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हजारों बच्चों का भविष्य अधर में, डीएम ने कहा कुछ करता हूं

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भदोही। जिले के ज्ञानपुर क्षेत्र के लखनों में हुये स्कूल वैन हादसे के बाद कुम्भकर्णी नींद से जागा शिक्षा विभाग अब अपना दामन साफ रखने के लिये उन विद्यालयों पर कार्रवाई शुरू कर दिया है जो उसी की कृपा से संचालित हो रहे थे। इस कार्रवाई में 54 विद्यालयों के उपर गाज गिर चुकी है। जो विद्यालय कभी शिक्षा विभाग की कृपा से गुलजार रहते थे अब उनपर ताला लटक रहा है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य अब अधर में लटक रहा है। जिसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। इस मामले में जब डीएम भदोही से पूछा गया कि उन बच्चों का क्या होगा तो उनका जवाब था कि इस बारे में कुछ व्यवस्था करता हूंं। वहीं बीएसए महोदय तो मोबाइल की बज रही घंटो को ही अनदेखा करते रहे।

गौरतलब हो कि स्कूल वैन हादसे के बाद जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद द्वारा एक टीम का गठन किया गया। यह टीम पूरे जिले में ताबड़तोड़ छापेमारी की जिसमें 54 ऐसे विद्यालयों पर ताले लगा दिये गये जो बिना मान्यता के संचालित हो रहे थे। इस विद्यालयों पर ताले लगने से उन हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है जो इन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करते थे।

अवैध विद्यालयों का दोषी कौन और सजा किसको?

जनपद में संचालित हो रहे बिना मान्यता के विद्यालय आखिर किसकी इजाजत से संचालित होते रहे। भदोही जिला इतना बड़ा जिला भी नहीं है कि कोई भी अवैध काम बिना सरकारी तंत्र के संचालित होता रहे। यदि ऐसा कोई अवैध काम पकड़ में आता है जिसमें पुलिस के उपर अंगुली उठती है तो उस थाना क्षेत्र के थानेदार के उपर कार्रवाई होती है। किन्तु इतनी बड़ी संख्या में अवैध विद्यालय जिले में संचालित हो रहे थे जिसके कारण मासूम बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है फिर उसके दोषियों के उपर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। भले ही प्रशासन इनकार करे कि अवैध ढंग से चलाये जा रहे विद्यालय उनके संज्ञान में नहीं थे किन्तु यह बात भरोसे के काबिल नहीं है। बिना शिक्षा विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के संरक्षण के बिना ऐसे विद्यालयों का संचालन नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद अभी तक शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के उपर कोई कार्रवाई किये जाने की पहल क्यों नहीं की गयी।

परिवहन विभाग भी है दोषी

स्कूल वैन हादसे में 18 मासूमों की जिंदगी हासिये पर आ गयी है। उसमें कुछ बच्चे जिन्दगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं जबकि बाकी अस्पताल में दर्द से छटपटा रहे हैं। घायल बच्चों को देखकर पत्थर दिल इंसान की आंखों से भी बरबस आंसू निकल पड़ते हैं। वहीं प्रशासन को बच्चों के दर्द से कोई मतलब नहीं है। जिले का पूरा अमला सिर्फ अपने अधिकारियों ओर कर्मचारियों को बचाने में लगा हुआ है।
लबे सड़क पर वाहनों से वसूली करते परिवहन विभाग की टीम दिखायी देती है। लेकिन उसी टीम को वे वाहन दिखायी नहीं देते जो अवैध रूप से सड़क पर फर्राटे भरते हुये चल रहे हैं। जब कोई स्कूल वाहन दुर्घटना का शिकार होता है तो परिवहन विभाग स्कूल वाहनों की जांच शुरू कर देता है ओर जब कोई सवारी लदी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होती है तो सवारी वाहनों की जांच शुरू हो जाती है।

डीएम ने कहा कुछ व्यवस्था करता हूं

हमार पूर्वांचल से हुई बातचीत में जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद सवाल का सही जवाब नहीं दे पाये। जब उनसे पूछा गया कि जिन स्कूलों को सीज किया गया है। उन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा। तो उन्होंने कहा कि कुछ व्यवस्था करता हूं। सोचने वाली बात है कि जिले का मालिक अभी तक यह नहीं सोच पाया है कि सत्र समाप्ति पर जिन बच्चों का भविष्य अधर में धकेल दिया गया है उन बच्चों का क्या होगा। क्या उन बच्चों को सत्र समाप्ति के दौरान सरकारी विद्यालयों में प्रवेश हो पायेगा। या फिर कोई और वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी।

किस पर होनी चाहिये कार्रवाई

स्कूल वैन हादसे के बाद कई ऐसे मामले खुलकर सामने आये हैं जिसमें प्रशासन की नाकामी साफ नजर आ रही है। जिले के जनप्रतिनिधि घायलों के साथ फोटो खिंचाकर राजनीति करने में लगे हैं किन्तु वास्तविक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये कोई आवाज नहीं उठा रहा है जो ऐसे अवैध कारनामे करने वालों को संरक्षण देने में लगे रहते हैं। इतनी बड़ी संख्या में बिना मान्यता के विद्यालय यदि संचालित हो रहे हैं तो वे बिना शिक्षा विभाग की जानकारी के नहीं हो सकते हैं। जांच होनी चाहिये कि आखिर जो विद्यालय बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं उसमें किसका हाथ है।
वहीं जिले में जो भी अवैध वाहन संचालित हो रहे हैं वे भी बिना परिवहन विभाग के संरक्षण के नहीं चल सकते हैंं। जिले के हर क्षेत्र में सिर्फ स्कूल वाहन नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से डग्गामार वाहन फर्राटे भर रहे हैं जो आवश्कता से अधिक सवारियों को लादकर लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैंं। ऐसे वाहन बिना परिवहन विभाग ओर पुलिस के संरक्षण के बिना नहीं चल सकते हैं। फिर ऐसे वाहनों को संरक्षण देने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। क्या प्रशासन इंतजार कर रहा है किसी बड़े हादसे का।
आज भले ही हजारों मासूम अपनी किस्मत को कोसते हुये घर में घर में पड़े हुये हैंं। जिन विद्यालयों पर ताले लटक गये हैं। उन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का एक साल बर्बाद होने के कगार पर है। दोष भले ही लोग अभिभावकों को दें, लेकिन अभिभावकों को कैसे पता चलेगा कि कौन विद्यालय मान्यता प्राप्त हैं और कौन बिना मान्यता के।

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