भदोही। सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप काम न कराना तो जैसे ग्राम प्रधानों की नियति बन गई है। इसके पीछे सहयोगी होते है भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी। जो ग्राम प्रधान के अनुसार मनमानी रिपोर्ट लगाकर मोटी रकम लेकर पाक-साफ बनने का नाटक करते है। और बाद में गर्दन फंसती है तो ग्रामप्रधान की। सरकार ने भले ही कुछ मानक निर्धारित की है लेकिन देश को बेचकर खाने की कसम खाकर कुछ ऐसे ग्राम प्रधान भी है जो एक ग्राम प्रधान होने के बावजूद भी अपने को प्रधानमंत्री से कम रौबदार नही समझते लेकिन जब किसी दांव में फंसते है तो समझ में आ जाता उनका फर्जी रौब।
एक ऐसा ही मामला डीघ ब्लाक के बदरी ग्रामसभा का है जहां की ग्रामप्रधान दुर्गावती देवी पर कानूनी तलवार लटक रही है। क्योकि ग्राम प्रधान ने अपने गांव में जो सोलर व स्ट्रीट लाइट लगवाई है वह यूपी नेडा के मानक के अनुरूप नही है। आए दिन खराबी की शिकायत भी मिलती है। जबकि यूपी नेडा से लगने वाली लाइट की वारंटी व रखरखाव की व्यवस्था भी होती है।
दूसरी बात यह है कि प्रधान ने किसी खास फर्म से मनमानी दाम दिखाकर सरकार को चूना लगाने का प्रयास किया। यदि लाइट का दाम 12 हजार है तो कम से कम 22 हजार की रसीद व रिपोर्ट तो लगी है। लेकिन एडीओ पंचायत के जांच के बाद मामला दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है। क्योकि ग्राम प्रधान दुर्गावती व वीडीओ ऊदल राम की मिलीभगत से 9.65 लाख का घोटाला सामने आया है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को ग्राम प्रधान और वीडीओ के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति दे दी है।
यह तो एक मामला है न जाने कितने भ्रष्टाचार के मामले गांवों में है लेकिन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से सब घालमेल करके काम चल रहा है। यदि बदरी के ग्राम प्रधान के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो जाती है तो जिले के प्रधानों में एक संदेश जाएगा और अपने को सही साबित करने के लिए लोग जुगाड खोजना प्रारम्भ करेंगें। बदरी गांव के पास स्थित एक गांव में ग्रामीणों से ग्राम प्रधान ने मोटी रकम लेकर आवास दिया है। देखते है किस दिन उस गांव के प्रधान की पोल खुलती है। इस खबर से जिले के प्रधानों में खौफ हो गया है कि इस तरह किसी मामले में मेरी गर्दन न फंस जाए। लेकिन गलत करने वालों को न तो जनता बख्शे न ही सम्बन्धित अधिकारी। तब ही भ्रष्टाचारी सुधर पायेंगें।