Home मुंबई मुम्बई में ढाई किलो का यह जीव बना मुसीबत

मुम्बई में ढाई किलो का यह जीव बना मुसीबत

अक्सर आपने किसी कमजोर आदमी की तूलना चूहे से कर देते हैं। चूहा यानि एक कमजोर सा प्राणी जो भय के साये में जिन्दगी जीता है। आपने कहावत भी सुनी होगी कि एक बार चूहों ने बिल्ली से त्रस्त होकर बैठक किया कि यदि बिल्ली के गले में घंटी बांध दें तो बिल्ली के आते ही चूहों को पता चल जायेगा और सब सावधान हो जायेंगे, लेकिन भारत की इस आर्थिग नगरी में चूहे बेखौफ होकर घूमते हैं। उन्हें किसी का भय नहीं है। हालत तो यह है कि यहां बिल्लियां भी इन चूहों से घबराती हैं। कहने का मतलब यह है कि मुम्बई में किसी कमजोर का उदारण चूहों से देना बेमानी है।

ऐसा नहीं है कि चूहों का आतंक सिर्फ झोपड़पट्टी तक ही सीमित है। दक्षिण मुम्बई में बनी पुरानी इमारतों में भी चूहों का आतंक देखा जा सकता है जो आपस में गुर्राते रहते हैं। हां यह भी है कि मुम्बई की खूबसूरत जिन्दगी की कल्पना करने वाले यह नहीं जानते कि यहां की अधिकतर आबादी झोपड़ पट्टियों में गुजर बसर करती है। मुसीबत सबसे अधिक यहां ही है। जगह जगह पानी निकासी के लिये बने नालों के किनारे बनी चालों में रहने वाले इन चूहों से अक्सर परेशान रहते हैं।
ऐसा ही एक वाकया कल्याण का है जहां 23 जून की रात सबके रात के भोजन करने के पश्चात चूहो ने ऐसा उपद्रव मचाया कि परिवार के मुखिया सहित सभी सदस्य बैंडमिंटन के स्टीक और झाङू तथा सरिया आदि लेकर चूहे को मारने के फिराक मे रात भर जगे रहे।
बता दें कि मुंबई की घनी आबादीवाले उपनगरीय क्षेत्रो मे चाली का रुम जिसमे आमतौर पर यू पी, बिहार मे गाय, भैंस बाधे जाते है और उसे काऊ रुम भी कहा जाता है, ऐसे चाली के रूम के पीछे नालो या गटर के किनारे बहुतायत मात्रा मे चूहे रहते है जो बरसात के मौसम मे किसी के भी घर मे घुसकर शरण लेने को आतुर रहते है जिनका वजन एक किलो से लेकर ढाई किलो तक भी रहता है। ऐसे ही चूहे साई मंदिर क्षेत्र के बगल मुन्ना (काल्पनिक नाम) को परेशान कर रखे थे।
गौरतलब हो कि आमतौर पर महाराष्ट्र मे दो प्रकार के चूहे पाए जाते है एक भूरे और सीधे कान वाले जो प्राय: शान्त स्वभाव वाले होते है परंतु दुसरा जो काले या सांवले जो खङे कान वाले रहते है वो ज्यादा ही उपद्रवी होते है और इसी दूसरे वाले प्रजाति के ही उत्पातो से श्री राज के घरवाले पूरी रात सो नही पाए। खबर लिखे जाने तक चूहो को खोली से नही भगा पाये थे।
ऐसे मे प्रशासन को जो मुंबई मे तकरीबन तीन चार वर्षो पहले म्युनिसिपल के तरफ से जो प्रति चूहे 12 रू मरा हुआ या जिन्दा सबंधित विभागीय कार्यालय मे जो जमा करेगा उसमे बढती हुई महंगाई दर के नये भाव से एक अभियान शुरू करने की जरूरत आ पङी है ताकि क्षेत्र के रहिवासी गण इन चूहो से निजात पाकर चैन की नींद सो सकें।

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