भदोही: जंगीगंज के धनीपुर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के संगीतमय प्रवचन में शुक्रवार को पं विनोद माधव महराज ने कहा कि जो अपने पत्नी को धर्म मे लगाये वही धर्मपत्नी है। पत्नी नौका है और नाविक गुरू है।
जीवन रूपी यात्रा में गुरू स्वरूप नाविक की जरूरत होती है। कहा कि नारायण कवच का आश्रय लेने वाले के ऊपर किसी तरह का पाप शक्तियां प्रभावी नही होती। भक्ति के शरण में जाने वाला स्वयं ही भक्त हो जाता है। जिस तरह पति के विरह में पत्नी लालायित रहती है उसी तरह जीव को परमात्मा प्राप्ति के लिए लालायित रहना चाहिए। भगवान के बारे मे कहा कि भगवान कभी भी पक्षपात नही करते है क्योकि जो जिस भाव से भगवान को भजता है भगवान उसे वैसे ही भक्ति व कृपा प्रदान करते है। हिरण्यकश्यपु को अहंकार का रूप बताते हुए कहा कि अहंकार की समाप्ति भगवतशरण व भक्ति के शरण में जाने से ही समाप्त होता है।