Home अवर्गीकृत त्रिमुहानी एक उद्गम स्थल एवं कार्तिक पूर्णिमा का रहस्य

त्रिमुहानी एक उद्गम स्थल एवं कार्तिक पूर्णिमा का रहस्य

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हमार पूर्वांचल
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जौनपुर : हिन्दू धर्म के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास के पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, वेदों से हमें ज्ञात होता है कि इस पर्व को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नामक नाक्षस का वध किया था, संसार से शिव के हाथों राक्षसों का वध हुआ तत्पश्चात सभी प्राणी भय मुक्त हो गये इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाने लगा। कार्तिक महिना त्यौहार की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन पवित्र महिने के गंगा स्नान से अनेक दुखों का नाश होता है और कष्ट से मुक्ति मिलती है साथ ही साथ कुंडली, धन एवं शनि के दोष भी दूर होते हैं।

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गंगा जी का पावन तट

हमारे यहाँ इस त्यौहार को बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है जो गंगा जी के पावन तट पर देखा जाता है, कहा जाता है कि गंगा जी हिमालय पर्वत से निकलकर जहाँ-जहाँ गयी उनके रास्ते में भक्तों ने शिवलिंग बनाकर दोनों की पूजा की,ऐसे स्थानों पर आज भी बहुत बड़ा मेला लगता है।गंगा तट का वह प्रसिद्ध स्थल जहां स्नान,ध्यान, अर्चन, पूजन होता है वह है गंगोत्री का पावन स्थल, हरिद्वार में हर की पैड़ी,प्रयाग,विन्ध्याचल तट,काशी तट फिर भागीरथी का पावन स्थल। इसके अतिरिक्त भगवान राम ने वनवास के दौरान जहाँ-जहाँ शिवलिंग की स्थापना कर वंदना की है वहां भी कार्तिक पूर्णिमा का स्नान व मेला लगता है,उनमें से एक पवित्र स्थल है “त्रिमुहानी ” जो जौनपुर जिले के पूर्व में सई-गोमती के मिलन स्थल को इंगित करता है।इस स्थल से सई नदी का अंत होता है और गोमती आगे जाकर गंगा जी में समाविष्ट हो जाती हैं।तुलसी कृत रामचरितमानस में कहा गया है कि भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी और इस पवित्र स्थान पर स्नान कर शिव की पूजा की थी। रामायण में एक पद मिलता है-

सई उतर गोमती नहाये,फिर प्रभु राम अयोध्या आये।

भगवान राम ने गोमती को आदिगंगा गोमती भी कहा है इसलिए यहाँ पूर्णिमा के एक दिन पहले से ही लोगों का आना-जाना प्रारंभ हो जाता है, यहां तीन दिवसीय मेला लगता है, जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ स्नान-ध्यान कर शिव की पूजा करती है। वहीं सभी लोग आनंद भी उठाते हैं। इस संगम के तीन मुहाने हैं, एक तरफ ऊदपुर मुहाना जो जलालपुर बाजार की तरफ से आता है, दुसरा राजेपुर मुहाना जहाँ रामेश्वर मंदिर स्थित है यह वही मंदिर है जो भगवान राम के हाथों शिवलिंग की स्थापना की गई थी, तीसरी तरफ बिजयीपुर मुहाना जो बेलांव की तरफ से आता है। यहां जौनपुर जिले के चारो तरफ से श्रद्धालु आते हैं और आदि गंगा गोमती में डुबकी लगाते हैं और भगवान रामेश्वर का दर्शन कर जीवन धन्य करते हैं फिर यहाँ से प्रसिद्ध मीष्ठान गट्टा (रेवड़ा) खरीद कर अपने घर लेकर जाते हैं ।

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