Home जौनपुर अपराधियों का अड्डा बन चुका है जौनपुर का यह क्षेत्र

अपराधियों का अड्डा बन चुका है जौनपुर का यह क्षेत्र

आलमगंज। भदोही जिले की सीमावर्ती जौनपुर जनपद की आलमगंज बाजार इन दिनों असामाजिक कारनामों से चर्चा में है। गत पखवाड़े मामुली बात को लेकर जिस तरह स्थानीय लोगों ने मनबढ़ बाहरी युवाओं के साथ मारपीट कर उनके वाहन फूंके और बदले में कई दिन बाद मनबढ़ों ने जिस तरह से दुकानों में आग लगायी उसे लेकर उपजी दहशत भीतर ही भीतर सुलग रही है। आलमगंज बाजार बरसठी थाना क्षेत्र में है। इससे एक किमी दूर पूरब का क्षेत्र रामपुर थाना में आ जाता है। दो थानों की सीमा पर बसी बाजार में पुलिस की वह हनक नहीं है जो होनी चाहिये। सीमान्ती क्षेत्र होने के नाते असमाजिक तत्वों को यह क्षेत्र मुफीद ठौर लगता है।

सीमान्ती क्षेत्र और वरूणा नदी की तलहटी होने के कारण भौगालिक स्थिति भी ऐसे लोगों के लिये अनुकूल है जो विघ्न संतोषी हैं। ऐसे लोगों को कूसाघाट पुल या आसपास का क्षेत्र गोपीपुर घाट अथवा आलमगंज भदोही मार्ग के विषेनपुर, पोखरा विजयगिर के बीच वह करीब एक किमी का वीरान क्षेत्र इनके रूकने अथवा वारदात करने के पूर्व की रणनीति बनाने का ठिकाना बनता जा रहा है। यह वही क्षेत्र है जहां पूर्व के समय में कई बार छिनैतियां हो चुकी हैं। विघ्न संतोषियों का आतंक ऐसा कि इसी वीरान क्षेत्र में लाखो खर्च कर पक्का मकान बनाया एक विश्वकर्मा परिवार गृह प्रवेश नहीं कर पा रहा है।

कुछ माह पूर्व ही घर की देखभाल करने पहुंचे विश्वकर्मा परिवार के एक लड़के से मनबढ़ों ने बलात सोने की चैन छीन ली थी। इसी स्थान के आसपास एक बीड़ी व्यवसायी से भी हजारों की छिनैती भी हुई थी। उक्त मामलों का खुलाशा आज तक नहीं हुआ। जिससे मनबढ़ों का हौसला सातवें आसमान पर है। स्थिति यह है कि शाम झलते ही वह क्षेत्र असामाजिक तत्वों और दिलफेंक जोड़ों का प्रिय स्थान बन गया है। विश्वकर्मा मकान के पीछे बगीचे में दूरदराज से आने वाले जोड़े भी रात रंगीन का लुत्फ लेते हैं। उनलोगों की मौजूदगी क्षेत्रीय और राहगीरों के लिये दहशत का सबब बना हुआ है।

इसकी शिकायत भी पिछले दिनों विजयगिर निवासी शिक्षक आशीष पाण्डेय के यहां औपचारिक भ्रमण में आये रामपुर थानाध्यक्ष सुनील दत्त से भी की गयी थी। किन्तु अभी तक कुछ होता नहीं दिखा। हालांकि यह जरूर हुआ कि रामपुर पुलिस की गश्त आलमगंज रोड से लेकर बगहीं घाट तक देखी जाने लगी है। बावजूद मनबढ़ों की मौजूदगी कम नहीं हुई।

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