गुरु जी आज सभी विद्यार्थीयों को घूमाने ले जा रहे थे, सब बच्चे बहुत खुश थे क्यो कि घुमाते वक्त भी गुरु जी बच्चो को पढाते है, ऐसा ज्ञान देते थे कि वह बच्चो के मन मस्तिष्क में छप जाता था हमेशा के लिये याद करना नही पड़ता था।
आज गुरु जी अपनी बनाई प्रयोगशाला में लेकर गये वहाँ पहले गांधी जी के तीन बंदर बैठे थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, गुरु जी ने इनके मतलब बताकर आगे बढे, कई चीजे दिखाते समझाते रहें,
कुछ घूमने के बाद गुरु जी दिखाते है तीन मिट्टी के पुतले, पहले पुतले के दोनो कानों में छेंद, दूसरे के मूंह में छेंद था, तीसरे के सिर्फ एक कान में छेंद था।
सब बच्चो को उत्सुकता थी क्या है इसका रहस्य? गुरु जी ने कहाँ बच्चो यह तीनों तरह के लोग आपके जीवन में आयेंगे। आप को सतर्कता पूर्वक सबको पहचानना है और मित्रता करनी है। पहला पुतला जो आपकी बाते तो सुनेगा पर एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देगा, भैस के आगे बीन बजाना कहना सुनना व्यर्थ।
दूसरी तरह के लोग आपकी बात सुन कर बहार सबके सामने कह देगे, इनके पेट में कुछ नही पचता जब तक कहेंगे नही चैन नही पाते, आप का मज़ाक़ बनायेगे ये दोनो तरह के लोग बहुत ख़तरनाक होते है। इनसे बचना चाहिये।
तीसरे तरह के लोग आपकी बात सुनेंगे व अपने तक ही रखेंगे, किसी से कुछ नही कहेंगे, ये बहुत भरोसे वाले होते है, बच्चो बहार की दुनिया में अपनी जिंदगी में आप ऐसे ही व्यक्ति की खोज कर दोस्त बनाना, ये लोग आपकी बाते सुनेंगे आपको समझेंगे, आप इन पर भरोसा कर सकते हो। सलाह ले सकते हो। भविष्य में ये आपकी ताक़त बनेंगे। आप अपना दर्द, राज, सब बया कर हल्के हो सकते हो यही आपके सच्चे दोस्त होंगें।
मेरी यह तीन – छेंद वाली बाते समझ आई व इन छेंदो का रहस्य भी जान गये।
तो कल से आप लोग आश्रम छोड संसारीक जीवन जीने के लिये आज़ाद हो, आपकी घर वापसी की तैयारी थी, अब जगत के कठोर परिवेश में आपको हर कदम सोच समझ के सही उठाना है। तभी आप मेरा नाम व ज्ञान का प्रकाश जगत में फैला पाओगे।