पत्रकारिता में अपनी अलग छाप छोडने वाले वरिष्ठ चिंतक, लेखक राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ भले ही राजनीति में सक्रिय रहे लेकिन अपनी बेबाक लेखनी से कभी पाठकों को यह अहसास नही होने दिया कि राजनाथ सिंह भाजपा से जुडे है। सामाजिक और समसामयिक लेखों के माध्यम से हमेशा ही राजनाथ सिंह पाठकों के लिए प्रिय बने रहे। उन्होने अपनी पुस्तक ‘अपना भारत’ में जो भारत की दशा का वर्णन किया है। जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। सच में आज पत्रकारों ने अपना एक अभिभावक खो दिया।
पत्रकारिता की सुरक्षात्मक शैली उनकी खास काबिलियत थी। हमेशा वे पत्रकारिता को घेरने वालों पर सवाल करते थे और पत्रकारिता को एक अच्छा अभिव्यक्ति की आजादी मानते थे। मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले राजनाथ सिंह 13 जून 2019 को लखनऊ में अपने आवास पर अन्तिम सांस ली। सिंह भाजपा के प्रदेश महामंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद (1996-2002) तक राजनीति में रहे। इसके अलावा लखनऊ से अपनी पत्रकारिता की शुरूआत करने के बाद हिन्दुस्तान, आज, दैनिक जागरण और स्वतन्त्र भारत जैसे देश के बडे समाचार पत्रों में अपनी लेखनी की धार देकर देश में पत्रकारिता की नई परिभाषा प्रस्तुत की।
राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ का प्रकाश राजनीति व पत्रकारिता के साथ साथ समाज को भी हमेशा प्रकाशित करेगा। इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ की इच्छा थी कि मेरे मरने के बाद मेरे देह का भी दान किया जाए। और किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ में देहदान की घोषणा की थी। ऐसे महामनीषी जो अपने जीते जी अपने धारदार लेखनी से समाज को नई दिशा देने के लिए प्रयासरत रहे और हर संवेदनशील मुद्दों पर भी बेबाकी से अपनी राय दी। और कभी यह परवाह नही किया कि कोई क्या कहेगा।
जो सच था उसे दिखाने का जज्बा राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ के लेखनी में था। और मरने के बाद भी अपने देहदान करने की घोषणा व इरादा भी यह सिद्ध करता है कि सच में भारत से एक सूर्य अस्त हो गया लेकिन उनका प्रकाश आने वाली पीढी और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत होगा। पत्रकारिता में एक अलग और अमिट छाप छोडने वाले राजनाथ सिंह सूर्य को कोटि कोटि नमन व श्रद्धांजलि।