Home मुंबई 50 लाख खर्च करके वरूणा को बचाने की कोशिस

50 लाख खर्च करके वरूणा को बचाने की कोशिस

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ज्ञानपुर (भदोही) : भगवान शिव के त्रिशूल पर बसे प्रसिद्ध अलौकिक नगर काशी को वाराणसी नाम प्रदान करने वाली नदी वरुणा की अब तस्वीर बदलने लगी है। सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के कड़े तेवर के बाद वरुणा को नव जीवन देने के लिए खोदाई कार्य शुरू हो गया है। आलम यह है कि अभोली, सुरियावां और भदोही विकास खंड से होकर गुजरने वाली इस नदी की खोदाई कार्य महात्मा गांधी ग्रामीण योजना के अंतर्गत शुरू कर दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत पचास लाख रुपये से अधिक खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। जिले के विकास खंड अभोली, सुरियावां और भदोही के 70 गांव से होकर गुजरती है। अभोली और सुरियावां में तो इसकी चौड़ाई कम है लेकिन भदोही विकास खंड में इसकी अच्छी खासी चौड़ाई है। नदी पूरी तरह अतिक्रमण से जूझ रहा है। जहां- तहां नदी पूरी तरह खत्म होने के कगार पर है। जल संरक्षण लिए मोरवा के बाद सांसद ने वरुणा को लेकर भी कई बार अधिकारियों की क्लास लगाई थी। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत अभोली और सुरियावां विकास खंड के गांवों में खोदाई कार्य शुरू करा दिया गया है। बसपरा गांव में चिलचिलती धूप में मजदूरों का जब फावड़ा चलने लगा तो वरुणा की तस्वीर बदलने लगी। उपायुक्त मनरेगा अजीत कुमार सिंह ने बताया कि वरुणा नदी को नव जीवन देने का काम जोर शोर से शुरू करा दिया गया है। बताया कि अनुमानत: पचास लाख रुपये से अधिक खर्च हो सकते हैं। इससे जहां जल संरक्षण होगा तो वहीं रोजगार का सृजन होगा।

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