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एक कोटेदार को बचाने के लिये डीएसओ कार्यालय ने की हर हदें पार

भदोहीl सरकार गरीबों के उत्थान लिये तरह तरह की कल्याणकारी योजनायें लाकर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के लिये कमरकस कर तैयार है लेकिन विभागों में बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी गरीबों का हक लूटने वालों के साथ मिलकर बंदरबाट करके फर्जी व मनमानी जांच रिपोर्ट लगाकर मामले को रफा-दफा कर देते है, जो कहीं न कहीं ईमानदार अधिकारियों व कर्मचारियों को भी शक के दायरे में लाकर शासन व प्रशासन पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हैl
भदोही जिला के डीघ ब्लाक के बेरासपुर गांव का मामला है जहां कि कोटेदार चंदा देवी के बचाव में पूरा डीएसओ कार्यालय लगा है लेकिन शिकायत कर्ता दिव्यांग रजनीश दूबे ने भी न्याय पाने की जिद में पिछले कई महिनों से अधिकारियों, विभागों व आयोग में प्रार्थनापत्र देकर न्याय की गुहार लगा रहा है लेकिन विभाग जिस तरह नियम कानून की धज्जियां उडाकर कोटेदार का बचाव कर रहा है उससे तो लगता है कि दाल में कुछ काला हैl

कई शिकायत के बाद कोटेदार के खिलाफ कानूनी कार्यवाही नही

सरकार भले ही कहती है कि त्वरित कार्यवाही होती है लेकिन भदोही का डीएसओ कार्यालय एक कोटेदार को केवल बचाने के प्रयास में लगा हैl जहां कई शिकायत के बाद भी कोटेदार के ऊपर कोई कानूनी कार्यवाही नही हुई केवल स्पष्टीकरण के आड़ में विभाग ने कोटेदार को बचने का हर रास्ता बतायाl

निलम्बन के 15 दिन के स्पष्टीकरण न देने पर भी विभाग कोटेदार पर फिदा

शिकायत व जांच के बाद 27 फरवरी 2018 को एसडीएम ज्ञानपुर ने कोटे का अनुबंध निलम्बित किया और 15 दिन के अंदर कोटेदार को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया लेकिन कोटेदार ने कूटरचित तरीके से विभाग के इशारे पर एसडीएम के आदेश की परवाह किये बिना कोटेदार ने स्पष्टीकरण देने के बजाय माननीय उच्च न्यायालय में एसडीएम के निलम्बन आदेश के खिलाफ रिट दाखिल की और पुन: कोटे का अनुबंध बहाल हो गयाl यदि विभाग कोटेदार पर कानूनी कार्यवाही करना चाहता तो स्पष्टीकरण देने की नियत तिथि के बाद भी स्पष्टीकरण न देने पर कर सकता था लेकिन ऐसा नही कियाl कोटेदार ने 15 दिन क्या बहाली तक स्पष्टीकरण न दिया लेकिन विभाग कोटेदार के ऊपर फिर भी फिदा हैl

जिलाधिकारी ने भी माना डीएसओ कार्यालय ने की गलती

बेरासपुर के कोटेदार के खिलाफ ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने माना कि डीएसओ कार्यालय कोटेदार को कोई नोटिस न देकर गलती की हैl

rashan office bhadohi के लिए इमेज परिणाम

 

डीएसओ कार्यालय ने 5 माह बाद भी न दी सूचना

सरकार ने जहां ‘सूचना का अधिकार’ कानून बनाकर देश में भ्रष्टाचार को कम करने का एक माध्यम बनाया है, वहीं भदोही का डीएसओ कार्यालय सरकार के नियम कानून की धज्जियां उडाकर कोटेदार को बचाने का हर प्रयास कर रहा हैl मालूम हो कि बेरासपुर निवासी रजनीश दूबे ने 21फरवरी को बेरासपुर की कोटे से जुडी सूचना मांगी लेकिन विभाग द्वारा सूचना न मिली फिर रजनीश दूबे ने 6 अप्रैल को उसी का रिमाइंडर दिया लेकिन विभाग के ऊपर कोई असर नहीl आज सूचना मांगे हु़ये पांच माह से ज्यादा हो गया है विभाग केवल सूचना इसलिये नही दे रहा है कि सूचना के बाद विभाग व कोटेदार की पोल खुल जायेगीl

जांचकर्ता द्वारा जांच के समय कोटेदार के परिजनों को साथ में लेकर चलना कितना उचित?

बेरासपुर में जब जांचकर्ता आते है तो सबसे पहले कोटेदार के यहां चाय नाश्ता के बाद परिजनों को लेकर जांच करने निकलते है, कोटेदार के पति पेशे से वकील व गांव के जमींदार है, जिनकी उपस्थिति में गांव का गरीब व कमजोर वही बयान देता है जो कोटेदार के पति चाहते है, यदि जांच के दौरान कोटेदार के परिजन साथ न रहे तो जांच में पारदर्शिता रहे लेकिन विभाग के लोग बिना कोटेदार के पति, परिजन या नुमाइंदे को लेकर जांच करने नही निकलतेl क्योंकि गरीब को पता है कि यदि मेरे बयान की जानकारी कोटेदार को होगी तो मेरा कार्ड कट सकता है, इसी डर से लोग वही कहते है जो कोटेदार का संकेत होता हैl

डीएसओ कार्यालय ने कोटेदार पर क्यों नही की कानूनी कार्यवाही ?

बेरासपुर की कोटेदार चंदा देवी का नाम दो राशन कार्ड में होने, कोटेदार के घर में तीन अन्त्योदय कार्ड होने, कोटेदार को दो ही बेटे है जबकि राशनकार्ड में तीन बेटे के नाम से राशन का उठान करना कितना न्यायोचित है? कोटेदार ने अपने बहू के नाम भी अन्त्योदय कार्ड विभाग से मिलकर बनवा लिया था लेकिन ग्रामीणों के शिकायत के बाद बहू का कार्ड विभाग ने निरस्त किया लेकिन पद का दुरूपयोग करने व सरकारी योजनाओं में धोखाधडी करने पर विभाग ने कोटेदार पर कोई कार्यवाही नही कीl

कोटेदार की पकड़ या अपने ढीलेे रवैये से विभाग नही कर रहा सही काम?

बेरासपुर के ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत की जांच में आरोप सही पाये जाने के बावजूद आखिर क्यों बचाने पर तुला है डीएसओ कार्यालय कोटेदार को? कही विभाग को कोटेदार के ऊपर कार्यवाही न करने का दबाव किसी नेता/अधिकारी से तो नही मिल रहा है या डीएसओ कार्यालय कोटेदार को इसलिये बचाना चाहता है कि दोनों काफी पुराना रिश्ता है जिसे विभाग तोड़कर घाटा नही सहना चाहताl बार बार कोटेदार को बचाने का प्रयास तो अपने पीछे कई प्रश्न छोड़ रहा हैl यदि विभाग का यह ढीला रवैया हर गांव में रहता होगा तो सरकार की योजना का लाभ सही लोगों को कभी नही मिलेगाl

शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत के बारे में विभाग द्वारा अवगत न कराना बड़ा ‘खेल’

शिकायत की स्थिति के बारे में विभाग द्वारा की गई हर कार्यवाही की जानकारी शिकायतकर्ता को न देने से विभाग द्वारा ‘खेल’ करने की आशंका रहती हैl क्योंकि जब शिकायतकर्ता को जानकारी होगी तो तब ही वह सम्बन्धित अधिकारियों व विभाग से मिलकर अगली कार्यवाही से अवगत होगाl मालूम हो कि यह वही कोटेदार है जिनके खिलाफ वर्ष 2005 में तत्कालीन डीएम ने डीएसओ से कोटेदार के ऊपर एफआईआर करने का आदेश दिया था लेकिन विभाग ने नही माना डीएम का आदेशl

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