लोकसभा चुनाव का इंतजार लोग बडी बेसब्री से कर रहे थे और चुनाव आयोग ने घोषणा भी कर दी। जिले के राजनीतिक पंडित अपने हिसाब से चुनावी गणित को सही बैठाने के लिए अपनी आंकडे को दावे के साथ प्रस्तुत करने लगे। लेकिन चुनाव आयोग की अधिसूचना आते है जिस तरह लोगो में राजनीति को लेकर चर्चा शुरू हुई वह अब धीरे-धीरे कम होते नजर आ रही है। क्योकि आयोग के अधिसूचना के बाद लोग अपने-अपने हिसाब से अंदाज लगा रहे थे कि फलां पार्टी से फलां व्यक्ति ही टिकट पायेगा। लेकिन लोगों की भविष्यवाणी व आंकडेबाजी सब बेकार साबित हो गई है।
भदोही में चुनाव की तिथि मात्र एक माह रह गई है। लेकिन अभी तक भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नही घोषित किये है। हालांकि सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में रंगनाथ मिश्रा को देख रहे है लेकिन अभी तक प्रभारी ही है न कि प्रत्याशी। भाजपा के टिकट के लिए नित नये दावेदारों की चर्चा हो रही है। जिसमें गोरखनाथ पाण्डेय, विजय मिश्र, रमेश बिन्द, महेन्द्र बिन्द, रविन्द्र त्रिपाठी, संतोष पाण्डेय का नाम शामिल है। लेकिन अभी तक किसी के टिकट की आधिकारिक पुष्टि न होना लोगों के जोश में कमी दिख रही है। वैसे प्रत्याशियों की घोषणा हो जाने के बाद जिले की राजनीतिक सरगर्मी में फिर उछाल आयेगा। चाय की दुकानों, किसी समारोह, सावर्जनिक स्थलों पर लोग चुनाव पर चर्चा करते हुए नजर आ रहे है।
भदोही लोकसभा के भाजपा टिकट अब किसी ‘चमत्कार’ से कम नही देखा जा रहा है क्योकि लोग अब अंदाज लगाते-लगाते थक गये है। रही बात कांग्रेस की तो कांग्रेस भी अपना पत्ता नही खोल रही है, जो जिले की राजनीति में एक उहापोह की स्थिति बनी है। वैसे कुछ भी हो भदोही लोकसभा सीट अब ‘हाट’ सीट नही ‘हाटेस्ट सीट’ बन गई है। जो भी इस सीट से चुन कर दिल्ली पहुचेगा वह बहुत ही किस्मत वाला होगा। वैसे भदोही के सांसद वही होता है जिसमें कुछ ‘खास’ होता है। चाहे वह फूलन देवी हो या वीरेन्द्र सिंह। भदोही लोकसभा का चुनाव पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार ज्यादा ‘चर्चा’ में है।