सूरत। सदियां बीत जाने के बावजूद, आज भी, नारी शोषण से मुक्त नहीं हो पाई है। उसके लिए दहेज सबसे बड़ा अभिशाप बन गया है। लडक़ी का जन्म माता-पिता के लिए बोझ बन जाती है। परंतु आज समाज कुछ ऐसे लोग सामने आ रहे है जिनकी कोटि कोटि प्रशंसा करना भी शायद कम पड़ जाय जी हा ऐसा ही कुछ वाकया हुआ है सूरत में पूर्वान्चल के भदोही जिले के अभोली ब्लॉक के सराय भाव सिंहपुर छनौरा के आद्या पांडेय जी के यहाँ जिनके लड़के का वरक्षा 25 जून को सूरत में ही हुआ । पूर्वान्चल के लोगो में एक ऐसी प्रथा भी प्रचलित है विदाई की । जिसमे कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष के घर की औरतों बच्चो और नात रिश्तेदार को विदाई स्वरूप पैसे या दूसरी चीजे दी जाती है जिसे मिलना की संज्ञा दी जाती है अतीत में मिलना को लेकर वाद विवाद में कई बार अतीत में शादियां भी टूट भी जाती थी परंतु पांडेय जी के परिवार ने कन्या पक्ष से मिलना न लेने का फैसला किया गया और पूर्वान्चल के तमाम सामाजिक लोगो की उपस्थिति में इस मिलना को बंद कराने का आग्रह भी किया गया जिससे कन्या पक्ष के लोगो को बहुत खुशी हुई। इस विषय पर हमार पूर्वान्चल के रिपोर्टर से हुई बात चीत में जौनपुर के मडियाहू क्षेत्र के और सूरत में पूर्वान्चल वासिवो के अग्रणीय और समाज सेवी मुन्ना तिवारी ने बताया कि विवाह शादी में वर पक्ष द्वारा कन्या पक्ष पर इस बात को लेकर विरोध करना चाहिए और यदि कन्या पक्ष की हार्दिक इच्छा हो तो इसे वे दूसरे तरीके से भी कन्या दान स्वरूप दे सकते है पर मिलना का तो विरोध समाज के लिए एक अच्छी पहल है । मिलना भी दहेज का एक अंग है जिससे कई बार कन्या पक्ष को तकलीफ भी उठानी पड़ती है कई तरह के ताने बाने भी सहने पड़ते है ।
मुन्ना तिवारी जी ऐसी कई शादियों में ऐसा करवा चुके है और लोगो को भी इस बात को लेकर जागरूक भी करते है कि दहेज समाज का एक कोढ़ है चाहे वह मिलना स्वरूप ही क्यों न हो ।
हमार पूर्वान्चल इस नई पहल को खूब खूब हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता है और ऐसे समाज के सेवियो की प्रशंसा करता है।