भदोही : जंगीगंज क्षेत्र के धनीपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के संगीतमय प्रवचन में आचार्य विनोद माधव जी महाराज ने कथा के तीसरे दिन कहा कि जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का परम लक्ष्य है। इसी के लिए जीव का प्राकट्य होता है। विप्र है तो संसार है क्योंकि इसके माध्यम से ही लोगो को मार्गदर्शन मिलता है। गौ की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है। यदि गाय है तभी धरती रहेगी गौ माँ की उपेक्षा धरती की उपेक्षा है। बिना संत की कृपा से मोक्ष संभव नहीं है। भगवान का प्राकट्य का उद्देष्य संतो, गाय व पृथ्वी की रक्षा ही है। सुख केवल भगवन के शरण में है। भगवान तो सुख की खान है। उनके शरण मे चले जाने से लौकिक व भौतिक सुख की चाहत ही नही रहती है। कहा कि जैसे मृग के नाभि में ही कस्तूरी होता है लेकिन वह वन में ढूंढता है, ठीक वैसे ही मानव के अंदर ही परमात्मा है लेकिन वह बाहर ढूंढ रहा है।
इस मौके पर नवल किशोर मिश्र, कृष्णा चंद्र मिश्र, धनंजय मिश्र, संजय मिश्रा, अनूप मिश्रा, चंद्रनाथ तिवारी, बिजली मिश्र, नंदनाथ तिवारी, विद्याधर मिश्र, शिवनाथ तिवारी आदि मौजूद थे।