एक बड़ी पुरानी कहावत है, यदि पैसे के दम पर ही कोई राजनीति के शिखर पर पहुंच जाता तो आज सारे उद्योगपति सांसद और विधायक होते। यहीं कहावत चरितार्थ हो गयी मुम्बई के उद्योगपति पर जो सांसद बनने का सपना संजोकर अपनी जन्मभूमि में राजनीति करने आया था। अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन भी नहीं हुये थे कि भाजपा और सपा के बीच सैण्डविच बनकर रह गया है।
जी हां! हम बात कर रहे हैं सुरियावां के जगतपुर निवासी राजेन्द्र बिन्द का जो जिन्दगी भर बिजनेश करने में लगे रहे और पैसा कमाने के बाद अपने जनपद में राजनीति करने आये किन्तु राजनीति के धुरन्धरों ने उन्हें ऐसा लपेटा कि अब उन्हें यह समझ में ही नहीं आ रहा होगा कि राजनीति की इस नदी में कौन से किनारे पर पनाह लें।
बता दें कि मुम्बई सहित विदेश में भी अपने व्यवसाय का जाल फैला चुके रोजन्द्र बिन्द को राजनीति का चस्का लगा तो वे भदोही चले आये और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। लालसा थी कि यदि 2019 में किस्मत ने साथ दिया तो भदोही से दिल्ली का सफर तय कर लेंगे, लेकिन इस छोटे से जिले में राजनीति के कितने बड़े धुरन्धर अपनी चालें चलते हैं इसका शायद उन्हें तनिक भी अहसास नहीं था।
सपा के जिला कार्यालय पर हुई बैठक के दौरान एक छोटी सी घटना ने राजेन्द्र बिन्द को विवाद में ला दिया। शायद अपने मनोभाव पर ही नियंत्रण न कर पाना और भदोही की राजनीति में वर्षों से अपनी गोटी जमाकर बैठे लोगों को उनका व्यवहार रास न आना ही दुखद हो गया। बात यहां तक पहुंची कि तूं—तूं मैं—मैं से लेकर मारपीट तक की नौबत आ गयी। सपा के पुराने धुरन्धरों पर मुकदमा दर्ज कराना और बड़ी मुसीबत बन गया। शायद राजेन्द्र उन धुरन्धरों की चाल को नहीं समझ पाये और आवेश में आकर शतरंज की चाल का मोहरा बनते गये। पार्टी ने उन्हें टिकट की लाइन में खड़ा होना तो दूर पार्टी से बाहर जाने का ही टिकट थमा दिया।
पार्टी से निकाले जाने के बाद राजेन्द्र बिन्द की बौखलाहट और बढ़ गयी। उनके समर्थकों ने मुश्किल से दर्जन भर लोगों को खड़ा करके सपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का नाटक कर दिया जो उनके लिये और भी घातक बन गया। अब इसका लाभ उठाने से भाजपा कहां चूकने वाली थी। बसपा से भाजपा में आये मदनलाल बिन्द ने मौके पर चौका जड़ते हुये इसे बिन्दों का अपमान ही नहीं बताया बल्कि सपा के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव के भाई पर भदोही से सांसद रही फूलन देवी की हत्या का आरोप लगाते हुये सपा को बिन्द समाज का दुश्मन ही बना दिया। सपा और भाजपा की चाल में फंसे राजेन्द्र बिन्द अब भदोही की राजनीति में पैठ बना पायेंगे कि नहीं यह तो वक्त ही बतायेगा किन्तु इस समय दोनों पार्टियों के धुरन्धरों ने उन्हें भदोही की राजनीति में सैण्डविच बनाकर अपनी अपनी गोटी सेंकने में लग गये हैं।