जंतर-मंतर पर सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिऐ जनसैलाब उमड़ पडा हैं। जों लोग ये चिल्ला रहें हैं कि देश में और कोई मुद्दा ही नही बचा। टी.वी खोलो तो सुशांत और रिया ही चल रहा हैं। हाथरस, बलरामपुर पर मीडिया चुप हैं। इसे कोई नही दिखाएगा और भी बहुत से मुद्दे ऐसे हैं जिसे कोई नही दिखाएगा।
तो क्यों भाई सारा ठेका क्या मीडिया ने ही लें रखा हैं? आम जनता की कोई जिम्मेदारी नही बनती? चाहे निर्भया कांड हो या और भी कई सारे मुद्दे उठे हो क्या हुआ उन मुद्दों पर? जिसमें मीडिया हो या आम जनता सिर्फ 4 दिन चिल्लाकर, केंडल मार्च निकाल कर कुछ दिन बाद सबकुछ भुलाकर लोग अपने-अपने काम पर लग जाते हैं।
आज पहली बार ऐसा देखा हैं, कि सुशांत सिंह राजपूत केस में मीडिया और आम जनता, तथा देश का हर नागरिक लगातार 3 महीने से न्याय की मुहिम चलाकर सुशांत सिंह राजपूत के लिऐ न्याय की माँग कर रहें। यह बहुत अच्छी बात हैं, इतने लंबे समय तक देश का हर नागरिक न्याय के लिऐ आवाज उठा रहा।
लेकिन यकीन मानिये यदि सुशांत सिंह जिंदा होता, और दिशा सालीयान हत्या केस में खुलासा कर देता तो यकीनन सुशांत की बात पर कोई यकीन ना करता और उसकी जिंदगी उसका करियर सब चौपट हो जाता। उसपर ही झुठे आरोप लगते और उसका सब बर्बाद हो जाता। आज वो नही हैं तो उसके चाहने वाले उसे न्याय दिलाने पर अड़े हैं, काश जीते-जी सुशांत सिंह को इतना प्यार और जनसमर्थन मिलता। कोई भी मुद्दा हो यदि उसके खिलाफ आप आवाज उठाते हो तो अंत तक खड़े रहो। क्योंकि जनसमर्थन में जों ताकत होती हैं वो किसी में नही। अब तो सिर्फ देश ही नही बल्कि विदेशों से भी सुशांत के लिऐ मुहिम चलाई जा रही।
इस पूरे प्रकरण में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस की भूमिका संदेहास्पद हैं। सत्ता का दुरुपयोग कर एड़ी छोटी का जोर लगा दिया महाराष्ट्र सरकार ने पर जनता की आवाज रोक नही पाएंगे। आज तक कभी कोई ईमानदार पुलिस अधिकारी नही देखा सिवाय सावधान इंडिया और क्राइम पेट्रोल के, अब तक सिर्फ बिकाऊ पुलिस अधिकारी ही देखे हैं। आज यदि सुशांत की जगह महाराष्ट्र का कोई भूमिपुत्र ही क्यों ना होता उसकी भी वही हालत होती जों सुशांत की हुयी। महाराष्ट्र सरकार के बचाव में कुछ चाटुकार लोग सच्चाई जानते हुऐ भी गलत का समर्थन कर रहें। सुशांत की जगह खुद का बेटा रखकर सोचेंगे तब पता चलेगा।चाटुकारिता करने के बजाय छाती पीटने लगोगे।
याद रहें हिट एंड रन केस में सलमान खान के बॉडीगार्ड रहें जिस रवींद्र पाटिल ने 18 साल यातनाएं झेली वो भी महाराष्ट्र का भूमिपुत्र ही था। किसी ने रवींद्र पाटिल की मदत नही की बल्कि उसे पैसे और पावर के दम पर खूब दबाने और डराने की कोशिश की गयीं। यहा तक की उसे ड्यूटी से निलंबित तक कर दिया क्यों? क्योंकि रवींद्र पाटिल ने बॉलीवुड का नाजायज बाप सलमान खान के खिलाफ आवाज उठाई इसलिऐ? उस वक्त तो किसी ने रवींद्र पाटिल के लिऐ आवाज नही उठाई। ना महाराष्ट्र की जनता ने ना ही महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों ने और ना ही भूमिपुत्रों का आव्हान करने वाली आज की सरकार ने।