारियों की जो अपनी जिम्मेदारियों से मुकर रहे है हमेशा की तरह !