Home अवर्गीकृत फिर मिली ग्राम प्रधान विजयगिर पोखरा को जीत

फिर मिली ग्राम प्रधान विजयगिर पोखरा को जीत

बरसठी। स्थानीय विकास खण्ड की ग्राम पंचयात विजयगिर पोखरा ग्राम प्रधान विभूति नारायाण उपाध्याय के निर्वाचित होने के विरूद्ध प्रतिपक्षी केवला तिवारी द्वारा तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जौनपुर के न्यायालय में दाखिल निगरानी याचिका को न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह गौतम ने खारिज कर दिया। अपने फैसले में न्यायधीश ने स्पष्ट किया कि याची केवला तिवारी यह साबित नहीं कर पाये कि मतगणना में धांधली हुई थी।

इसके पूर्व 8 सितंबर 2017 को भी अपर न्यायालय उप जिलाधिकारी मड़ियाहूं ने भी इसी मामले के अपने फैसले में विभूति नारायण के निर्वाचन को सही और याची केवला तिवारी द्वारा लगाये गये आरोपों को तथ्यहीन माना था। जिसके आधार पर केवला तिवारी द्वारा पुर्नमतगणना की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था। पहले एसडीएम और करीब डेढ़ वर्ष बाद तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पुन: खारिज याचिका को लेकर ग्राम प्रधान समर्थकों में हर्ष छा गया है।

इसकी जानकारी मिलते ही समर्थकों ने एक बार फिर पुष्पमाल से स्वागत कर बधाई दी और मिष्ठान्न वितरण किया। पूरा मामला यह है कि पांच दिसंबर 2015 को ग्राम पंचायत के लिये हुये मतदान की मतगणना 12 दिसंबर 2015 को बरसठी इंटर कालेज में हुई थी। मतगणना में विजयगिर पोखरा ग्राम पंचायत से प्रधान पद हेतु खड़े 9 दावेदारों में से विभूति नारायाण उपाध्याय को तीन मतों से जीत मिली थी। नतीजे के कुछ देर बाद रनर दावेदार रहे केवला तिवारी ने मौजूद आरओ से कुल पड़े 14 अवैध मतों में अपने कुछ जायज मत होने की आशंका जतायी थी। जिसे संज्ञान लेते हुये आरओ ने उनके अभिकर्ताओं के समक्ष अवैध मतों को एक एक कर देखा और दिखाया था। जो सभी अवैध थे। किन्तु केवला के कतिपय समर्थक इससे संतुष्ट नहीं हुये। दूसरे दिन ही चुनाव आयोग समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को फैक्स कर मतगणना में धांधली का आरोप लगाया और पुन: मतगणना के लिये अपर न्यायालय उपजिलाधिकारी मड़ियाहूं के यहां धारा 12 सी के तहत याचिका दाखिल कर दी। सुनवाई जल्द हो इसके लिये हाईकोर्ट से दिशा निर्देश भी लाया। दानों तरफ से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई। अंतत: 8 सितंबर 2017 को एसडीएम मड़ियाहूं ने आरोप के पक्ष में कोई मजबूत साक्ष्य न पाते हुये याचिका खारिज कर दिया था।

एसडीएम के इसी फैसले के खिलाफ श्री तिवारी ने सत्र न्यायालय जौनपुर में निगरानी याचिका दाखिल किया था जिसे न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है।

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