कोमल मन और शांत सा चेहरा
कुछ सकुचाता, शर्माता चेहरा ।
भगवान को मानने वाली और भावुक भी थी ,
अच्छा सीखने वाली और खूब खेलने वाली भी थी ।
वह प्यारी गुड़िया सी , खुशियों से भरी ।
और सबको खुशी देखना चाहती थी ।।
उसकी हंसी निश्छल है, उसका मन पावन है ।
वह निस्वार्थ है वह पवित्र है ।।
उसके ढेर सारे सपने थे,
उसको ढेर सारे पढ़ने थे ।
फिर अचानक जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा ,
और उसको बड़े होने का विश्वास होने लगा ।
वह माता पिता के साथ कंधा मिलाने लगी ,
और छोटी बहनों और भाई को संभालने लगी ।
घर में जिम्मेदारी बंटाने लगी
काम में अब व्यस्त रहने लगी ,
जिम्मेदारियाँ इतनी बढ़ने लगीं ,
पढ़ाई उसकी छूटने लगी ।
लेकिन पढ़ाई उसने छोड़ दिया ,
और खुद को काम मे मोड़ लिया ।
वह जिद्दी थी लेकिन जिद ना कर पाई ,
जिम्मेदारियों को पूरा करने में छोड़ दी पढ़ाई ।
जीवन मे रंग भरने वाली ,
अब वह काम मे रहने लगी ।
वह अब काम पे भी जाने लगी ,
हर खर्च के ब्यौरे माँ को समझाने लगी ।
फूल सी कोमल और ओस सी नाजुक ,
गांव की पगडंडियों से नकलकर अब शहर के रास्ते जाने लगी ,
घर की बाधा को वह सुलझाने लगी, सयानी बन कर सब संभालने लगी ।
वह अपने माता पिता की सम्मान बनने लगी ,
और बहनों और भाइयों का अभिमान बनने लगी ।
वह लाचार और मजबूर नहीं है ,
वह जीवंत और मजबूत है ।
उसके सपने कभी टूटे नहीं ,
उसका स्वाभिमान कभी झुके नहीं ।
उसकी आँखों मे अभी भी ढेर सारे सपने हैं,
जिंदगी में उसे बहुत कुछ करने हैं ।
वह छोटी से बच्ची ।
– अभिषेक द्विवेदी
करियांव बाजार , भदोही
उत्तर प्रदेश
9005685590