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मेले के अंतिम दिन भी हजारों की भीड़ ने उठाया मेले का लुत्फ

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सीतामढ़ी मेला
सीतामढ़ी मेला

 

लगाई गंगा में डुबकी, मन्दिरों में टेका मत्था

सीतामढ़ी भदोही। लवकुश जन्मोत्सव के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली में चल रहे नौ दिनी अखिल भारतीय राष्ट्रीय रामायण मेले का रविवार देर शाम को समापन हो गया। मेले के अंतिम दिन सुबह भगवान भास्कर ने आंखें खोली तो दोपहर बाद इंद्रदेव बीच – बीच में रिमझिम फुहारों से मौसम खुशनुमा बना दिए। जिस कारण लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। उमड़े जनसैलाब ने जमकर मेले का आनंद उठाया। मेले में जहां मौत का कुआं लोगों के मनोरंजन का मुख्य केंद्र बना रहा वहीं बच्चों ने छोटे झूले व बड़ों ने बड़े झूले का पूरे मस्ती के साथ मनोरंजन लिया। मेलार्थियों ने मेले में सर्कस, जादूगरी का खेल भी देखा तथा रेलगाड़ी वाले झूले का भी जमकर मजा लिया। मेले में जलेबी पानीपूरी चाट व आम की दुकानों पर लोगों की भीड़ नजर आई। चाउमीन मंचूरियन का भी हजारों ने स्वाद चखा तो कुल्फी आइसक्रीम व कोल्डड्रिंक लोगों को गर्मी से राहत दिलाने का माध्यम बना रहा। उधर मेले में लगी मनिहारी की दुकान पर नवयुवतियों व महिलाओं की खासी भीड़ दिखी जहां श्रृंगार के सामान की खरीददारी हुई। वहीं गृहस्थी सहित विभिन्न प्रकार की हजारों दुकानों से महिलाओं बच्चों सहित अन्य मेलार्थियों ने मेले में खूब खरीददारी की। बच्चे खिलौने खरीदने के लिए बड़ों से जिद करते दिखे। इसकेे पूर्व सुबह से दोपहर तक हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि गंगा घाट पर भक्ति व आस्थारूपी डुबकी लगाई। सीतामढ़ी समाहित स्थल का जानकी मंदिर हो या भोलेनाथ की गुफा , 108 फ़ीट ऊंचे बजरंगबली का मंदिर हो या महर्षि वाल्मीकि आश्रम के नाम से विख्यात पुराना राम जानकी मंदिर , शांति का प्रतीक उड़िया बाबा का आश्रम हो या धवासानाथ का मंदिर हर जगह शीश झुकाकर मनोकामना पूर्ति हेतु पूजा आराधना हेतु सुबह से शाम तक भक्तों की लम्बी कतारें लगी रही।

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