भदोही। सीता समाहित स्थल सीतामढी में आयोजित नवदिवसीय अखिल भारतीय राष्ट्रीय रामायण मेला में कथावाचिका डा साधना त्रिपाठी ने आज अपने प्रवचन में भगवान राम व माता सीता के विवाह का बडा ही मार्मिक व सारगर्भित बातें बताई। डा त्रिपाठी ने कहा कि भगवान की माया का पार पाना तो देवी, देवता, ऋषि, मुनियों के वश की बात नही बेचारा मनुष्य भगवान की माया को जानने का प्रयास करता है। कहा कि भगवान राम यूं ही पुरूषोत्तम नही कहे जाते। उन्होने अपने जीवन की लीलाओं के माध्यम से समाज को बहुत बडा संदेश देने का काम किया है। कहा कि भगवान राम हमेशा ही लोगों का सम्मान करते रहे और समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत किये।
सीता माता के बारे में कहा कि मां सीता अपने आदर्श पर हमेशा कायम रही चाहे वह पुत्री के रूप में, पत्नी के रूप में, मां के रूप में। कहा कि एक राजकुमारी होते हुए भी माता सीता ने कष्ट सहे लेकिन हमेशा अपने आदर्श को बनाये रखा। डा साधना ने सभी महिलाओं से आह्वान किया कि परिवार को सही दिशा में लाने के लिए महिला ही सबसे मजबूत कडी है। जो पुरे परिवार को एक धागे में बांधकर रख सकती है। पुरूषों से महिलाओं का सम्मान करने की बात कही और बताया कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है वहां देवी देवता अपनी कृपा स्वयं बरसाते है। क्योकि आज महिलाओं के वजह से ही धर्म की रक्षा हो रही है, पुरूष तो कम ध्यान देते है। कहा कि रामायण की कथा सुनना तो अच्छी बात है लेकिन इसकी अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारना उससे भी अच्छा है। कहा कि लोगों की बदलने की आशा रखने से पहले अपने को बदलना श्रेष्ट है।
इस मौके पर काफी संख्या में कथा सुनने वाले महिला व पुरूष मौजूद थे।