रिपोर्ट : विनय मौर्या
हाल ए परिवहन विभाग के बाबू का।
वाराणसी। सूबे में भाजपा की सरकार है और सरकार अपनी छवि साफ-सुथरी रखने के लिए हर तरह का प्रयास कर रही है। मगर बात किया जाए परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों कर्मचारियों की तो कुछ आज भी सरकार की छवि तो खराब कर ही रहे हैं और विभाग के लिए भी परेशानी खड़ी कर दे रहे हैं।
दो दिन पहले वाराणसी के परिवहन विभाग में कार्यरत वरिष्ठ लिपिक गणेश दत्त मिश्रा का एक वायरल वीडियो में साफ-साफ कह रहा है कि इस काम के लिए मेरा रेट पांच सौ नही पांच हजार है।
जब यह वीडियो दो दिन पूर्व वायरल हो गया और एक न्यूज चैनल पर इसका प्रसारण होने लगा, तो विभाग की तन्द्रा टूटी आनन-फानन में आरटीओ रामफेर द्विवेदी ने गणेश दत्त मिश्रा को उस पटल से हटा दिया और जांच एआरटीओ को सौंप दिया।
अभी यह जांच चल ही रही है कि तब से इसने यह कह दिया।
परिवहन बार अध्यक्ष को कहा दलाल–
अभी लिपिक के खिलाफ जांच चल ही रही है की इसी दरम्यान एक चैनल ने जब इसका पक्ष जानना चाहा तो इसने खुद को पढ़ा लिखा और बीटेक बताते हुए वीडियो को एडिट बताया।
इसके मनबढ़ प्रवित्ति तो देखिए यह यहीं नही रुका परिवहन मामलों के अधिवक्ता और परिवहन बार के अध्यक्ष कमलेश सिंह को और राधेश्याम सिंह को ऑन कैमरा वकील के नाम पर दलाल कह दिया, वीडियो में इसे यह स्पष्ट कहते देखा जा सकता है कि कमलेश सिंह और राधेश्याम सिंह इसके पीछे हैं और वकालत के नाम पर दलाली करने की कोशिश करते हैं जिन्हें रोका जाता है ।
मध्यप्रदेश में नोटिस में वकील को दलाल कहने पर हुआ था विवाद।
अभी पिछले अक्तूबर में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कलेक्टर ने लोकसेवा दफ्तर में सिर्फ एक नोटिस चस्पा करवा दिया था की, वकील मध्यस्थत और दलाल से बचे फार्म स्वयं भरे इसी बात पर वहां के अधिवक्ता आंदोलित हो गए और कलेक्टर का पुतला तक फूंक डाला था।
वहीं जब परिवहन बार अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेश सिंह से लिपिक गणेशदत्त मिश्र द्वारा इनके लिए दलाल सम्बोधन पर पक्ष जाना गया तो कमलेश सिंह का कहना है कि गणेशदत्त मिश्रा ने मेरी प्रतिष्ठा धूमिल करने के साथ ही साथ पूरे अधिवक्ता समाज को अपमानित किया है,लिहाजा हम इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करते हुए इसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेंगे।
फिलहाल जो भी हो विवादों में बने रहने वाले लिपिक गणेश मिश्रा ने फिर नए विवाद को जन्म दे दिया है।