पिछले दिनों एक कथित पत्रकार पुत्र द्वारा एक नाबालिग लड़की को भगाने/अपहरण करने के मामले में पुलिस क्या रूख अख्तियार कर रही है यह चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर भदोही की पुलिस एक कथित पत्रकार के सामने क्यों नतमस्तक हो गयी है। भदोही पुलिस अधीक्षक राजेश एस क्यों एक पिता का दर्द महसूस नहीं कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में ऊंज एसओ को सस्पेण्ड करने वाले पुलिस अधीक्षक गोपीगंज पुलिस थाने के इंचार्ज को क्यों छूट दिये हैं कि वह एक पिता की बात सुनने को भी राजी नहीं है। क्या भदोही के कथित पत्रकारिता का चोला पहने ऐसे अराजकतत्वों को ऐसे ही मनमानी की छूट देती रहेगी तो ये लोग भदोही की कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे। जबकि कानून के मामले में सभी बराबर होते हैं।
बता दें कि जंगीगंज निवासी कांग्रेस नेता जयशंकर दूबे उर्फ संजय दूबे जो अब पत्रकार का चोला धारण कर लिया है। उसका पुत्र आदेश दूबे एक लड़की को अपहरण करके भगा ले गया गया। नाबालिक लड़की के पिता ने मुकदमा दर्ज कराया है कि उसकी 16 साल की बेटी रात नौ बजे शौच के लिये गयी थी और आदेश दूबे ने उसका अपहरण कर लिया। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया है, लड़की तो वापस आ गयी किन्तु वह कैसे वापस आयी इसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं है। आरोपी लड़के की बरामदगी अभी तक पुलिस नहीं कर पायी है।
हमार पूर्वांचल से अपना दर्द बयां करते हुये नाबालिग लड़की के पिता ( जिसकी सारी रिकार्डिंग हमार पूर्वांचल के पास है। ) ने बताया कि जब उन्हें अपनी बेटी के गायब होने की सूचना मिली तो वे लड़के के बाप जयशंकर दूबे के घर गये लेकिन जयशंकर दूबे ने बात करने से इनकार कर दिया। वे आरोपी के घर के सामने काफी देर तक बैठे रहे। आरोपी का बाप इस मामले में बात करने को तैयार नहीं था।
नाबालिग बेटी के पिता ने अपना दर्द बयां करते हुये कहा कि आरोपी लड़का काफी दिनों से उनकी बेटी को परेशान करता था और अश्लील संदेश भी भेजता था। इस बात को लेकर आरोपी के पिता से शिकायत भी कर चुके थे, लेकिन उल्टा उन्हें धमकी ही मिलती थी। नाबालिक लड़की के पिता का यह भी कहना है कि आरोपी लड़के का बाप उनकी बीबी को फोन करके धमकी भी दे चुका है। इस मामले में एक और बात उभर कर आयी है कि इसी मसले को लेकर एक साल पहले भी विवाद हो चुका था और मामला पुलिस के पास भी पहुंचा था।
नाबालिग के पिता ने हमार पूर्वांचल को बताया कि गोपीगंज पुलिस ने लड़की को बरामद कर लिया लेकिन लड़के का पता क्यों नहीं लगा पा रही है ये समझ से परे है। क्या पुलिस लड़के को बचाने के प्रयास में लगी है? यदि ऐसा नहीं है तो समाज में सम्मान खो चुके एक बाप से अभी तक गोपीगंज की पुलिस बात करने के लिये तैयार क्यों नहीं है? इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस पीड़ित परिवार की बात नहीं सुन रही है।
वहीं नाबालिग लड़की के पिता ने बताया कि नारी निकेतन में भेजी गयी अपनी लड़की को देखता हूं तो उसके चेहरे और आंखों में सिर्फ खौफ नजर आता है। जिससे लगता है कि उससे जबरदस्ती आरोपी के पक्ष में बयान दिलाया जा रहा है। कहा जिस लड़के पर अपहरण करने का आरोप है उसी के बाप ने कैसे लड़की का बयान अपने पक्ष में रिकार्ड किया और इसकी छूट किसने दी इसकी भी जांच होनेी चाहिये।
एक पिता के दर्द को जिसने वह व्यक्त किया उसे पूरी तरह व्यक्त करना तो संभव नहीं है किन्तु भदोही पुलिस को यह सोचना होगा कि क्या पत्रकारिता के नाम पर किसी का भी शोषण किया जा सकता है। पिता की बात मानें तो उनकी लड़की के साथ जबरदस्ती कुछ गलत किया गया है और उसकी रिकार्डिंग की गयी है। जिसके बलबूते पर उसे बदनाम करने की धमकी देकर जबरदस्ती बयान बदलवाया गया है। लड़की के पिता ने जो बयान दिया है उसे पूरी तरह लिखना भी उचित नहीं है किन्तु इतना तो तय है कि इस मामले में सिर्फ लड़का ही नहीं बल्कि उसका पिता भी दोषी है क्योंकि जब घटना की रात को पीड़ित उनके घर पहुंचा तो वे बात करने के लिये तैयार नहीं थे।
मामला एक नाबालिग लड़की का है। यदि मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के साथ शारीरिक संबंध की बात आती है तो आरोपी के उपर पाक्सो एक्ट भी लगना चाहिये। हांलाकि पुलिस ने अभी तक आरोपी को खोज पाने में जहां नाकाम रही है वहीं पीड़ित परिवार का दर्द जानने की कोशिस नहीं है। फिलहाल यह मामला एक पत्रकार से जुड़ा होने के कारण जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।