Home भदोही दुर्गापूजा से पहले भदोही में रख दी गयी विवाद की नींव

दुर्गापूजा से पहले भदोही में रख दी गयी विवाद की नींव

महिषासुर की प्रतिमा बनाने और लगाने वालों पर मुकदमें की धमकी

भदोही। आस्था और विश्वास के तहत कई वर्षों से दुर्गापूजा महोत्सव के अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा महिषासुर मर्दिनी के रूप में पंडालों में सजाई जा रही है, किन्तु इस वर्ष कुछ लोगों की राजनीतिक महात्वाकांक्षा ने इसे विवाद का स्वरूप देने की योजना भी बन रही है। एक संगठन ने महिषासुर की प्रतिमा बनाने और पूजा पंडालों में सजाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी है।

गोंडी पूनेम सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्र गोंड ने कहा कि हिन्दू धर्म में प्रकृति के रक्षकों को राक्षस बताकर उनको बदनाम करना और अपमान करना प्रकृति पूजक अब बर्दास्त नहीं करेंगे। बल्कि नवरात्र में जितने लोग महिषासुर की प्रतिमा बनाकर बेच रहे है और जो लोग दुर्गा पूजन के दौरान महिषासुर की प्रतिमा पूजा पंडालों में लगायेंगें। उन सभी के खिलाफ प्रकृति पूजक नजदीकी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करायेंगे।

जिलाधिकारी को दिया गया पत्रक

कहा कि 9 सितम्बर 2019 को भदोही के जिलाधिकारी को इस बारे में शिकायत कर दी है और जिले के सभी थानों में यह जानकारी दे दी गई है। यदि इसके बाद भी प्रशासन मेरी मांग को नहीं मानता तो पूरे देश में दुर्गा पूजन के दौरान महिषासुर की प्रतिमा बनाने वालों व पंडालों में लगाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा जायेगा।

बताया कि देश के पांच राज्यों छत्तीसगढ़, झारखण्ड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में इसका विरोध हो रहा है और धीरे धीरे और बढेगा। कहा कि आदिवासी प्रकृति पूजक है और जिन्हें राक्षस बताया जा रहा है वे हमारे पूर्वज है। हम रावण, महिषासुर व बालि को पेन शक्ति के रूप में गोगो करते है तथा भारत के संविधान में भी अनुच्छेद 15 के तहत किसी जाति धर्म स्थान के हिसाब से भेदभाव करना गलत है। तो फिर महिषासुर व रावण के साथ भेदभाव क्यों? भारत में सब के साथ समानता का व्यवहार होना चाहिए। कहा कि उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में गोंड को एसटी में रखा गया है जबकि शेष 13 जिलों एसटी में। इस तरह की असमानता से कैसे किसी का विकास हो सकता है।

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