भदोही । देश की रक्षा के लिए अपने जान को न्यौछावर करने वाले शहीद को कहा पता था कि उनके नाम पर सरकार द्वारा धन को जिम्मेदार लोग खानापूर्ति करके हजम कर जायेंगे। भले ही शहीद के परिजन नेता और अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहे है लेकिन कोई आस नही दिख रही है। अब तो लोक निर्माण विभाग ने बाकयदा एक पत्र भी शहीद के पिता को थमा दिया जिसमें माननीय न्यायालय के आदेश का हवाला देकर शहीद के नाम पर स्मारक न बन पाने की बात भी बता दी है।
ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के बैरा खास निवासी अशोक उपाध्याय के छोटे पुत्र शुलभ उपाध्याय जो 2013 में सेना में भर्ती हुए और अपने कार्यो से शीघ्र ही प्रोन्नत होकर एसटीएफ में शामिल हो गये। 2017 बीजपुर में सर्च आपरेशन के दौरान नक्सलियों से मुठभेड़ में शुलभ उपाध्याय शहीद हो गये। और तत्कालीन सांसद वीरेन्द्र सिंह के प्रयास से शासन ने शहीद के नाम पर चौराहा पर स्मारक के लिए 19 लाख से अधिक की धनराशि अवमुक्त की लेकिन यह धनराशि भी भरष्टाचार की भेट चढ़ गई। और केवल खानापूर्ति करके शहीद के नाम का स्मारक ज्ञानपुर के हास्टल चौराहा पर बना जो जल्द ही टूट गया। प्रशासन ने टूटे स्मारक को सही कराने की जगह मलवा हटवा कर अपने कार्यों से पल्ला झाड़ लिया।
प्रशासन के इस कार्य से शहीद के पिता अशोक उपाध्याय काफी मर्माहत है। और स्मारक बनाते समय भ्रष्टाचार होने की बात कही। शहीद के पिता ने कहा कि स्मारक टूटने के बाद मै अधिकारियों से मिला और अधिकारियों के तरफ से स्मारक बनने का आश्वासन मिलता रहा फिर एक पत्र आया जिसमें लिखा था कि कोर्ट के आदेश की वजह से चौराहों पर स्मारक नही बन पायेगा। शहीद के पिता ने सवाल उठाया कि जब कोर्ट का आदेश था तो हास्टल चौराहा पर स्मारक क्यों बनाया गया और बनने के बाद जब टूट गया तो अब कोर्ट की बात कही जा रही है जब स्मारक नही बनाना था तो शहीद का इतना बडा अपमान क्यों किया गया। पहले ही यह बात सोचनी चाहिए थी कि कोर्ट का यह आदेश है। इस बात को लेकर मुझे काफी कष्ट है। प्रशासन को ऐसा नही करना चाहिए था।
शहीद के पिता ने स्मारक बनाने में हुए भ्रष्टाचार के बारे में कहा कि बेशक इस निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। और कुछ रूपये लगाकर केवल खानापूर्ति की गई। जिससे यह इतना कमजोर बना और शीघ्र ही टूट गया। बताया कि जब शहीद स्मारक का निर्माण हो रहा था तब उन्होने डाली जा रही बालू को लेकर एक्सईएन से बात की तो उन्होंने ने कहा कि जो बन रहा है बनने दीजिए। शहीद के पिता अशोक उपाध्याय ने स्मारक निर्माण में भ्रष्टाचार की आशंका को लेकर मुख्यमंत्री को शिकायत लिखी। जिससे लोक निर्माण विभाग और प्रशासन के लोग नाराज हो गये। कहा कि जब इसी तरह एक शहीद का अपमान करना था तो मुख्यमंत्री को घोषणा ही नही करना चाहिए था। और स्मारक टूटने के बाद प्रशासन के लोग हमेशा अंधेरे में रखे रहे और अब कोर्ट का हवाला देकर स्मारक न बनने की बात कह रहे है।
शहीद के पिता अशोक उपाध्याय ने कहा कि हास्टल चौराहे के नाम को शहीद शुलभ उपाध्याय के नाम करने की घोषणा की गई लेकिन न प्रशासन के तरफ से कोई बोर्ड लगा न ही कही लिखा गया जिससे चौराहा पर आने जाने वाले लोग कम से कम शहीद का नाम जानते और परिजनों को भी इसका एहसास होता। शहीद के पिता ने बताया कि जिस दिन शहीद शुलभ उपाध्याय के स्मारक का उद्घाटन था उस दिन मैने अपने खर्च से ‘शहीद शुलभ उपाध्याय चौराहा’ के नाम का स्टीकर बनवा कर लगवाया। लेकिन प्रशासन के लोग इतना भी न कर सके। शहीद के पिता ने मांग की है कि यदि कोर्ट का आदेश है कि चौराहा पर स्मारक न बन सकेगा तो रहने दें बल्कि चौराहा के आसपास खाली जमीन पर ही एक स्मारक बना दें जिससे शहीद का सम्मान भी हो जाये।
सांसद रमेश बिन्द के बारे में बताया कि आज तक सांसद ने हालचाल जानने तक न आये और न ही कही मिले। शहीद के पिता ने शासन प्रशासन से मांग की है कि उनके पुत्र शहीद शुलभ उपाध्याय के नाम का स्मारक बनवाये जिससे देश के शहीद का सम्मान हो सके। क्योकि शहीद के नाम पर स्मारक बना और फिर टूट गया और अब बनने को लेकर प्रशासन के लोग कोर्ट का हवाला दे रहे है जिससे परिजन काफी मर्माहत है।