भारतीय क्रिकेट की दुनिया में सचिन का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। सामने कैसा भी गेंदबाज रहा हो, लेकिन सचिन ने सभी गेंदबाजों को आसमान दिखाने का काम किया है। ऐसा ही एक सचिन भदोही की क्राइम ब्रान्च की टीम में है, जिसने क्रिकेट के मैदान में भले ही चौके छक्के न जड़ें हों किन्तु अपराध के बड़े बड़े महारथियों के छक्के छुड़ाने में माहिर रहा है। जी हां। सचिन नाम का यह पुलिस जवान सिर्फ अपने विभाग में ही नहीं बल्कि भदोही की आम जनता में भी एक जाना पहचाना नाम बन चुका है। जिले का कोई भी अपराधी कोई भी अपराध करके बच नहीं पाया है इस सचिन से। बस वह मामला क्राइम ब्रान्च के हाथ में आ जाये इसके बाद अपराधी देश के किसी भी कोने में छुपा हो वह सचिन झा और उसकी टीम से अपने को नहीं छुपा पाया।
सब पवित्र कर दूंगा के तर्ज पर काम करने वाला पुलिस का यह जवान अब तक अपनी 11 साल की नौकरी में 85वीं बार पुरस्कृत किया जा चुका है। इस बार 15 अगस्त को पुलिस महानिदेशक के हाथों पुरस्कृत होने वाले सचिन झा वह पहले सिपाही हुये जो जनपद के 25 साल होने पर पहली बार किसी सिपाही को पुरस्कृत पुलिस महानिदेशक के हाथों किया गया है।
बता दें कि पूर्वांचल के चंदौली जिले के पुरूषोत्तम पुर गांव के रहने वाले सचिन की पहली तैनाती ही भदोही में हुई थी। 11 साल की नौकरी में एक बार सचिन वाराणसी में तबादले पर गये, किन्तु उन्हें फिर भदोही भेज दिया गया। अपने सेवाकाल का अधिकतर समय भदोही में बिताने वाले सचिन झा की तेज कार्यशैली, दक्ष तकनीक, कुशल व्यवहार और बृहद सम्पर्क सूत्र का नतीजा रहा है कि पुलिस महकमें ने हमेशा क्राइम ब्रान्च में ही रखा।
2006 से जिले तैनात सचिन झा ने कई ऐसे अपराध का पर्दाफाश करके अपराधियों को सीखचों के पीछे भेजा जो पुलिस के लिये चुनौती बने हुये थे। ऐसा कोई अपराधिक मामला नहीं रहा जो सचिन की टीम को मिला और टीम ने खुलाशा नहीं किया हो। देखने वाली बात यह है कि भले ही यह खुलाशे करने में पूरी टीम का योगदान रहा हो किन्तु आम पब्लिक की सोच में हमेशा सचिन का नाम ही चर्चा में आता रहा है। सचिन के 11 साल के कार्यकाल में आईजी, डीआईजी, डीएम, एसपी ने 84 बार पुरस्कृत किया है।
15 अगस्त को पुलिस महानिदेशक द्वारा सचिन झा के बेहतर कार्य के लिये पुरस्कृत किया गया। सूत्रों की मानें तो 15 अपराधिक घटनाओं का खुलाशा करने के लिये यह सम्मान दिया गया।
बहुत बढ़ीया