भदोही। ऊंज क्षेत्र के सिकरहा में संगीतमय रामकथा के संगीतमय प्रवचन में अयोध्या से पधारे कथावाचक स्वामी मनीष शरण जी महराज ने शनिवार की कथा में भगवान के अवतार के बारे में विस्तार से बताया।
महराज ने कहा कि भगवान का अवतार का उद्देश्य भक्तों का कल्याण व धर्म की स्थापना परम उद्देश्य होता है। जब जब धर्म की हानि होती है भगवान तब तब ही नही अपितु धर्म की ग्लानि होने पर भी भगवान आते है। त्रेता में रावण का अत्याचार वहां तक हुआ जहां तक सूर्य का प्रकाश जाता था। वहां तक रावण के कारण पुण्य की हानि हुई। जबकि द्वापर में कंस ने केवल मथुरा मे ही अत्याचार किया तब भी भगवान आये।
भगवान का अवतार भक्ति की हानि और ग्लानि होने पर होता है। संसार में सब परमात्मा के इशारे पर नाचते है परमात्मा जिसे जैसा चाहे उसे वैसा कराये। कहा कि मनुष्य की अपनी प्रशंसा करना बहुत ही घातक होता है। अत: अपनी प्रशंसा करना सर्वथा अनुचित है क्योकि प्रशंसा से घमंड का प्राकट्य होता है जो बाद में भक्ति व मोक्ष में बाधक होता है।
इस मौके पर सतीश चन्द मिश्र, कृष्णाकांत, लल्लन शुक्ला, सुशील, योगेश, संतोष नेता, सर्वेश पाण्डेय और गौरव शूबे समेत काफी लोग मौजूद थे।