संजय मिश्रा की रिपोर्ट
सीतामढ़ी। कोर्ट के आदेश का पालन करने में पुलिस के जवानों को शुक्रवार को भारी बवाल झेलना पड़ा। हालांकि सीओ ज्ञानपुर बीके सिंह के घण्टों समझाने के बाद उग्र व बवाल करने पर आमादा ग्रामीण किसी तरह शांत हुए। बता दें कि करीब 1 वर्ष पूर्व कोइरौना थाना क्षेत्र के चकिया बनकट गांव में सुबह – सुबह सरपत की झाड़ में फेंके गए बच्चे को काफी लोगों की मौजूदगी में गांव निवासी रामबहादुर सरोज ने उठा लिया और पालन पोषण करने लगा।
अखबार में छपी खबर पर संज्ञान लेकर बाल कल्याण समिति न्यायालय ने कई माह पूर्व कोइरौना थाना क्षेत्र के चकिया बनकट गांव में फेंके गए बच्चे को समिति को सुपुर्द कराने के लिए पुलिस को आदेश दिया था। रामबहादुर द्वारा कोर्ट का सहयोग न करने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
रामबहादुर उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी स्थगन आदेश लाकर पुलिस से किसी तरह बचता रहा लेकिन वह यह भूल गया कि न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट का सहयोग करने का भी आदेश दे रखा है। करीब पखवारे भर पूर्व कोइरौना पुलिस द्वारा रामबहादुर से बच्चा मांगा गया लेकिन वह तथा उनका परिवार बच्चा न देने की जिद पर अड़े रहे। पुलिस ने गिरफ्तार कर रामबहादुर को जेल भेज दिया।
हाल ही में रामबहादुर जेल जेल से छूटकर जमानत पर आया था कोर्ट की सख्ती से गड़बड़ाई कोइरौना पुलिस कोइरौना थाना प्रभारी सत्यनारायण मिस वह चौकी प्रभारी सीतामढ़ी विनोद तिवारी के नेतृत्व में बच्चे को उठाने सोमवार की दोपहर पहुंच गई। बच्चे को उठाये जाने को लेकर परजिनों के शोर मचाने पर ग्रामीण जमा हो गए और बस्ती का मार्ग लड़की व लोहे के एंगल आदि रखकर जाम लगा दिये।
उपद्रवी भीड़ यही तक नही रुकी पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ के अलावा पुलिस से तकरार व गाली गलौज भी किया। मामले बढ़ते देख सूचना पर जिला पुलिस प्रशासन सकते में आ गया। और देखते ही देखते मौके पर 7 पीआरवी गाड़ियों , ऊंज , गोपीगंज पुलिसबल के अलावा पीएसी बल भी पहुंच गई। सभी के समझाने के बावजूद ग्रामीण मानने को राजी नही थे। अंततः क्षेत्राधिकारी ज्ञानपुर के घण्टों समझाने पर किसी तरह ग्रामीण शांत हुए। हालांकि पुलिस ने शुरू में ही बच्चा प्राप्त करने में सफलता पा ली थी। वहीं बच्चा छिनने से माता पिता सहित परिजनों का रोरकर बुरा हाल है। सीओ व एडिशनल एसपी ने कहा कि बवालियों के खिलाफ पुलिस मुकदमा दर्ज करेगी।
1 वर्ष से पालन कर रहे परिवार पर टूटा पहाड़
तकरीबन एक साल पहले कोइरौना थाना क्षेत्र के चकिया बनकट गांव में जंगीगंज धनतुलसी मार्ग किनारे एक नवजात शिशु फेंका गया था। जिसे गांव के ही रामबहादुर सरोज ने सैकड़ों ग्रामीणों के समक्ष अपनाने के लिए ले लिया था। बेटे की आस में दिन काट रहे पांच बेटियों के पिता ने सड़क किनारे पड़े मासूस पुत्र को रत्न व ईश्वरीय देन समझकर अपने पास रख लिया और सपरिवार पालन पोषण करने लगा। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन अचानक कुछ माह बाद न्यायालय की नोटिस इस बावत आई कि किस आदेश के तहत आपने बच्चा गोद लिया या रखा है।
जिसने भी उस नोटिस को देखा अवाक रह गया। दरशल कानून के अनुसार न्यायालय बाल कल्याण समिति ने अखबार में प्रकाशित हुए नवजात शिशु मिलने और गोद लिए जाने की खबर पर संज्ञान लेकर विधिक कार्रवाई की थी। बच्चा छिनने के डर से रामबहादुर सरोज कोर्ट में हाजिरी देने के बजाय दूरी बनाने लगा। कोर्ट की सख्ती के बाद मुकदमा पंजीकृत कर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। किसी तरह रामबहादुर उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी स्थगन आदेश लाकर बचता रहा। वह यह भूल गया कि हाइकोर्ट ने आरेस्ट स्टे देने के साथ कोर्ट व कानून का सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।
वह एक बार न्यायालय बाल कल्याण समिति में हाजिर तो हुआ किंतु बच्चे को नहीं ले गया। एक वर्ष से बच्चे का पालन पोषण कर रहे रामबहादुर व उसकी पत्नी बच्चे को देने के लिए तैयार नही है। जिद पर अड़े रामबहादुर को जब कोइरौना पुलिस ने बुधवार को हिरासत में ले लिया तो थाने पर सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। लोगों का कहना था कि एक साल बाद बच्चा क्यों छीना जा रहा है। उधर कोइरौना थाना प्रभारी एसएन मिश्रा ने किसी तरह लोगों को समझाबुझाकर शांत कराया और रामबहादुर को कानूनी प्रक्रिया का पालन कर बच्चे को हासिल करने की बात कही।