Home मुंबई भाण्डुप के इन लड़कों ने दिखाई मानवता

भाण्डुप के इन लड़कों ने दिखाई मानवता

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मुम्बई। कहते है कि डुबते को तिनके का सहारा। जी हा कुछ ऐसे ही हुआ आज मुम्बई उपनगर के भाण्डुप मे पुणे से मुम्बई आये भीमराव गायकवाड़ जिनकी उम्र 62 वर्ष थी। गायकवाड़ एक गरीब परिवार से आते है, उनके भाई की तबीयत खराब होने की सुचना पाकर वो मुम्बई उससे मिलने आये, पर तीन दिन से लगातार हो रही बारिश और यातायात मे अव्यवस्था होने के कारण दो दिन दर-दर भटकते रहे और समय से लौट भी नहीं सके।

बुधवार सुबह भारी बारिश के कारण ट्रेनों की आवाजाही बंद हो गई जिससे गायकवाड़ जी मायूस होकर कान्जुरमार्ग बैठे रहे घण्टों। उनके पास मे घण्टों ट्रेन के इन्तजार मे बैठे उपेंद्र जो की भाण्डुप के तुलशेतपाड़ा मे रहते हैं, उन्हें उस बुजुर्ग को बार-बार देखकर उनके मन मे आशंका पैदा हो रही थी कि शायद यह बुजुर्ग मुसिबत मे है। उपेंद्र से रहा नहीं गया और उन्होंने उस बुजुर्ग से पुछ ही लिया कि ‘काका क्या हुआ है? आप बहुत परेशान लग रहे हो?फिर क्या गायकवाड़ जी फुट-फुट कर रोते हुये अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि पुणे से मुम्बई अपने बिमार भाई से मिलने आये थे। मंगलवार को रात आठ बजे उनकी ट्रेन थी दादर से पर ट्रेनो के आवाजाही मे लेट लतीफी के कारण ट्रेन छुट गयी। थोड़े बहुत पैसे थे जो उनके पास वह जल्दबाजी मे ट्रेन पकड़ने के चक्कर में आटो के किराये मे खर्चे हो गये और ट्रेन भी नहीं मिली। जिससे थकहार वो फिर कान्जुरमार्ग स्टेशन पर उतर गये और रातभर भुखे वही बैठे रहे।

उपेंद्र ने उनकी यह व्यथा सुनकर तुरन्त अपने मित्र प्रशांत सिंह को फोन किया और गायकवाड़ को आटो रिक्शा मे बैठाकर भाण्डुप लाये उन्हें खाना खिलाया, कुछ पैसे दिये रास्ते के लिए। इसके बाद दुसरी आटो रिक्शा से ले जाकर ठाणे वंदना टाकीज के पास से पुणे के लिए जाने वाली बस का टीकट लेकर उन्हें बस मे बैठाकर उनके गन्तव्य स्थान पर भेज दिया।

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