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हमार पूर्वांचल की खबर का असर: पानी में जहर घोलने वालों पर प्रदूषण विभाग का डंडा

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भूगर्भ जल को जहरीला बनाने वालों पर प्रशासन कब करेगा कार्रवाई

अवैध कूड़ा भठ्ठा संचालक बहाते हैं खाली जमीन और नहर नालियों में जहरीला पानी

भदोही। कालीन नगरी भदोही का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि अब पीने लायक नहीं बचा है। मानक की अनदेखी कर संचालित डाइंग प्लाण्टों द्वारा नदियों में छोड़े जा रहे जहरीले पानी की वजह से जहां आम इंसानों में गंभीर बीमरियां फैल रही हैं, वहीं पशु पक्षियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है। गत मंगलवार 15 दिसंबर को हमार पूर्वांचल द्वारा मोरवा नदी में प्रदूषित जल बहाये जाने को लेकर खबर प्रकाशित हुई थी। इसके बाद 16 व 17 दिसंबर को उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदी के पानी को सेम्पल लिया और शिकायत सही पाये जाने पर कार्पेट सिटी में संचालित 8 डाइंग प्लाण्टों को बंद करने का आदेश दिया।

जिन डाइंग प्लाण्टों पर कार्रवाई की गयी उसमें दीपक डाईंग हाउस, मनोज डायर्स ,रूपेश कुमार एंड ब्रदर्स, माबूद इंटरनेशनल, अरविंद एक्सपोर्ट, एसके डाईंग हाउस,,आई एस डाईंग डिवीज़न, भदोही कारपेट गन्दा पानी मोरवा नदी में बहाते पाए गए है ।

भदोही की एक नदी जिसमें बह रहा लाल पानी !

हालांकि यह भी बता दें कि डाइंग प्लाण्टों पर कार्रवाई कर देने से ही इस विकट समस्या का समाधान नहीं होगा। प्रशासन को यह भी सोचना होगा कि इसमें काम करने वालें मजदूरों की रोजी रोटी कैसे चलेगी। बता दें कि जब कार्पेट सिटी की स्थापना भदोही के चौरी रोड पर की गयी थी जब शासन की ओर से वाटर ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट लगाया गया था। फिर डाइंग प्लाण्ट संचालक बिना ट्रीटमेन्ट के प्रदूषित पानी नदी में कैसे बहा रहे थे।

साथ ही गौर करने वाली बात यह भी है कि मोरवा नदी के किनारे कई जगह अवैध रूप से छोटे डाइंग प्लाण्ट जिन्हें कूड़ा भठ्ठा कहते हैं संचालित हैं। आखिर यह प्लाण्ट किस मानक के तहत संचालित किये जा रहे हैं। ऐसे कूड़ा चलाने वालों के पास इतना वजट नहीं होता कि वे वाटर ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट लगा सकें। लिहाजा यह लोग पास से से गुजरने वाली नदी, नहर, तालाब या खाली जमीन पर जहरीला पानी बहा देते हैं। इस प्रदूषित पानी को पीकर पशु पक्षियों की जान संकट में आ जाती है। वहीं जमीन की उपजाउ शक्ति नष्ट हो रही है।

बात इतनी ही नहीं है बल्कि नगर में कितने ऐसे डाइंग प्लाण्ट हैं जो केमिकलयुक्त प्रदूषित पानी को बोर करके सीधे भूगर्भ जल में मिला देते हैं। जिसके कारण भूगर्भ जल दूषित हो रहा है। यही दूषित पानी पीकर लोग तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। हद तो यह है कि खबर छपने के बाद प्रदू​षण विभाग व प्रशासन कुछ दिन के लिये अपनी नींद से जागता है। उसके बाद ले देकर मामला फिर वहीं पर आ जाता है। लिहाजा कई वर्षों से बनी समस्या आजतक बनी हुई है।

भदोही का पानी किस तरह प्रदूषित है। यह खबर मैंने 10 वर्ष पहले लिखी थी, वहीं स्थिति आज भी बनी हुई है। पढ़िये यह रिपोर्ट —

जीवन के लिए घातक बना कालीन नगरी का पानी

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