रिपोर्ट : राधेश्याम यादव
ठाणे शहर तालाबों की नगर के कारण विख्यात है जिसमें छोटी बड़ी लगभग ३३ तालाब इस शहर को अपनी पहचान और सुंदरता प्रदान कर रहे हैं।
इन्हीं तालाबों में से एक ठाणे पश्चिम क्षेत्र में वागले इस्टेट के रायलादेवी प्रभाग समिती कार्यालय के बगल में तकरीबन ८ एकड़ मे फैला रायलादेवी तालाब जहाँ गणेशोत्सव के दरम्यान प्रतिमाओं का विसर्जन, उत्तर भारत के पर्व छठ तथा विभिन्न पूजन संस्कारों का आयोजन तालाब के परिसर में होता रहता है।
संयोगवश गुरूवार १३/१२/२०१८ को मेरे पैर सहसा रायलादेवी तालाब की ओर बढ़ गये जहाँ देखा कि इतना सुंदर दर्शनीय धरोहर प्रशासकीय उपेक्षा के कारण अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है। इसकी सुरक्षा दीवार प्रशासन की अनदेखी के कारण जर्जर हो चुकी है और पास के झोपड़ियों के बच्चे और वयस्क सीधे तालाब तक पहुंच जाते हैं। सुरक्षा दीवार, तालाब के तटबंध(जगत) टूट चुके हैं जिससे लोग कार और गाडियों को लेकर पहुँच जाते हैं और पार्टी करते हैं।
रायलादेवी तालाब में पानी के बीच में बने लेक व्यू पॉईंट टूटने लगा है, व्यू पॉईंट तक ले जाने वाले पुल टूट चुके हैं। तथा सुरक्षा के पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण आस-पास झोपड़ियों मे रहने वाले नागरिकों और बच्चों को आम तौर पर उनके जीवन को खतरा पैदा कर रहे हैं।
विशेष रूप से छोटे बच्चें इन तालाबों तक पहुंच जाते है और कोई सुरक्षा प्रणाली नहीं होने से यह क्षेत्र खतरे में पड़ गया है। तालाब में तैराकी होते रहने के कारण लोगों की दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति पैदा हो सकती है। एमआईडीसी के निवासियों ने कहा कि तालाब रखरखाव में कमी के कारण इसका अस्तित्व खोना शुरू हो गया है। परिसर में पूजन के निर्माल्य को जल में प्रवाहित करने के कारण गंदगी, बदबू बहुत रहता है। बरसात के मौसम में मछलियों को पकड़ने वाले युवा पुरुषों की एक बड़ी भीड़ रहता है। पानी में सीधे उतरकर बहुत से लोग मछली पकड़ते हैं और तैराकी करने वाले लोगों की संख्या बड़ी होती है। कचरे से भरे होने के कारण तैरना खतरे में पड़ रहा है और कई लोग अतीत में डूब गए हैं। हालांकि, क्षेत्र परिसर में चेतावनी के बोर्ड लगे है।
यदि वहां सरकार ध्यान दें तो इस तालाब का नवीनीकरण तथा सौंदर्यीकरण करा कर फिर से एक बहुत सुन्दर पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है।