कल मैंने करीब चार महीने पुरानी पोस्ट केशकला बोर्ड के विषय मे क्या डाली सबको लगने लगा कि मैं खुद बोर्ड अध्यक्ष बनना चाहता हू। तो बंधुओं ऐसा कुछ नही होने वाला आज दिन भर फेसबुक-सोशल-मिडिया पर यही चर्चा रही, लोगो के फ़ोन आने लगे, तो आप लोगो की जानकारी के लिए बता देता हू की ना तो मैं बीजेपी का समर्थक हु और ना ही कांग्रेस का समर्थक हू। जो समाज का साथ देता है, मैं उसके साथ हू। रही बात मेरी तो मैं मूलतः राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ का निवासी हू। जंहा मेरे परिवार के सदस्य है। मेरी जन्मभूमि होने के कारण मुझे इस धरती से मोह अधिक है, रही बात मेरे केशकला बोर्ड अध्यक्ष बनने की तो यह मेरा घंमड नही बल्कि समाज के लोगो के प्रति गुरुर और विश्वास है।
अगर संगठनों के समर्थन की बात करुँ तो राष्ट्रीय नाई महासभा के आजाद गांधी जी से अशोक सरणा जी और नारायणी सैना के सुनील गहलोत जी से लेकर राजैन्द्र टोकसिया जी और विमल भाटी जी से लैकर नाई उतथान समिति, मध्यप्रदेश के भारतीय सैन समाज से लेकर, सर्व सैन समाज के गोरे लाल जी, हैदराबाद, हरियाणा, कोलकाता, समाज, मुम्बई के समाज, गौहाटी समाज, उत्तरप्रदेश के कई संगठनों, बिहार, झारखंड, सूरत के सैन समाज, पूना, नाशिक, नाभित समाज और कई और राज्यो से सविता, नाभित, के समर्थन की लेटर पेड़ पर मोहर लगवा कर मुख्यमंत्री तक पहुँच सकता हु, जो आने वाले किसी बोर्ड अध्यक्ष के लिये संभव नही है पर मेरे यह सब करने से भी कांग्रेस सरकार अपने समथकों जैसे हरिप्रसाद जी हर्षवाल, महेंद्र जी गहलोत, विमल जी भाटी, श्रवण जी तंवर, मनीष जी पंवार, महेश जी पंवार, या जो आज तक किसी ने नही सोचा वो कोई अंजान चेहरे को ही बनाएगी जो कांग्रेस की वफादारी करेगा। वही उनकी हा मे हा मिलायेगा। वहीं बोर्ड अध्यक्ष बनेगा। जो मेरे जैसे के लिये संभव नहीं है।
मैं हमेशा कुछ बनने मे नही बल्कि बनाने मे विश्वास करता हूँ। हम बंगाल मे भी प्रयास कर रहे है और यहा भी मैं कभी नही बनूंगा बल्कि किसी और को बनाऊंगा, मै हिंदुस्तान मे आप सब की सहमति से एक राष्ट्रीय अध्यक्ष की कोशिश मे जैसै(किरोड़ीमल बैसला, महेद्र सिग टिकैत, कांसीराम, आदि)जिसकी एक आवाज पर सैकड़ों लोग सडको पर उतर जाये और कोई भी सरकार उनकी बात सुने, ताकी हम समाज मे राजनीति पर मजबूत हो, मेरी हमेशा यही इच्छा रहती है की हर राज्य से मेरे साथ कुछ निस्वार्थ समाजसेवी निकलकर बाहर आये ताकी”सैन परमार्थ सहायता” जैसी संस्था बनाकर अपाहिजों के लिये, बच्चियों की शिक्षा, विधवा महिलाओं की कुछ मदद कर सके और एक सैन समाज का राष्ट्रीय कोष बनाया जाय।
जब पुरे हिंदुस्तान मे हर जगह इतना मान संम्मान मिलता है ना कही होटलों में रुकना पड़ता है, जाते ही कोई अपनी गाड़ी दे देते हैं, बहुत लोग मिलने आ जाते हैं, नही मिलु तो प्रेमी नाराज भी हो जाते हैं जब इतना प्यार समाज से मिलता है तो फिर केशकला बोर्ड के लिये क्यो तरसु? हिंदुस्तान के हर राज्यो से सेकड़ो लोगों के समर्थन के लिये शुक्रिया धन्यवाद।
हा निकट भविष्य में समाज के लिये कुछ काम करने के बाद अगर लगा कि मेरा समाज हित के लिये राजनीति में आना जरूरी है तब की तब सोचेंगे पर पहले धरातल पर कुछ समाज हित मे काम किया जाए। सबके साथ मिलकर ताकि राजनीति, शिक्षा, बिजनेस, के क्षेत्रो मे हम स्थापित हो सके।