Home अवर्गीकृत टीवी चैनल और टीआरपी के हथकंडे

टीवी चैनल और टीआरपी के हथकंडे

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हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल

भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकवादियों के तीन ठिकानों को नष्ट कर दिया, जिसका सभी भारतीयों को सेना और सरकार पर गर्व है। कुछ चैनल “सबसे पहले सबसे तेज़” समाचार पहुचाने की होड़ से परेशान दिख रहे है संवाददाता और एंकर ग्राफिक्स के अनुसार, कितने हमले हुए, कितने आतंकवादी मारे गए, कितने बम गिराए गए, एक चैनल ने उन्हें पायलटों के नाम तक गिना दिए।

सर्जिकल स्ट्राइक का अर्थ गुप्त आधार पर किसी कार्य को सफल बनाना होता है। जो अपनी सेना द्वारा उरी और पुलवामा की प्रतिशोध के लिए किया गया, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्रेस कॉन्फ्रेंस को संक्षेप में बताया। लेकिन चैनल टीआरपी की होड़ कई बेबुनियाद बड़ बोले पन में प्रधानमंत्री द्वारा लिए हमले के निर्णय के श्रेय पर निंदा करते भाजपा के नरेंद्र मोदी बताते थक नहीं रहे थे। स्वभाविक तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को गर्व तो है ही साथ ही पूरे देश को अभिमान हुआ।

चैनल्स और तथाकथित देशप्रेम का दिखावा करने वाले कुछ छूठभैय्ये नेता भी भूल गए है कि सरकार पर टिप्पणी के साथ सेना के जवानों के नामों की घोषणा करके, वे हमारे विकल्पों, समस्याओं और सबूतों को दूसरी तरफ ला रहे हैं। उन सैनिकों के परिवारों को इस सर्जिकल स्ट्राइक पर गर्व है, जबकि अन्य के पास कुछ कर्कश वर्तनी है और उन्हें सेना पर कुछ नहीं कहना पर प्रधानमंत्री जो भाजपा का है इसलिए पेट में दर्द हो रहा है इसे समझा जाना चाहिए।

यहां तक ​​कि २६/११ हमले के दौरान मीडिया द्वारा किए गए लाइव टेलीकास्ट पर किया गया था और इसका फायदा आतंकियों को ही हुआ था वे सभी कहां से आए, कहां से भारतीय कमांडो आ रहे थे, और वे सभी जो छत पर उतरे थे, होटल में बैठे वे आतंकवादियों को जानकारी दे रहे थे। यही खुलासा देश के लिए खतरा है।
अब वही जोखिम होने की संभावना है इतना कि खबर उन लोगों को नहीं दी जानी चाहिए, जिन्हें राजनीति करनी है चाहे विरोधी नेता,पाकिस्तान या चीन हो।

सेना ने “जोश” दिखाया, यह उसकी ताकत है, लेकिन मीडिया को “होश” गवां कर बात नहीं करना चाहिए जिससे हर चीज की मिट्टी बन जाए। यह तथ्य पर आधारित घोषणा करना वांछनीय है क्योंकि सरकार द्वारा समय-समय पर आधिकारिक घोषणा की गई मुझे ऐसा लगता है।

एक बार में, पुनः सुझाव है कि ज्यादातर न्यूज चैनलों के एंकर गले की फाड़ फाड़कर क्यों चिल्लाते हैं? चुपचाप बोलना नहीं भाता है, क्या लोगों को सुनाई नहीं पड़ता है, दूसरों को हड़बड़ाहट से बचाने के लिए उनसे सीखना चाहिए और तय करना चाहिए कि क्या करना है।

छत्रपति शिवाजी महाराज आगरा से औरंगजेब के लिए सुरक्षित रूप से आए थे, लेकिन उन्हें अभी भी पता नहीं चला कि वह किस रास्ते से गये थे, महाभारत में भी लक्षागृह का निकलने का मार्ग भी गुप्त था, यदि इतनी सावधानी बरती गई तो शुरू किया गया मिशन सफल रहेगा ही। वैसे भी, बाकी मीडिया समझदार हैं।

1 COMMENT

  1. बहुत ही अच्छा सोच है आप के लेख को में सलाम करता हु
    देश की सुरक्षा के लिए मीडिया को अपनी भूमिका सुनिचित करनी होंगी

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