भाव से जागृत हुई भागवत कथा वृन्दावन के व्यास पिताम्ब प्रमेश का कायल हुये श्रोता
भदोही। भागवत का नाम आते ही एक ऐसी कल्पना मन को विभोर कर देती है जैसे प्रेम भक्ति मुक्ति और ज्ञान की गंगा में किलोल करने का मौका मिल गया हो। यदि यहीं कथा किसी ऐसे भागवत प्रेमी के यहां हो जिका पूरा परिवार ही भागवत महापुराण के मूर्धन्य श्रोता परिक्षित के भाव में रचाा बसा श्रीकृष्ण प्रेम में डूबा हो तो कहना ही क्या।
ऐसा ही एक परिवार भदोही जनपद के सुरियावां क्षेत्र के ग्राम भोरी में पं.कामताप्रसाद पाण्डये का है। जिनके यहां पिछले दिनों से श्रीमद्भागवत कथा जारी है। श्री पाण्डेय परिवार पूर्ण रूपेण बौद्धिक है। मुंबई के प्रमुख शिक्षासेवियों में एक नाम पं. कामता प्रसाद पाण्डेय का भी है। इनके यहां जारी कथा के मुख्य व्यास कथाकार आचार्य पीतांबर प्रेमेश जी हैं। जो खुद वृन्दावन के रहने वाले और भागवत कथा के मर्मज्ञ है। इनकी शैली कुछ ऐसी प्रेमभाव भगी मधुर है कि श्रोता विभोरमन उबने का नाम नहीं लेता।
अब बात श्री पाण्डेय परिवार के परिक्षित भा की। गत सोमवार कथा का तीसरा दिन। मंच पर व्यास जी औपचारिक पूजन के बाद कथा प्रारंथ करने को हैं। घर की एक महिला हाथ में जल भरा कलश लिये दरवाजे के सामने लगे तुलसी के विरवे तक जाती है। तुलसी का नमन पूजन कर घर में वापस लौटती है। ठीक इसके बाद घर की करीब आधा दर्जन महिलायें हाथ में लड्डू गोपाल भगवान को लिये कथा स्थल पर पहुंचती हैं। लड्डू भगवान सामने उचित आसन देकर श्रीकृष्ण नाम जारती कथा श्रवण में लीन हो जाती हैं। तबतक श्रोताओं के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। पाण्डेय परिवार हर आगत श्रोताओं का भावविभोर होकर ऐसा स्वागत करता आसन तक लाता है जैसे वह आम श्रोता न होकर साक्षात श्रीकृष्ण हो। पाण्डेय परिवार का यहीं भाव उन्हें परिक्षित भाव में खड़ा करता है। जो कथा कराने व सुनने वालों के लिये आदर्श है।