गोपीगंज कोतवाली में बंद रामजी मिश्रा के परिवार की हालत रो—रोकर खराब है। लोगों का आवागमन बराबर बना हुआ है। कुछ लोग तो सहृदयता दिखाकर उनकी मदद करने आ रहे हैं वहीं बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो फोटो खिंचाकर सियासत भी करने पहुंच रहे हैं। आईये बताते हैं कि क्यों घटित हुआ पूरा मामला और कैसे हुई रामजी मिश्रा की मौत
जमीन के विवाद में गये थे कोतवाली
गोपीगंज के फूलबाग में रहने वाले रामजी मिश्रा और अनिल मिश्रा दो भाई हैं। उनके पिता की मौत हो चुकी है और मां जिन्दा हैं। रामजी की एक बहन है जो अपने मायके में ही रहती हैं। बंटवारे को लेकर काफी दिनों से विवाद चला आ रहा था। रामजी मिश्रा की मां चाहती थी कि संपत्ति का चार हिस्सा हो जबकि दोनों भाई तीन हिस्सा चाहते थे। इसी बात को लेकर शुक्रवार को महिलाओं में विवाद हो गया था। इसके बाद दोनों भाई इस मामले को लेकर कोतवाली पहुंचे थे।
पुलिस मामले को सुलझाने के बजाय छोटे भाई को पीटने लगी, जिससे उसके कान से खून निकलने लगा। यह देखकर बड़े भाई रामजी मिश्रा का दिल पिघल गया। उसने पुलिस वालों से हाथ जोड़कर गुहार लगायी कि साहब मेरे भाई को मत मारिये। इसके बाद बीमार रामजी मिश्रा को पुलि वालों ने पीटना शुरू कर दिया। पीटने के बाद उसे हवालात में डाल दिया गया।
कानून को ताक पर रखकर डाला हवालात में, बिगड़ी हालत
नियमानुसार किसी आपोरी को तबतक हवालात में बंद नहीं किया जाता जबतक वह किसी संगीन अराध में पकड़कर न लाया गया हो। यदि किसी मामले में कोई व्यक्ति पकड़कर लाया भी गया है तो पहले उसपर चार्ज लगाया जाता है उसके बाद ही उसे हवालात में बंद किया जाता है। रामजी मिश्रा किसी संगीन अपराध में नहीं लाया गया था, लेकिन फिर भी बिना लिखा पढ़ी के उसे हवालात में बंद कर दिया गया। बेटियां बाहर अपने पिता की बीमारी की दुहाई देती रही लेकिन पुलिस वाले बाहर बैठकर कहकहे लगाते रहे। हवालात में बंद पिता की बीमारी से घबराई बेटियों की आवाज पुलिसवालों के कानों में नहीं पहुंच रही थी।
उधर, हवालात में बंद रामजी मिश्रा की हालत बिगड़ती जा रही थी। अंदर उसका दम घुट रहा था। मार्थ पर पसीने की बूंदे चुहचुहा रही थी और वह बाहर निकालने के लिये रो रहा था। उधर उसके परिजनों को पुलिस वालों ने बंद करने की धमकी देकर कोतवाली से भगा दिया। हवालात में बंद मृतक का भाई और उसमें बंद दो और लोगों ने उसे बाहर निकालने के लिये कहा किन्तु पुलिस गूंगी बहरी हो चुकी थी। पुलिस की संवेदनायें मर चुकी थी। थोड़ी ही देर में रामजी मिश्रा तड़प तड़प कर मर गया।
पुलिस के फूले हाथ पांव, घटना छुपाने की कोशिस
जब रामजी मिश्रा तड़प कर हवालात में अपनी जान दे दी तो पुलिस वालों के हाथ पांव फूल गये। परिजनों को फोन करके बताया गया कि उसकी तबियत खराब हो रही हैं और उसे अस्पताल ले जा रहे हैं। इसके बाद मृतक के शव को गोपीगंज सीएचसी ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बावजूद मौत को छुपाने की कोशिस की और उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया। मृतक की बेटी दीपाली का कहना हैं कि शव पर आक्सीजन मास्क लगाकर यह जताने की कोशिस की गयी कि वह अभी जिन्दा है और उसका इलाज चल रहा है। लोग जान चुके थे कि रामजी मिश्रा मर चुका है फिर भी खुद को बचाने में पुलिस वाले लगे थे। दीपाली का कहना है कि मामले को रफा दफा करने के लिये उसे 70 हजार देने की लालच कोतवाल सुनील वर्मा ने दिया। वहीं बेटियों के लिये मां कंचन मिश्रा की आंखों में छुपा खौफ बता रहा है कि उसे शायद धमकी भी दी गयी है।
प्रशासन की संवेदनाहीनता ने मामले को किया गंभीर
हवालात में हुई मौत के बाद भी जिले के आला अधिकारी अपने मातहत को बचाने में लगे रहे। पुलिस अधीक्षक सचीन्द्र पटेल मामले की जांच करने की बात कहकर टाल मटोल करते रहे। यदि पहले ही दिन उच्च अधिकारी संवेदना दिखाते तो मामला इतना गंभीर नहीं होता, लेकिन संवेदनहीनता की सीमा को पार कर गये जिलाधिाकरी और पुलिस अधीक्षक के अंदर की मानवता जगी नहीं और पीड़ित परिवार का हाल जानने की जहमत नहीं उठाये। दिनभर इसकी कोशिस होती रही कि किसी तरह शव को जलाकर मामला रफा दफा कर दिया जाय। शाम को हुये थोड़े से बवाल के बाद शव तो जला दिया गया किन्तु सुबह होते ही परिजनों ने चक्काजाम कर प्रशासन की नींद उड़ा दी। पुलिस वालों ने इस विरोध को कुचलने के लिये भीड़ को भगाना शुरू कर दिया। आसपास की दुकानों को बंद करा दिया ताकि बेटियां निराश होकर और खुद को अकेली जानकर शान्त हो जायें किन्तु बेटियां सड़क पर डटी रहीं। अंत में एसडीएम ज्ञानपुर के आश्वासन के बाद ही सड़क पर से उठी। अफसोसजनक यह है कि घटना के तीसरे दिन भी जिले के एसपी डीएम की मानवता नहीं जागी और वे पीड़ितों को सात्वना देने नहीं गये।
किसी ने की सियासत, किसी ने दिखायी मानवता
यह मौत किसी वोटबैंक की नहीं बल्कि एक ब्राह्मण की थी। इसलिये शव में भी जाति धर्म की तलाश शुरू हो गयी। घटना के पहले दिन बिलखती बेटियों को सांत्वना देने कोई नहीं पहुंचा। ऐसे मामलों में गंभीर रूख अपनाने वाले जिले के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा दिल्ली में इलाज के लिये गये थे। घटना के दूसरे दिन जब ‘हमार पूर्वांचल’ ने नेताओं के जमीर को जगाना शुरू किया तो सबसे पहले भदोही विधायक रविन्द्रनाथ त्रिपाठी उसके घर जाकर सांत्वना दिये किन्तु अपनी जेब से एक भी पैसे की मदद करने की कोशिस नहीं की। बल्कि उसके बाद पहुंचे ब्राह्मण युवजन सभा के जिलाध्यक्ष अंबरीश तिवारी ने खुद की जेब से 51 सौ रूपये की सहायता दी जो समाजसेवा का दंभ भरने वाले सियासतबाजों के मुंह पर तमाचा था। इसके बाद सपा के दिग्गजों ने मौजूदगी दिखाी और फोटो खिंचाकर चलते बने।
बाहुबली ने लूटा भदोही का दिल
ऐसे मामलों में अपनी दरियादिली के लिये मशहूर भदोही जिले के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा दिल्ली से लौटते ही सबसे पहले पीड़ित परिवार के घर पहुंचे और भदोही वालों का दिल लूट लिया। परिवार के प्रति संवदना ही नहीं प्रकट किये बल्कि साढ़े चार लाख की त्वरित सहायता राशि प्रदान की। साथ में उनके साथ आये डीघ और ज्ञानपुर के ब्लाक प्रमुख ने भी एक—एक लाख और गोपीगंज चेयरमैन प्रहलाददास गुप्ता ने भी 50 हजार रूपये की सहायता राशि देने का वचन दिया। वहीं शाम को पहुंचे स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित पीयूष ने सबसे छोटी पुत्री खुशी मिश्र के उच्च शिक्षा तक का सारा खर्च द्वारा उठाने का आश्वासन दिया। पुत्री के उच्च शिक्षा के बाद उसके विवाह के लिए भी सारा खर्च उठाने का आश्वासन दिया।
क्या है पीड़ित परिवार की हालत
मृतक रामजी मिश्रा के परिवार की हालत बहुत ही दयनीय है। एक ही कमरे में पूरा परिवार रहता है। मृतक आटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। उसके जाने के बाद परिवार बेसहारा हो गया है। मृतक की तीन बेटियां हैं, जिसमें बड़ी बेटी दीपाली की शादी 2016 में गोरखुपर निवासी रत्नेश त्रिवेदी से हुई है। दूसरी बेटी रेनू मिश्रा 17 वर्ष की है जो बी.काम. प्रथम वर्ष की परीक्षा दी है। तीसरी बेटी खुशी मिश्रा 15 वर्ष की है जो 10वीं की छात्रा है। वहीं सबसे छोटा पुत्र ओम मिश्रा 13 वर्ष का है जो अपने खेलने खकूदने की उम्र में पिता की मुखाग्नि देकर बैठा है। वहीं मृतक की पत्नी कंचन की आंखों के सामने पति की मौत के बाद बेटियों की चिंता की लकीरें दिख रही हैं। हवालात में हुई मौत के बाद प्रशासन का जो रवैया है उससे पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा कि नहीं लेकिन प्रशासन की संवेदनहीनता सवाल अवश्य खड़े कर रही है।
एकदम सटीक खबर
आँखे नम हो गई पढ़ कर !
जितनी भी निंदा की जाए कम है भदोई गोपीगंज थाने की !
कड़ी कार्यवाही और जाँच की आवश्यकता CBI द्वारा इस मामले मे !
सुनकर बड़ा अफसोस हुआ,
पुलिस वालों ने अपने पावर का कितना गलत दुरुपयोग किया है यह सुनकर बड़ा अफसोस हो रहा है इस मामले की जांच सीबीआई के हाथ में दे देनी चाहिए. जो भी इस मामले में इन्वॉल्व है उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए.
हरीश जी बेबाकी से समाचार लिखने के लिए साधुवाद जितना संभव हो न्यायोचित समाचार लिखते रहिए
Mishra Ji ko nyaay dilaa ke maanenge. police gundagardi ko tilanjali deke rahenge.
थाने की टीम को तभी निलंबित कर देना चाहिए था जब कुछ दिन पहले पकडे गये गहने चोर को बचाकर पैसे खाने का प्रयास किया था,तब शायद इनके होश ठिकाने आ जाते।
अफसोस की रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं।
बेबाकी से हर शब्द लिखने के लिए आपका आभार