Home खास खबर जातिगत आधार पर समाज तोड़कर सत्ता हासिल करने की ललक

जातिगत आधार पर समाज तोड़कर सत्ता हासिल करने की ललक

हमार पूर्वांचल

राजनैतिक पार्टियां तो यही चाहती हैं कि सभी जातियां एक दूसरे से बैर रखें, ताकि उन्हें किसी मुद्दे पर पुचकार कर आश्वासन का लॉलीपॉप देकर अपने पाले में बनाये रखा जा सके।

वर्तमान राजनीति के चाणक्य ने 2014 में इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बीजेपी से दूरी बना चुके मौर्या, पटेल, राजभर को जोड़ने के लिए केशव मौर्या को फ्रंट पर रखकर स्वामी प्रसाद, अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर को जोड़कर झमाझम वोट ले लिया, फिर चाणक्य को लगा कि अभी कुछ जितना बाकी है तो मुस्लिम महिलाओं के दुखती रग तीन तलाक को मुद्दा बना दिया, यहां की सफलता से गदगद चाणक्य को लगा कि अभी दलितों को लुभाना बाकी है (वैसे यह इनका भरम है कि यह बहिन जी का विकल्प बनेंगे) तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी एक्ट संसोधन को नकारते हुए उसे और कठोरता से लागू कर दिया।

भले ही इससे दलित समाज चाणक्य के झांसे में न आये, मगर सवर्ण समाज में बीजेपी के प्रति आक्रोश बढ़ गया। दस परसेंट आरक्षण फार्मूला के बाद दलित-सवर्ण खाईं अब और गहराने लगी है । धीरे धीरे कम हो रहे जातिवादी सोच को चाणक्य ने पुनः सक्रिय कर दिया है, अब दलित-सवर्ण एक दूसरे के खिलाफ पाला खींचने लगे हैं।

फिलहाल 2014 में किये गये वादों के न पूरा होने से नाराज पिछड़ा वर्ग विकल्प ढूंढ चुका है, दलितों के पास बहिन जी हैं ही, सबसे खराब स्थिति सवर्ण समाज की है, इससे बड़ी विकल्पहीनता क्या होगी इन्हें विकल्प के रूप में नोटा दिख रहा है या कुछ सवर्ण कह रहे हैं कि विरोध भी करेंगे और तब भी वोट बीजेपी को देंगे।

बस आपके इसी विकल्पहीनता का फायदा चाणक्य और उनके आका उठा रहे हैं, इन्हें लगता है कि यह समाज कांग्रेस की ओर जाएगा नहीं, बसपा सपा की तरफ देखेगा नहीं, यह जाएगा तो जाएगा किधर ?

जिस दिन आप सपा की तरफ जाने की सोचेंगे तो कुछ लोग कहेंगे कि यह यादवों की पार्टी है, बसपा की तरफ देखेंगे तो कुछ लोग तुरन्त कहेंगे कि यह दलितों की पार्टी है, (हालांकि कुछ गलतियां सपा-बसपा ने की हैं, मगर वो भी अपने बेस वोटरों के हितार्थ ) बची कांग्रेस तो वैसे ही बदनाम है, बचा खुचा कसर राहुल के कार्यों का मजाक बना कर बीजेपी का आईटी सेल कर दे रहा है।

फिलहाल विकल्पहीन सवर्ण समाज के घाव पर मलहम लगाने की कोशिश 10 परसेंट आरक्षण के जरिए की गई है। बात अलग है कि इस 10 परसेंट में मुस्लिम और ईसाई भी हैं।

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