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जो जनप्रतिनिधि और निर्यातक नहीं कर पाये उसे इस पत्रकार ने कर दिखाया

sanjay srivastava
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कहते हैं कि कभी नदियों की धाराओं को मोड़ा नहीं जा सकता है, लेकिन यह वाक्य उनके लिये मायने नहीं रखते हैं जो कर्मयोगी होते हैं और बिना थके झिझके अपने मजबूत मनोबल के साथ दिशा परिवर्तित करने नहीं बल्कि सकारात्मक कार्यों को सही दिशा देने के लिये प्रयासरत रहते हैं। ऐसा सदैव उत्तर प्रदेश के इस जिले में होता रहा जो काशी प्रयाग के मध्य स्थित है। लवकुश की इस जन्मस्थली को कर्मवीरों की जन्मस्थली कही गयी है और कर्मवीरता से यहां के पत्रकारों ने हमेशा इतिहास रचने का कार्य किया है। एक बार फिर भदोही के इस पत्रकार ने इतिहास रचकर यह बता दिया कि पत्रकारिता सिर्फ कलम चलाने के लिये ही नहीं होती है, बल्कि अपने सामाजिक कार्यों से समाज और देश को नई पहचान दिलाने के लिये भी होती है।

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गौरतलब हो कि दिल्ली, मुम्बई या अन्य महानगरों में बैठकर पत्रकारिता करने एक छोटी सी खबर को भी बड़ा मुद्दा बनाकर बड़ी खबर का रूप दे देते हैं, लेकिन भदोही जैसे छोटे जिले से अपनी बात को महानगरों तक पहुंचाना बड़ी टेढ़ी खीर होता है। ऐसा अक्सर देखने को मिलता है किन्तु कभी न हार मानने वाले पत्रकार यदि ठान ही लें तो उनके लिये शहर या गांव मायने नहीं रखता है।

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ऐसे तमाम उदाहरण भरे पड़े हैं जब भदोही जिले के पत्रकारों ने खबरों की प्रस्तुति इस तरह दी कि वे खबरें राष्ट्रीय स्तर की खबरें बन गयी और शीर्ष पर बैठे संपादकों को भी साथ देना पड़ा। भदोही को जिला का दर्जा दिलाने से लेकर ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिसमें पत्रकारों ने अपनी बात मनवाने के लिये संबंधित जनों को मजबूर कर दिया। बर्तन मांजकर गुजारा करने वाली नौकरानी संतोषी का एक कालीन निर्यातक द्वारा यौन शोषण का मामला रहा हो। या फिर अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिये मुम्बई से भदोही आयी डिम्पल मिश्रा द्वारा अपने ससुराल वालों के खिलाफ फूंका गया बिगुल हो। भदोही के पत्रकारों ने इन मामलों को राष्ट्रीय स्तर का मामला बना दिया। ऐसे कई उदाहरण भदोही की पत्रकारिता में भरे पड़े हैं जिनका जिक्र एक किताब तैयार कर देगा।

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ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है भदोही के पत्रकार संजय श्रीवास्तव ने जिसे आजतक भदोही के कालीन निर्यातक और जनप्रतिनिधियों ने नहीं कर पाया था। हालांकि पत्रकार संजय श्रीवास्तव ने इस कार्य में सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त का सहयोग भी बताया है।

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बता दें कि ‘हमार भदोही’ के संयोजक संजय श्रीवास्तव लगातार प्रयासरत थे। गत दिनों उनके प्रयास से सफलता मिल गई। केंद्र सरकार ने भदोही को विशिष्ट निर्यात क्षेत्र का दर्जा देते हुए बड़ी सौगात दी है। इससे अब भदोही के कालीन उघोग के साथ-साथ पूरे जिले का तेजी से विकास होगा. साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।

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हमार भदोही के संयोजक संजय श्रीवास्तव ने कई बार पत्राचार के माध्यम से सरकार को भदोही को विशिष्ट निर्यात क्षेत्र में शामिल करने को कहा था, क्योंकि भदोही से निर्मित कालीन का करीब 1400 करोड़ का निर्यात किया जाता है। यह आंकड़ा सीईपीसी ने वाणिज्य मंत्रालय के ने दिया था। किसी भी क्षेत्र को विशिष्ट निर्यात क्षेत्र को दर्जा तभी दिया जाता है, जब वहां से हस्तशिल्प का निर्यात 150 करोड़ से ज्यादा हो।

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संजय श्रीवास्तव ने बताया कि भदोही के कालीन उघोग का तेजी से विकास होगा, कई सूचना सेन्टर खुलेगें, निर्यात से संबंधित योजनाओं को यहां लागू किया जाएगा, पूरे जिले का विकास होगा। सरकार यहां की अवस्थापना सुविधाओं पर विशेष ध्यान देती है। तामाम क्लेम जो मिलते हैं उन्हें लेने में आसानी होगी और भदोही की पहचान बढ़ेगी।

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