अमेरिका और ईरान की तनातनी देखकर तो लग रहा है कि अब दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के लिए तैयार रहना पडेगा। क्योकि जिस तरह अमेरिका और ईरान के तेवर में तल्खी देखी जा रही है वह केवल इन दोनों देशों को ही नही अपितु पुरे विश्व को खतरे की घंटी है। अमेरिका और ईरान के बीच शुरू हुए इस जंग को रोकने के लिए विश्व के अन्य देशों को आगे आकर शान्ति वार्ता की पहल बेहद जरूरी है। क्योकि इस युद्ध में तो जो नुकसान होगा वह तो होगा ही लेकिन बचे हुए लोगों की जिन्दगी भी कम दर्द भरी नही होगी। तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए विश्व के विभिन्न संगठन इस बात को प्रभावी बनायें जिससे अमेरिका और ईरान के बीच बने इस खतरनाक ईरादो को रोका जाए।
इस युद्ध की शुरूआत को लेकर जहां अमेरिका का तर्क है कि सुलेमानी एक आतंकवादी था। जबकि ईरान सुलेमानी को अपना एक अच्छा सैनिक व देशभक्त मानता है। वैसे सुलेमानी को लेकर अमेरिका तो कई दशक से परेशान है और मौका पाते ही उसे रास्ते से हटा दिया। जबकि अमेरिका का यह हमला ईरान के साथ ईराक के लिए भी नागवार गुजरा क्योकि उस हमले में ईराक का भी एक अच्छा सैनिक मारा गया। और इसी को संज्ञान लेकर ईरान ने अमेरिका के दूतावास पर हमला किया। फिर चल पडा दोनों तरफ से हमला का दौर। जहां अमेरिका ने एक यात्री विमान को मार गिराया वही ईरान ने भी अमेरिका के सैनिक बेस अड्डा पर भी हमला करके कई सैनिकों की जान ले ली। अमेरिका पहले ही क ह चुका है कि अब वह और नही बर्दास्त कर सकता है। अमेरिका ने जिस तरह अफगानिस्तान, ईराक में हमला करके जीत का स्वाद चखा लेकिन ईरान से दो दो हाथ करने पर स्थिति बिल्कुल उल्टा है। यदि इस युद्ध को नही रोका गया तो ईरान भले हो अमेरिका की आर्थिक और सैन्य क्षमता से कम है लेकिन अपने संभावित सहयोगियों खासकर चीन रूस की मदद से वह भी मुस्तैद है। क्योकि रूस चीन कही न कही अमेरिका की दखल से नाखुश है और विवशता वश ईरान का साथ देने को तैयार है। तो इसमें अमेरिका को भी कई देशों का समर्थन मिल रहा है जो कही न विश्व युद्ध को हवा देने में सहायक हो रहा है।
हालांकि ईरान ने भारत से इसमें मध्यस्थता करने की बात कही है लेकिन भारत का रिश्ता अमेरिका और ईरान दोनों से अच्छा है। और भारत को इस युद्ध को रोकने में भूमिका निभानी चाहिए। क्योकि यदि विश्व युद्ध होता है तो विश्व भर में कच्चे तेल के दामों में काफी बढोत्तरी होगी और विश्व की आर्थिक स्थिति भयावह हो जायेगी। जिससे महंगाई, बेरोजगारी, बीमारी और गरीबी काफी बढेगी। जो कही न कही भारत को भी प्रभावित करेगा। वैसे अमेरिका के इस फैसले से अमेरिका के विपक्षी नेता खुश नही है क्योकि वे लोग डोनाल्ड ट्रंप के इस निर्णय को जल्दबाजी में लिए गये फैसले मानते है। कुल मिलाकर विश्व के अन्य देश यदि अमेरिका और ईरान के बीच की तल्खी को कम करने के लिए एकजुट होकर शान्ति वार्ता की पहल नही करते है तो तीसरे विश्व युद्ध की चपेट में विश्व को जाने से नही रोक सकता है। अमेरिका और ईरान के तरफ से युद्ध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग देने वाले देशों को चाहिए की वे एक बार इस युद्ध को रोकने और शान्ति वार्ता के लिए प्रेरित करें। जिससे पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध से रोका जा सके। क्योकि शान्ति वार्ता से ही तीसरा विश्व युद्ध रोका जा सकता है।