Home भदोही बिरजू पाठक की दुर्दशा: ब्राह्मण हैं इसलिये गरीब कैसे होंगे!

बिरजू पाठक की दुर्दशा: ब्राह्मण हैं इसलिये गरीब कैसे होंगे!

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सवर्ण भले ही दो जून की रोटी के लिये मोहताज हो किन्तु सरकार तो सवर्णों को गरीब मानती नहीं। इसीलिये कितने ऐसे सवर्ण हैं जो किसी तरह रो—धोकर अपना जीवन जी रहे हैं, लेकिन इन्हें सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधायें इसलिये नहीं मिल पाती हैं क्योंकि सरकार का सोचना यहीं होता है कि जो सवर्ण हैं उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलना चाहिये। ऐसा ही हो रहा है बिरजू पाठक के साथ जिसे ब्राह्मण होने के कारण किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है।

बता दें रविवार की रात बिरजू की गर्भवती गाय को अराजकतत्वों ने काट डाला। उसी गाय को काट दिया जो बिरजू के रोजी रोटी का सहारा थी। जब दूसरों की गाय दूध देना बंद कर देती थी तो बिरजू उनकी गाय को अपने यहां ले आता है और उसे खिला पिलाकर पालता पोसता था। गाय जब बच्चा देने की स्थिति में पहुंचती तो जो गाय का दाम होता था उसका आधा पैसा बिरजू को मिल जाता था और उसी से उसके परिवार का गुजर बसर होता था।

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क्या इन्हें ब्राह्मण होने की मिल रही सजा

जिस गाय को नरपिशाचों ने काट दिया वह छ: महीने की गर्भवती थी। बिरजू इंतजार कर रहा था कि अगले पांच महीने बाद उसे उसकी मेहनत का प्रतिफल मिलेगा। अराजकतत्वों ने सिर्फ लोगों की भावनाओं से ही खिलवाड़ नहीं किया है बल्कि उसकी रोटी रोटी का जरिया छीनकर उसके पेट पर लात मारा है।

बता दें कि बिरजू के पास एक कच्चा मकान है और उसी में बिरजू पाठक, कन्हैया पाठक और इन्द्रजीत पाठक का परिवार रहता है। बिरजू और कन्हैया गाय पालने का काम करते हैं जबकि इन्द्रजीत लोगों के खत में काम करता है। इस परिवार के पास उतनी ही जमीन है जितने में उसका कच्चा मकान है। इस परिवार के पास एक विस्वा भी जमीन नहीं है। यहां तक कि जिन गायों को वे पालते हैं वह गायें भी दूसरे की जमीन पर बंधी रहती हैं।

बिरजू का परिवार आरक्षण की जातियों में नहीं आता इसलिये उसे कोई पट्टा नहीं दिया गया है। किसी भी जनप्रतिनिधि ने उसे आवास या शौचालय देने की पहल नहीं की है। इसका कारण यह भी हो सकता है कि उस गरीब के पास किसी को सुविधा शुल्क देने के लिये पैसे नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उसकी गरीबी किसी ने देखी नहीं होगी। वोट मांगने के लिये उस गांव में सांसद या विधायक भी गये होंगे लेकिन वे तो यहीं गिन रहे होंगे कि इस परिवार में कितने वोट हैं। उसके जर्जर हो चुके मकान और उन लोगों के शरीर पर फटे पुराने कपड़े तो किसी को नहीं दिखायी दिये होंगे। इस गाय के कट जाने के बाद लोगों की सिर्फ भावनायें आहत हुई हैं किन्तु बिरजू के रोजी रोटी का जरिया ही खत्म हो गया है।

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