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नफरत का जहर दिल से मिटाया न जायेगा, ”शाखों में नमी कम” लोकार्पण एवं शामें गजल की सजी महफिल

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रिपोर्ट: विनय शर्मा ‘दीप’

ठाणे(महाराष्ट्र)। साहित्य की गंगा के वरिष्ठ साहित्यकार, गज़लकार एन बी सिंह “नादान” कृत 15 वीं गज़ल संग्रह “शाखों में नमीं कम” का लोकार्पण समारोह दिनांक 26 अगस्त रविवार सायं मराठी ग्रंथ संग्रहालय ठाणे (पश्चिम) के सभागृह में प्रेमाजंली साहित्य संस्था के तत्वावधान में संपन्न हुआ । लोकार्पण से पूर्व मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर व वंदना करके की गई।

समारोह की अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष हिन्दी विभाग मुंबई विश्वविद्यालय के डाक्टर रामजी तिवारी ने की, प्रमुख अतिथियों में आर एन सिंह (अध्यक्ष उत्तर भारतीय संघ,एम एल सी महाराष्ट्र), पि के सिन्हा, के एन सिंह, भुवनेन्द्र सिंह विष्ट, एम एन सिंह (पूर्व पुलिस कमिश्नर मुंबई), एस के सिंह(सी एम डी कैसेट), विदेह महराज जी, लल्लन सिंह, बाबु लाल सिंह, आर पी सिंह रघुवंशी, विधुभूषण त्रिवेदी (प्रेमाजंली संस्था अध्यक्ष), ठाकुर जितेन्द्र सिंह (ठाकुर कालेज कांदिवली), अवध नारायण सिंह (अध्यक्ष-रा रा सेवा संघ मुंबई), लालता प्रसाद सिंह, जय प्रकाश सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, पंकज मिश्रा, सुनील सिंह, अनिल सिंह, संतोष कुमार सिंह उपस्थित थे । सभी अतिथियों का स्वागत एन बी सिंह नादान एवं सहयोगियों द्वारा पुष्पगुच्छ, श्रीफल एवं अंग- वस्त्र देकर किया गया।mumbai

“शाखों में नमी कम” के लोकार्पण के पश्चात मुख्य अतिथि एम एन सिंह ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गज़लकार एन बी सिंह नादान ने मानवता के साथ समाज पर, जमाने पर, बेटियों के जीवन पर एवं आपसी प्रेम-भाईचारे का उल्लेख बड़ी सहजता से किया है । जैसे-

उजड़े हुए दरख्त हैं,शाखों में नमीं कम ।
छोड़ा है परिन्दों ने,चहचहाना आज-कल ।।

नफरत का जहर दिल से मिटाया न जायेगा ।
तुझसे उन्हें जो राह पे लाया न जायेगा ।।

धुंध सी तस्वीर किसने खींच दी ।
जिसमें शामिल दर्द का सामान है ।।

डा. रामजी तिवारी ने अपने अध्यक्षिय भाषण में कहा- ज्ञानवान होने के लिए नादान होना जरूरी है । तिवारी जी ने संकलन पर प्रकाश डालते हुए कहा-

दिल में इन्सानियत जिसके होगी ।
उसको “नादान” इस्लाम होगा ।।

आदमी-आदमी से ख़फा आजकल।
है मुहब्बत दिलों से दफा आजकल।
मोल रिस्तो का नादान पहले करें।
किसमें घाटा है ज्यादा नफा आजकल ।।

साहित्य के मर्मज्ञ गजलकार एन बी सिंह नादान जी ने अपनी पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए आये हुए सभी कवियों हरिजिंदर सिंह सेट्ठी, भुवनेन्द्र सिंह विष्ट, के एन सिंह, वीरेन्द्र पाठक, विनय शर्मा दीप, श्रीमती हेमा अंजुली, टी आर खुराना, आर पी सिंह रघुवंशी, पवन तिवारी, श्रीमती सुमन उपाध्याय, राज किशोर मिश्रा, संतोष विश्वकर्मा, श्रीराम शर्मा, कल्पेश यादव, उमेश मिश्रा, उमाकांत वर्मा, अनिल शर्मा, श्रीमती सुधा बहुखंडी, श्रीमती आभा दवे, श्रीमती शिल्पा सोनटक्के, राजीव मिश्रा, अंजनी कुमार द्विवेदी, श्री बारी, शिव शंकर मिश्र को अमूल्य समय प्रदान करने हेतु धन्यवाद दिया।

समारोह में उपस्थित पत्रकारों में श्री डाक्टर हरदत्त सिंह,श्री प्रितम कुमार त्यागी,श्री ओमप्रकाश सिंह (जनसत्ता),श्री राकेश दुबे,श्री अनिल कुमार शुक्ल,श्री आनंद कुमार पाण्डेय (नवभारत),श्री श्री नारायण तिवारी,श्री छोटेलाल शर्मा (संपादक-कदम कदम पर),श्री केसर सिंह विष्ट,श्री वीरेन्द्र मिश्रा (नवभारत),श्री नामदार राही(अन्सलूट इंडिया), श्री युनुस खान (यशोभूमि) का भी सम्मान सहित धन्यवाद एवं आभार प्रदर्शित किया ।

कार्यक्रम के संयोजक में श्री बी एल शर्मा, श्री अशोक राय, श्री बी डी राय, श्री अभिराम सिंह, श्री दया शंकर सिंह, श्री शिवराज लाल सिंह, श्री लक्ष्मण दुबे, श्रीमती अलका पांडे, श्री प्रमोद कुश, श्री हौसिला प्रसाद सिंह अन्वेशी, श्री महदीप ‘मुन्ना’ सिंह विष्ट, श्री हरीश तिवारी, श्री राहुल आर चतुर्वेदी, डाक्टर जमील शाद को भी समारोह में सक्रिय सहयोग प्रदान करने हेतु धन्यवाद दिया।

पुस्तक लोकार्पण के पश्चात गज़लकार श्री एन बी सिंह नादान जी के गज़ल संग्रह “शाखों में नमी कम” से कुछ गजलों को गज़लकार श्री हेमंत साने व गज़ल कारा श्रीमती सारंगी आंबेरकर के मुखारविंद से स्वरबद्ध संगीत के साथ “शामें गज़ल ” के नाम से प्रस्तुति देर रात तक चली । श्रोताओं को मंत्रमुग्ध एवं गजलें शाम का दौर काफी प्रशंसनीय रहा,लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उत्साहवर्धन किया ।

अंत में श्री नादान जी ने सहयोगी सभी साहित्य संस्थाओं अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच,भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे,हिन्दी भाषी एकल परिषद,अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा,क्षत्रिय समाज ट्रस्ट,उत्तर भारतीय मित्र मंडल,राष्ट्रीय राजपूत सेवा संघ,कलम कला क्रांति,संगीत साहित्य मंच एवं काव्यसृजन संस्था के साथ आये हुए सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद देकर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की ।

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