मुंबईं। हरियाणा में जोड़ तोड़ कर सरकार बनाने वाली भाजपा के सीने में लगातार तीर के घाव बन रहे हैं और भाजपा सिर्फ छटपटा रही है। बिल्कुल उसी तरह है जैसे एक कमजोर व्यक्ति से पिटने के बाद भी रोकर अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर पा रहा हो, बल्कि वह एक ऐसी पटखनी देने के मूड में भी है। जिससे शिवसेना की बोलती बंद कर दे। शिवसेना लगातार आक्रामक मूड में दिखायी दे रही है। अपने मुखपत्र सामना में जिस तरह शिवसेना के बयान आ रहे हैं। उसका जवाब भाजपा को सूझ नहीं रहा है, लेकिन भाजपा अंदर ही अंदर जाल बुनने में भी लग गयी है। बुधवार को सरकार बनाने का दावा करके शिवसेना को पहला झटका देने वाले हैं।
महाराष्ट्र चुनाव नतीजों के ऐलान के साथ ही शिवसेना ने अपने तेवर कड़े कर लिए। शिवसेना अपने 50-50 फॉर्मूले के तहत सरकार चाहती है, जिसमें ढाई साल बीजेपी और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री हो। इस फॉर्मूले पर बीजेपी को राजी करने के लिए वो जमकर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही है। शिवसेना लगातार सख्त तेवर वाले बयान दे रही है। सोमवार को शिवसेना ने कहा था कि राजनीति में कोई साधु-संत नहीं होता। इस बयान के जरिए शिवसेना का इशारा था कि बीजेपी के साथ बात नहीं बनने की सूरत में वो कांग्रेस और एनसीपी के साथ जा सकती है। हालांकि उसके अंदर एक डर भी समाया हुआ है, जिसके कारण वह सिद्धान्त की बात भी कहती है।
5 साल पहले 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भी शिवसेना ने यही किया था। सीट बंटवारे के मसले पर बीजेपी-शिवसेना का 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया था, लेकिन 2014 के चुनाव नतीजों ने शिवसेना के तेवर ढीले कर दिए। 2014 में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिलीं। बाद में शिवसेना महाराष्ट्र की सरकार में शामिल भी हुई। डिप्टी सीएम की मांग पूरी न होने के बाद भी मजबूरी में बनी रही। हालांकि अपनी छटपटाहट छुपा नहीं पायी और सरकार पर हमले जारी रखे।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रही। शिवसेना अपनी पुरानी जमीन पाना चाहती है। 2014 से पहले महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में होती थी। महाराष्ट्र में बीजेपी अब बड़ी भूमिका में है। बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत भले नहीं मिल रहा हो लेकिन वो महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी है। इस बार बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं।सीट कम होने के बावजूद शिवसेना आदित्य ठाकरे को सीएम की कुर्सी दिलवाने पर अड़ी है।आदित्य को डिप्टी सीएम का पद मिलने के बावजूद शिवसेना उन्हें सीएम देखना चाहती है। भाजपा इसके लिये तैयार नहीं है।
महाराष्ट्र में 8 नवंबर तक सरकार का गठन होना है। बीजेपी ने बुधवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें विधानसभा में पार्टी का नेता चुना जाएगा। बताया जा रहा है कि शिवसेना पर दबाव बनाने के लिए बुधवार को ही बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। शिवसेना के आरोपों और धमकियां नजरअंदाज कर भाजपा सरकार बनाने के प्रति आश्वस्त दिख रही है। पिछले दिनों पीएम मोदी शरद पवार की तारीफ भी कर चुके हैं। शिवसेना को अपनी विचारधारा और सिद्धान्त को दरकिनार कर कांग्रेस और शरद पवार को एक पाले में खड़ा करना मुश्किल होगा, क्योंकि इससे मतदाताओं को धोखा देने जैसे होगा। दूसरी तरफ भाजपा शरद पवार के साथ मिलकर सरकार बना लेती है तो उससे उसे कोई नुकसान नहीं होगा।