भारत विश्व गुरू की पदवी को अपने आध्यात्मिकता, सभ्यता, संस्कृति और विद्वता के बलबूते पर प्राप्त किया। लेकिन आज के युवा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर अपने संस्कृति व सभ्यता को भूलते जा रहे है। जो कही न कही नुकसानदायक है। आज समाज में प्रेम-दिवस ( वैलेंटाइन डे) के नाम पर जो विनाशकारी कामविकार का विकास हो रहा है। जो केवल और केवल स्वार्थ व काम सिद्धि के लिए है। इस दलदल मे फंसे युवा आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन, बुढ़ापा और जल्दी मौत लाने वाले रोगो से शिकार होते है। वर्तमान में भारत में भी पाश्चात्य कल्चर का अंधानुकरण करनेवाले लोग वैलेंटाइन डे को पूरे एक सप्ताह तक मनाने लगे हैं।
वैलेंटाइन डे जैसी कुप्रथाओं की ही वजह से आज भारत जैसे आध्यात्मिक देश में भी कई लोग निर्लज्जता, अश्लीलता, स्वच्छंदता को फैशन मानने लगे हैं। वैलेंटाईन डे का भयावह स्वरूप आज देखने को मिलता है। वैलेंटाइन डे नाम की यह दुराचार की महामारी प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है इसका बाजारीकरण।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल’ के एक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल वैलेंटाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान फूल, चॉकलेट आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार करीब 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँचा था अर्थात भारत से 50 हजार करोड़ लूट ले गई विदेशी कंपनियां। वर्ष 2013 एवं 2014 में क्रमशः 15,000 व 16,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ।
वैलेंटाईन डे के दिनों में, न्यायालय में प्रविष्ट होनेवाले विवाह-विच्छेद के अभियोगों में 40 प्रतिशत वृद्धि होती है। दिल्ली के एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 10 फरवरी से ही निरोध व गर्भनिरोधक दवाइयों की मांग में 10 गुना की वृद्धि हो जाती है, जिससे अनेक स्टोर्स में यह सामान समाप्त हो जाता है या कम पड जाता है। वर्ष 2013 में ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील डॉट कॉम पर भारत में वैलेंटाईन डे पर एक ही दिन में डेढ़ लाख निरोध बिके। निरोध (कंडोम) की एक कंपनी के सर्वेक्षणानुसार, वैलेंटाईन डे के दिनों में निरोध की बिक्री 25 गुना बढ़ जाती है।
वस्तुतः वैलेंटाइन डे बाजारीकरण और पाश्विक वासनापूर्ति को बढ़ावा देनेवाला दिन हैं। स्वार्थी तत्त्वों द्वारा इसे बढ़ावा देकर बाल व युवा पीढ़ी को तबाही की ओर धकेला जा रहा है। फूल, चॉकलेट और उपहारों के अलावा गर्भ-निरोधक साधन और दवाइयाँ ब्ल्यू फिल्म एवं अश्लील पुस्तकें यानि पॉर्नोग्राफी, उत्तेजक पॉप म्यूजिक, वायग्रा जैसी कामोत्तेजक दवाइयाँ तथा एड्स जैसे यौन-संक्रमित रोगों की दवाइयाँ बनानेवाली विदेशी कम्पनियाँ अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर रही हैं, जिनके शिकार सम्पूर्ण विश्व के लोग हो रहे हैं।
वैलेंटाइन डे के द्वारा वे बाल व युवा पीढ़ी के नैतिक, चारित्रिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट करके धन कमाना चाहती हैं। वैलेंटाइन डे का दुष्प्रभाव देखते हुए पिछले साल से पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शौकत अजीज नेे आदेश दिया है कि देश में वैलेंटाइन डे नहीं मनाया जाएगा । इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि कोई भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वैलेंटाइन डे का प्रचार नहीं करेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार कई विकसित देश यौन रोगियों, अविवाहित गर्भवती किशोरियों, वृद्धाश्रमों तथा बेघर कर दिये गये वृद्ध मात-पिताओं की बढ़ती संख्या जैसी समस्याओं से ग्रसे जा रहे है। अमेरिका में तो किशोर- किशोरियों में यौन उच्छृंखलता के चलते प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं। वर्ष 2013 में अमेरिका में 15 से 19 साल की किशोरियों ने 2,73,000 शिशुओं को जन्म दिया । अब यह गन्दगी भारत में भी तेजी से फैल रही है ।
कैलिफोर्निया (अमेरिका) के ‘सुसाइड प्रिवेन्शन सर्विस ऑफ द सेंट्रल कोस्ट’ की डायरेक्टर डायैन ब्राइस पिछले 23 सालों से एक ट्रेंड की साक्षी रही हैं, जिसमें वे बताती हैं कि वैलेंटाइन डे सबसे अधिक आत्महत्याओं की दर वाले समय की शुरुआत अंकित करता है।
वैलेंटाइन डे की आड़ में प्यार के झाँसे में फँसाकर धोखाधड़ी करनेवालों का कारोबार भी जोरों पर रहता है। लंदन पुलिस (यू.के.) की नैश्नल फ्रौड इन्टेलिजेंस ब्यूरो’ के आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 में ब्रिटिश जनता ने अपने करीब 34 मिलियन पाउंड प्यार के नाम पर ठगी करनेवालों पर खो दिये। ’ यह आँकड़ा 2013 के मुकाबले 33% और बढ़ा हुआ है। इस ‘रोमांस घोटाले’ के शिकार हुए लोगों में से आधे से ज्यादा के जीवन में भौतिक और वित्तीय कुशलता को लेकर गम्भीर भावनात्मक असर पड़ा है।
इन सबको देखते हुए अमेरिका के 33% स्कूलों में यौन शिक्षा के अंतर्गत ‘केवल संयम’ की शिक्षा दी जाती है। इसके लिए अमेरिका ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर (20 अरब रूपये) खर्च किये हैं। थाईलैंड की रिपोर्ट अनुसार 15 से 19 साल की लड़कियां 1 हजार में से 50 लड़कियां मां बन जाती हैं। और 10 से 19 साल के युवाओं में यौन संबंधी रोग पांच गुना तक बढ़ गए हैं। थाईलैंड में करीब चार लाख 50 हजार लोग HIV रोग से पीड़ित हैं।
जापान में युवाओं को वैलेंटाइन डे से दूर रहने की सलाह दी गयी है तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में सबसे ज्यादा टीनेज प्रेग्नेंसी वाले देश थाईलैंड में प्रशासन द्वारा एड्स और टीनेज प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए युवाओं को 14 फरवरी को मंदिरों में जाने की सलाह दी गयी। विश्व के कई देशों ने अपनी युवा पीढ़ी को वैलेंटाइन डे की गंदगी से बचाने के लिए कठोर कदम उठाये हैं। गत वर्षों में मलेशिया, ईरान,सउदी अरब, इंडोनेशिया, रूस के बेल्गोरोद राज्य आदि में वैलेंटाइन डे पर प्रतिबंध लगाया गया था।
भारत में अपनी संस्कृति से विमुख होकर पाश्चत्य सभ्यता का अंधानुकरण करके चरित्रहीन होती अपनी युवापीढ़ी को देखकर वर्ष 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन का विश्वव्यापी अभियान चल रहा है, जो विश्वभर में अत्यधिक लोकप्रिय और कारागर साबित हुआ। देश भर में 14 फरवरी निमित्त जगह-जगह पर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर अपनी संस्कृति की गरिमा से विश्वमानव को परिचित करा रहे हैं।
गौरतलब है कि यह पहल सोशल मीडिया और आम जनता में बहुचर्चित है। सोशल मीडिया की गतिविधियाँ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके जेल जाने के बाद माता-पिता पूजन की इस पहल की लोकप्रियता और भी बढ़ गयी है।
अन्य अनेक क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय टीवी, अखबारों में बड़े स्तर पर स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर इस कार्यक्रम के आयोजन की खबरें भी देखने, पढ़ने में आयी हैं।
14 फरवरी के दिन देश-विदेश के बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता को तिलक करें, पुष्पों की माला पहनाएं। प्रणाम करें, प्रदक्षिणा करें, आरती करें एवं मिठाई खिलाएं तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगे। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा। माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है।
अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए, और चाहिए ही। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते हैं । वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा।
भारत के युवक व युवतियों को वैलेंटाइन डे जैसी कुरीति से अपने को बचाते हुए अपनी पवित्र संस्कृति का अनुसरण करते हुए माता-पिता की पूजा कर उनका शुभ आशीष पाकर अपना जीवन धन्य करें।