Home भदोही विधायक ने चेयरमैन को लगाया जोरदार सियासी थप्पड़!

विधायक ने चेयरमैन को लगाया जोरदार सियासी थप्पड़!

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थप्पड़ सिर्फ वहीं नहीं होता कि जो कस कर गाल पर मारा जाये और मार खाने वाला व्यक्ति अपना गाल सहलाता रहे। गाल पर मारे जाने वाला थप्पड़ का दर्द तो कुछ देर बाद गायब हो जाता है किन्तु हम यहां जिस थप्पड़ की बात कर रहे हैं, यदि उस थप्पड़ की गूंज शासन और प्रशासन तक पहुंच गयी और प्रशासन ने इस थप्पड़ की जांच शुरू कर दी तो इसका दर्द चेयरमैन जिन्दगी भर नहीं भूल पायेंगे। हालांकि विधायक ने अपने बयानों के जरिये जिस सियासी थप्पड़ का वार किया है। वह कहां तक और कितना प्रभावशाली होगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

बता दें कि मंगलवार को नगरपालिका भदोही द्वारा बोर्ड की बैठक बुलायी गयी थी। इस बैठक में कुल 12 बिन्दुओं पर चर्चा होनी थी। बैठक का समय 11 बजे रखा गया था और इसमें भदोही विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी को भी शामिल होना था। हालांकि श्री त्रिपाठी को बैठक में आने में देर हो गयी और देर भी कितनी सिर्फ 15 मिनट की। जब 11 बजकर 15 मिनट पर विधायक पहुंचे तो बैठक समाप्त हो चुकी थी।

फिर क्या विधायक जी का पारा गरम हो गया। इसके बाद पत्रकारों के सामने चेयरमैन अशोक जायसवाल के खिलाफ जो सियासी तीर छोड़े वह किसी थप्पड़ से कम नहीं था। परत दर परत विधायक द्वारा किये गये खुलाशे से नगरपालिका में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी गयी है। यदि विधायक भदोही के आरोप सही हैं तो भाजपा सरकार में भ्रष्टाचा मुक्त शासन देने का सपना भदोही चेयरमैन ने अपने पैरों तले रौंद डाला है।

विधायक ने कहा कि जो प्रस्ताव 15 मिनट में पढ़ा भी नहीं जा सकता है उसपर 15 मिनट में चर्चा करके खत्म कर देना एक बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहा है। कहा नगरपालिका पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी है। नाले की सफाई में 25 लाख रूपये खर्च कर दिये गये और सफाई पालिका के कर्मियों से करायी गयी जो बड़ा भ्रष्टाचार है। रिबोरिंग के नाम पर पालिका ने खुली लूट की है।
ऐसे ही विधायक ने कई आरोपों की लगातार झड़ी लगा दी है। श्री त्रिपाठी ने यहां तक कहा कि नगरपालिका के भ्रष्टाचार की एक एक जांच करायेंगे।

“गौर करने वाली बात हो कि जनपद में जितने विकास कार्य हो रहे हैं वे न मानक के अनुरूप है और न ही उनकी जांच की जाती है। जनप्रतिनिधि हों या अधिकारी सिर्फ जांच की बात करते हैं किन्तु कुछ दिन बात जब शान्ति बना लेते हैं तो सब पर ही सवाल उठना लाजिमी हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही सड़कों को सिर्फ काला कर दिया जा रहा है। दो महीने भी नहीं बीतते की सब पर छर्रियां उड़ने लगती है।”

इन सियासी बयानों के बाद न तो किसी की जांच होती है और न ही जांच के कोई परिणाम दिखायी देते हैं। दूसरे दिन अखबारों में खबर छपन के बाद आम पब्लिक वाहवाही करके मौन व्रत धारण कर लेती है और सबकुछ फिर वैसे ही चलने लगता है। भ्रष्ट हो चुके सिस्टम में सिर्फ बयान नजर आते हैं। बयानों के द्वारा चलने वाले सियासी थप्पड़ों का यदि असर होता तो सिस्टम बदल जाता किन्तु ऐसा दिखता नहीं है। खैर विधायक जी इन बयानों पर कितने गंभीर रहते हैं। इसका जवाब हमार पूर्वांचल अवश्य ढूंढेगा।

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