पवन कुमार मिश्रा
सुरियावां स्टेशन को बाहर से देखने पर लगता है कि यहाँ आधुनिक सुविधाएं उबलब्ध है पर आंतरिक ढंग से देखा जाय तो भदोही के पुराने स्टेशनों में से एक जो अंग्रेजों के जमाने से है का हाल दूर के ढोल सुहावन जैसा है । सुरियावां स्टेशन का प्लेटफार्म लगभग एक किलोमीटर की दूरी को कवर करता है पर पानी की सुविधा एक हैंडपम्प पर वो भी अधिकतर खराब रहता है। यहाँ से देश के लगभग हर कोने से आने और जाने के लिए ट्रेन है। हालांकि कुछ के ठहराव नही है फिर भी जितनी ट्रेनों का ठहराव है उनके अनुरूप कोई भी सुविधा नही है । स्टेशन की बाहरी दिखावे के अनुसार यहाँ कम से कम दो चार प्याऊ की सुविधा होनी ही चाहिए । दोनों प्लेट फॉर्म पर कम से कम दो हैंड पम्प की सुविधा होनी चाहिए।
भदोही जिले के जंघई और भदोही स्टेशनों के बीच तीन छोटे छोटे स्टेशन है सराय कंसराय सुरियावां और मोढ और इन तीन स्टेशन के बीच किसी भी स्टेशन पर रिजर्वेशन की सुविधा नही है जबकि जंघई और भदोही के बीच सुरियावां से यात्रा करने के लिए कम से कम 200 गावो के यात्री आते है । यदि किसी यात्री को रिजर्वेशन करना हो तो सुरियावां से उसे या तो भदोही या फिर जंघई जाना होता है जो सुरियावां के केंद्र में आने वाले गावो से कम से कम 15 से 25 किलोमीटर की दूरी पर आता है।
जिससे लोगो को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। कहने के लिए भदोही में तीन तीन विधान सभा के विधायक (औराई भदोही और ज्ञानपुर) है ।और उनके साथ एक सांसद है पर विकास के नाम पर कुछ नहीं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार का स्लोगन है सबका साथ सबका विकास तब फिर क्यों सुरियावां स्टेशन की अनदेखी हो रही है। क्या यहाँ के विकास से किसी को कोई तकलीफ है या फिर सरकार यहा सुविधा देना ही नही चाहती यहाँ के लोगो को ऐसे ही तकलीफों का सामना करना पड़ेगा।