Home खास खबर भदोही विधानसभा में सपा और भाजपा के बीच होगा कड़ा मुकाबला

भदोही विधानसभा में सपा और भाजपा के बीच होगा कड़ा मुकाबला

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भाजपा ने घोषित नहीं किया प्रत्याशी किन्तु वर्तमान विधायक का पलड़ा भारी

पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा की घर वापसी से मिलेगा भाजपा को फायदा

छोटे दल और निर्दलीय प्रत्याशी भी करेंगे भाजपा का नुकसान

सपा प्रत्याशी के खिलाफ फूटने लगे विरोध के स्वर

भदोही। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है किन्तु भदोही विधानसभा  में अभी तक भाजपा के प्रत्याशी  की घोषणा नहीं हुई है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व विधायक जाहिद बेग पर ही दांव खेला है। चर्चाओं की मानें तो भाजपा वर्तमान विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी को ही दोबारा मैदान में उतार सकती है। सपा प्रत्याशी के खिलाफ जहां विरोध के स्वर फूटने लगे हैं, वहीं भाजपा के लिये भी जीत की डगर आसान नहीं होगी। भाजपा यहां पर मोदी योगी के नाम पर वोट मांगेगी जबकि सपा के पूर्व विधायक अपनी सरकार के दौरान किये गये कार्यों पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं।

बताते चलें कि विगत दिनों बसपा छोड़कर भाजपा में घर वापसी करने वाले पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा के नाम पर भी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। कहा जाने लगा कि भाजपा श्री मिश्रा को भदोही विधानसभा से टिकट दे सकती है किन्तु दो दिन में ही  यह चर्चा गुमनामी में गोते लगाने लगी। श्री मिश्रा की तरफ से जो खबरें छनकर सामने आयी उसमें कहा गया कि वे बिना शर्त राष्ट्रहित में भाजपा के साथ आये हैं। पार्टी जो भी निर्णय लेगी उन्हें स्वीकार होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि वे मीरजापुर के मझवां या वाराणसी जिले के सेवापुरी विधानसभा से भी चुनाव लड़ सकते हैं। या फिर भाजपा उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देकर चुनाव प्रचार में लगा सकती है, ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें चेहरा बनाया जा सके।

हालांकि श्री मिश्रा को लेकर पार्टी क्या फैसला लेती है। यह तो समय के गर्त में छुपा हुआ है किन्तु एक बात तो तय है कि श्री मिश्रा के भाजपा में आने से पार्टी को भदोही में मजबूती मिली है। बीते वक्त में चार बार विधायक और भाजपा व बसपा की सरकारों में कई मंत्रीपद संभाल चुके श्री मिश्रा के जिले में काफी समर्थक हैं जो अब भाजपा के पक्ष में नजर आने लगे हैं।

भदोही विधानसभा से वर्तमान विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी के अलावा संतोष मिश्रा, शैलेन्द्र दूबे, भदोही नगरपालिका चेयरमैन अशोक जायसवाल, ओमप्रकाश पाण्डेय, रितेश तिवारी भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वर्तमान विधायक का पलड़ा भारी दिखायी दे रहा है। खैर भाजपा एक बड़ा राजनैतिक दल है और काफी मंथन के बाद ही कोई निर्णय लेता है, इसलिये अभी कुछ भी कह पाना अतिशयोक्ति होगी  किन्तु एक बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भदोही में भाजपा को सपा से  कड़ी टक्कर मिलेगी।

भाजपा प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिये राष्ट्रीय मुद्दों का ही सहारा है। राममंदिर, काशी विश्वनाथ कारिडोर, उज्जवला योजना, नि:शुल्क राशन आदि कार्यों और मोदी योगी के नाम पर लोगों से वोट मांगे जायेंगे। जबकि सपा प्रत्याशी के पास समाजवादी पार्टी की नीतियों के साथ अपने कार्यकाल के दौरान भदोही में किये गये विकास कार्य भी हैं। बता दें कि सपा सरकार के दौरान भदोही से मीरजापुर फोर लेन सड़क, भदोही से ज्ञानपुर और भदोही से दुर्गागंज की सड़क, कारपेट मार्ट, इंदिरा मिल रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज, भदोही नगर, चौरी रोड़, सुरियावां स्वास्थ्य केन्द्र पर नई इमारत सहित कई विकास कार्य ऐसे हैं जिनका जिक्र चुनाव में किया जा सकता है। वहीं भाजपा कार्यकाल में वरूणा नदी पर बने कुछ पुलों के अलावा ऐसा कोई विकास कार्य नहीं हुआ जिसका जिक्र चुनाव में किया जा सके। हां कुछ छोटे— मोटे कार्यों व ग्रामीण सड़को का जिक्र किया जा सकता है।

भदोही के लिये सबसे बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य सेवाओं का हैं। भदोही में कालीन बुनकर व मजदूरों की बड़ी आबादी हैं। किन्तु स्वास्थ्य सेवाएं लचर हैं। अधिकतर लोगों को निजी अस्पतालों या दूसरे जिलों पर आश्रित होना पड़ता है। 2008 में बसपा सरकार के दौरान सरपतहा में 100 शैय्या अस्पताल का निर्माण शुरू हुआ किन्तु भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। भाजपा के पांच साल के शासनकाल में युवाओं द्वारा हुये आंदोलन के बाद भी किसी प्रतिनिधि ने जन भावनाओं का सम्मान नहीं किया। सपा सरकार में आनन्द नगर गजिया में शुरू हुये ओवरब्रिज का निर्माण भी पांच साल में पूरा नहीं हो पाया।

भाजपा को निर्दलीय व छोटे दलों के प्रत्याशियों द्वारा भी कुछ नुकसान पहुंचने की प्रबल संभावना है तो सपा को अभी से विरोध से सामना करना पड़ रहा है। टिकट न पाने से नाराज कुछ सवर्ण बिरादरी के कुछ मौसमी सपाई विरोध कर रहे हैं तो काफी दिनों से टिकट की आस पाले कुछ पुराने सपाई भी अपने समर्थकों से प्रत्याशी का पुतला फुंकवाने में जुटे हुये हैं।

हालांकि पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा के भाजपा में आने से भी काफी लाभ मिलेगा। इसके लिये हमें पिछले यानि 2017 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालनी होगी। जिसमें चुने गये विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी ने 79,519 वोट पाये थे जबकि दूसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी जाहिद बेग 78,414 वोट। मात्र 1105 वोट से चुनाव जीते थे। जबकि तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र को 56555 वोट मिले थे। वहीं निषाद पार्टी से चुनाव लड़े डा. आरके पटेल को भी 11,433 वोट मिले थे।

योगी और मोदी के लहर में भी मात्र 1105 वोटो की जीत ही बताती है़ कि मुकाबला इस बार कड़ा होगा! हालांकि पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा का भाजपा में शामिल होना वोट प्रतिशत बढ़ा सकता है़! किन्तु पिछली बार डा पटेल को मिले लगभग साढ़े 11 हजार वोट में अधिकतर वोट पिछड़े समुदाय के थे । वह वोट इस बार किधर जाएंगे यह अभी कहना उचित नही होगा!

हालांकि दोनो तरफ से इस बार भितरघात होने  की संभावना अधिक है़! जो जाहिद बेग को टिकट मिलने के बाद देखा जा रहा है़! यदि वर्तमान विधायक को टिकट मिलता है़ तो उनके साथ भी वही होगा । जो नए चेहरे टिकट की आस लगाए बैठे थे वे सिर्फ इसलिए अंदरखाने से अपनी पार्टी को  हराने की कोशिश करेंगे ताकि जीतने के बाद अगली बार फिर वही दावेदारी पक्की न कर ले और उनका सपना अधूरा ही रह जाए! खैर चुनाव में यह होना सामान्य बात है़ किन्तु मुकाबला इस बार फिर नजदीकी ही होगा!

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