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वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान एवं सृजन संवाद द्वारा सम्मान समारोह एवं काव्यसंध्या की सजी महफ़िल

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मुम्बई से विनय शर्मा दीप कर रिपोर्ट

बोरीवली मुंबई । वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान एवं सृजन संवाद के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 16 सितम्बर 2018 दिन रविवार सायं गोविन्द अपार्टमेन्ट,दत्त पाढा रोड,राजेन्द्र नगर बोरीवली (पूर्व) मुंबई में सम्मान समारोह एवं काव्यसंध्या का आयोजन वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान(पंजि) के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय पंडित प्रभारंजन पाठक के मार्गदर्शन में रखा गया। वृहन्मुंबई महानगर पालिका की सुशिक्षिका,महापौर पुरस्कार से विभूषित प्रख्यात शिक्षाविद श्रीमती भारती संजीव श्रीवास्तव को उक्त संस्था द्वारा शाॅल,श्रीफल,प्रशस्ति पत्र,स्मृति चिन्ह एवं धनादेश देकर सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता पंडित रामनयन दुबे जी ने किया,मुख्य अतिथि के रूप महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित श्री पवन तिवारी जी थे।सम्मान समारोह का शुभारंभ वैदिक परंपरानुसार गायत्री मंत्र की स्तुति एवं वंदना के साथ शुरू हुआ , सूत्र-संचालन का कार्यभार ज़िला-परबनी विदर्भ महाराष्ट्र से पधारे प्रख्यात प्रकांड विद्वान,साहित्य मर्मज्ञ,सबके चहेते डाक्टर जितेन्द्र पांडेय जी ने बहुत सुन्दर तरीके से निभाया।शिक्षा-विद श्रीमती भारती संजीव श्रीवास्तव की जीवनी पर प्रकाश जनहित इंडिया पत्रिका मुंबई प्रतिनिधि श्री मुन्ना यादव मयंक जी ने बहुत सुन्दर ढंग से बताते हुए उन्होंने कहा भारती जी एक सच्ची,ईमानदार,स्वंय पर विश्वास रखकर किसी जटिल से जटिल कार्य को आसानी से कर दिखलाने का हुनर इनमें कूट-कूट कर भरा पड़ा है। इन्होंने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष करते हुए वृहन्मुंबई महानगर पालिका महापौर सम्मान से सम्मानित की गयी ।
सम्मान समारोह के उपरांत काव्यसंध्या का आगाज़ अध्यक्ष जी ने किया जिसकी रूपरेखा जनहित इंडिया पत्रिका के मुंबई प्रतिनिधि श्री मुन्ना यादव मयंक जी ने तैयार किया था । गोष्ठी का संचालन डाक्टर जितेन्द्र पांडेय जी ने स्वतः बहुत सुन्दर एवं नायाब तरीके से किया। सभी साहित्यकारों का सम्मान वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान एवं सृजन संवाद द्वारा किया गया एवं सभी ने काव्यपाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। क्रमशः इस प्रकार-
श्री अंजनी कुमार द्विवेदी-
करूँ इबादत और तेरी ही खुशी मांगू,
हर जनम में खुदा से,तेरी दोस्ती मांगू ।
तेरे हिस्से की उदासी,खुदा मुझे दे दे,
तेरे चेहरे पर ऐ मेरे दोस्त,हंसी मांगू ।।

श्री विनय शर्मा दीप-
वैदिक पंरपरानुसार मां सरस्वती जी का आह्वाहन सवैया से किया ।
माई सरस्वती बार-हजार,गुहार तुहार लगावत बानी ।
प्यार क भूखल बा लरिका,तनिका से दरश जगावत बानी ।
धूप-कपूर लेइके हंथवा,मन-मंदिर आज सजावत बानी ।
देर-अबेर कर जनि तू,नेहिंया से हौं राह बुहारत बानी ।।

श्री पवन तिवारी-
गीत पीड़ा का स्वर,गीत अनुराग का,
गीत पूजन का स्वर,गीत श्रृंगार का ।
गीत तो चाह की,एक औषधि भी है,
गीत माध्यम है,अनचाहे संवाद का ।।

श्री अजय शुक्ल “बनारसी ” –
अंधेरा नहीं तो रोशनी किस काम आएगी ।
दुख की गठरी न हो,तो हंसी कैसे रंग लाएगी ।
बिना बात के वो नाराज हैं,आज अपनी ही मां से ।
नहीं समझती वो रूठी तो,फिर कैसे मनाएगी ।।

श्री श्रीनाथ शर्मा-
वरिष्ठ कवि ने हास्य-व्यंग्य के साथ गणेश जी की स्तुति एवं गीत -प्रस्तुत की-
धन्य हुआ हर नगर,धन्य हुआ देश,
हर गली में देखो,गणेश ही गणेश।
खुद तो हो मस्त,मस्ती सबको सिखाते ।
प्यार वाली राह,जरा सबको दिखाना ।।

श्रीमती सुमन मिश्रा-
अटल जी को याद करते हुए-

आओ फिर से दिया जलायें,
भरी दुपहरी में अंधियारा,
सूरज परछाई से हारा,
अंतरतम का देह निचोड़े
बुझी हुई बाती सुलझाएं ।।

इसी तरह कई विद्वत साहित्यकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में श्री सुशील दुबे,श्री धर्मेन्द्र उपाध्याय,श्री संजीव श्रीवास्तव,श्री प्रवीण जी,श्री लालचंद तिवारी,श्री नरेन्द्र शास्त्री,श्री दीपक शास्त्री,श्री राम निरंजन मिश्र एवं श्रीमती पाठक जी (संयोजिका), श्रीमति प्रज्वल वागदारी एवं श्रीमती शिवकांति आर कमल(तनु जी ) एवं बहुत सारे उपस्थित सुधि-श्रोतागण और बच्चों ने महफ़िल में कवियों की हौसला अफजाई के लिए उनके रचनाओं पर तालियां बजाकर सम्मान दिया एवं सम्मानमूर्ति श्रीमती भारती संजीव श्रीवास्तव जी को आशीर्वाद स्वरुप अपना अमूल्य समय देकर उन्हें सम्मानित किया। अंत में संस्था अध्यक्ष श्री प्रभा रंजन पाठक जी ने आये हुए सभी मुख्य अतिथियों,श्रोताओं एवं पत्रकारों का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद देकर कार्यक्रम के समापन की घोषण की और प्रितिभोज देकर सभी को आनंदित कर दिया।

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