Home मुंबई त्रिवेणी साहित्य संगम के तत्वावधान में सजी कवियों की महफ़िल

त्रिवेणी साहित्य संगम के तत्वावधान में सजी कवियों की महफ़िल

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मुंबई। त्रिवेणी साहित्य संगम के तत्वावधान में अदिति बिल्डिंग कुर्ला मुंबई में सभी विधाओं में स्वरचित सुन्दर रचना से कवियों ने सभी को ओतप्रोत कर दिया। संस्था के संस्थापक सन्तोष खण्डेलवाल के घर पर साहित्य शिरोमणि किरण मिश्र की अध्यक्षता तथा डॉ अनंत श्रीमाली के संचालन गोष्ठी संपन्न हुई।

इस भव्य काव्य गोष्ठी में साहित्य की महान शख़्सियत मशहूर ग़ज़लकार हस्तीमल हस्ती, अशोक कुमार ‘नीरद’, डॉ. बनमाली चतुर्वेदी, श्री नरोत्तम शर्मा, अवनीश कुमार दीक्षित, श्रीराम शर्मा, डॉ शोभा स्वप्निल खण्डेलवाल, अलका अग्रवाल सिगतिया, कुसुम तिवारी, नीलम दीक्षित, श्रीकिशन अग्रवाल, राजू मित्र ‘कबीरा’, हीरालाल यादव ने काव्य पाठ किया।

तत्पश्चात संस्था के संस्थापक सन्तोष खण्डेलवाल ने सबका आभार व्यक्त किया। आयोजिका शोभा स्वप्निल खंडेलवाल एवं संतोष खंडेलवाल ने सुंदर व्यवस्था एवं स्वागत सम्मान बहुत ही विनम्रता अदब से किया। कुछ साहित्यकारों की रचनाएँ इस प्रकार रही-

कवियत्री शोभा स्वप्नील की रचना प्रसंसनीय रही-

खाली खाली था मन मेरा तुम पूनम बन चमके,
सारी सखियाँ पूछें गोरी रूप क्यों तेरा दमके।
कैसे बोलूँ लाज के डोरे आँखों में अलसाये,
अदभुत हालत है जियरा की पलकें उठ ना पाएं,
चले गये तुम लेकिन फिर भी, बसे हो धड़कन बनके।
सारी सखियाँ पूछे गोरी रूप क्यों तेरा दमके।
संग -संग बीते जो पल साजन खुशियाँ बाँट रहे हैं,
मन ही जाने हाल हमारा क्या-क्या ठाठ रहे हैं,
टिकुली गाये पायल नाचे हाथ का कंगना खनके।
सारी सखियाँ पूछे गोरी रूप तेरा क्यों दमके।
तुम मेरी बगिया के पुष्प नहीं हो ये अवगत है,
मेरी तो पतझड़ को पाने की ही बस आदत है,
बड़ा अनुग्रह जो तुम आये अतिथि मन उपवन के।
सारी सखियाँ पूछें गोरी रूप तेरा क्यों दमके।

नवी मुंबई के सुप्रसिद्ध गीत, गज़लकार अवनीश कुमार दीक्षित के दोहे सराहनीय रहे-

(1)
उनको वह सब दीजिए जिनको जो दरकार ।
मुझको अपना प्यार ही दे दीजे सरकार ।।
(2)
क्या कहते हैं बाइबल-गीता-ग्रंथ-कुरान ।
हे दीक्षित! हर एक में अपने को पहचान ।।
(3)
कहना चाहूं और कुछ कह जाऊं कुछ और।
कोई कह दे कथ्य को कह पाऊँ किस तौर ।।

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