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बाहुबली विधायक विजय मिश्रा पर फिल्म बनाने की चाहत रखते हैं बैरी कंगना के निर्माता अशोक श्रीवास्तव

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vijay mishra
काशी प्रयाग के मध्य स्थित मां गंगा की गोद में बसी कालीन नगरी भदोही भले ही अपने क्षेत्रफल में छोटी हो किन्तु अपने आंचल में ऐसी ऐसी प्रतिभाओं को समेटे हुये है जो पूरे देश में विभिन्न क्षेत्रों में अपना मुकाम स्थापित किये हुये हैं। ऐसी ही एक प्रतिभा हैं प्रतिष्ठित व शिक्षित परिवार के अशोक श्रीवास्तव जो गोपीगंज के पास स्थित सोनखरी गांव के रहने वाले हैं। अशोक श्रीवास्तव वहीं व्यक्ति हैं जिन्होंने 90 के दशक में ‘बैरी कंगना’ नामक भोजपुरी फिल्म बनाकर तहलका मचा दिया था। एक बार फिर वे दर्शकों के लिये ”बैरी कंगना पार्ट टू” लेकर आ रहे हैं। फिल्म निर्माता अशोक श्रीवास्तव की इच्छा है कि वे ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा पर फिल्म बनायें।

46 की उम्र में साकार हुआ बचपन का सपना

अशोक श्रीवास्तव का बचपन अपने बड़े भाई आर.पी. श्रीवास्तव के साथ बीता जो मध्यप्रदेश के रीवां जनपद में जिलाधिकारी रहे। प्राथमिक शिक्षा रीवां में ही हुई जहां से उन्होंने इण्टरमीडिएट तक की पढ़ाई की। इसके बाद कानपुर से टेक्स्टाइल में बी.टेक. की डिग्री ली फिर पोद्दार टेक्सटाइल्स में नौकरी ज्वाइन कर ली। इसके बाद जयपुर, विलासपुर, गुड़गांव, मेरठ, मेजा, बांदा कोलकाता सहित कई जगह नौकरी की, फिर उनका तबादला 1971 में मलेशिया हो गया। अशोक श्रीवास्तव की एक आदत शुरू से रही है, वे कहीं भी रहते थे, लेकिन एक बार जबतक अपने गांव नहीं आ जाते थे तबतक उनका कहीं भी मन नहीं लगता था। फिर तीन साल के एग्रीमेन्ट पर मलेशिया रहना कहां गवांरा होता। 1971 में जब बांग्लादेश को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। उसी समय मलेशिया जाने के लिये अपनी टीम के साथ अशोक श्रीवास्तव कोलकाता गये। लेकिन उनके मन में यह कौंध रहा था कि जब एक महीने से अधिक गांव से दूर नहीं रह पाते तो तीन साल तक वे मलेशिया कैसे रहेंगे। लिहाजा नौकरी का मोह छोड़ वहां से ट्रेन पकड़कर घर चले आये।

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फिल्म निर्माता अशोक श्रीवास्तव और सलाहकार डा. कुन्दन ज्योतिषी से बातचीत करते हमार पूर्वांचल के विशेष प्रतिनिधि अरूण कुमार मिश्रा

नौकरी छोड़ पकड़ी फिल्म की राह

अशोक श्रीवास्तव के परिवार का फिल्मों से दूर दूर तक नाता नहीं था, लेकिन पढ़ाई के समय से ही मन फिल्मों की ओर आकर्षित हो चुका था। जीवन के इतने पड़ाव बीतने के बाद अब फिल्मों में बतौर हीरो काम करने का सपना तो साकार नहीं हो पाता, लेकिन मन में यह अवश्य ठान चुके थे कि फिल्म अवश्य बनायेंगे। इस बीच कई बाद मुम्बई का सफर भी तय किया। दिमाग में स्टोरी थी किन्तु रास्ता नहीं मिल रहा था। गांव के आसपास के लोग जान चुके थे कि अशोक श्रीवास्तव के मन में फिल्म बनाने का जूनून था। जब अपने गांव सोनखरी से गोपीगंज जाते तो लाग पीठ पीेछे मजाक बनाते कि देखा पागल जा रहा है। यह फिल्म बनायेगा। उन्हें क्या पता था कि फिल्म के जिस दीवाने को पागल बोल रहे थे। वहीं पागल एक दिन ऐसी फिल्म बनायेगा जो सभी भोजपुरी फिल्मों का रिकार्ड तोड़ देगी।

बैरी कंगना की स्क्रिप्ट दिमाग में थी बस उसे कार्यरूप देना था। इसके लिये पैसे की जरूरत थी और वहीं पैसा उनके पास नहीं था। इसके लिये गोपीगंज के चेयरमैन प्रह्लाद दास गुप्ता के घर का चक्कर लगाया करते थे। करीब 6 महीने तक प्रयास करने के बाद जब प्रह्लाद दास गुप्ता को यकीन हो गया कि अब अशोक श्रीवास्तव बिना फिल्म बनाये मानेगें नहीं तो उन्होंने फायनान्स करने का निर्णय ले लिया। पैसे की व्यवस्था होने के बाद अब फिल्म की तैयारी करनी थी। जिसके लिये फिल्म के निर्देशक निहाल सिंह के साथ मुम्बई के लिये रवाना हो गये। अशोक की इच्छा थी कि फिल्म ऐसी बने कि दर्शक एक बार नहीं बल्कि बार बार फिल्म देखने आयें। इसके लिये फिल्मी दुनिया के कुछ बड़े चेहरों का नाम फिल्म में शामिल होना जरूरी था।

अशोक श्रीवास्तव ने जब निर्देशक के सामने अपने विचार रखे कि फिल्म के गीत गौहर कानपुरी लिखेंगे तो उन्होंने कहा कि गौहर कानपुरी एक तो पैसा काफी लेते हैं और दूसरे भोजपुरी फिल्मों में गीत नहीं लिखते। लेकिन जिसे जूनून हो उसे कौन समझाये। किसी तरह समय लेकर पहुंच गये गौहर कानपुरी के गोरेगांव स्थित घर पर। उस समय गौहर कानपुरी एक गाना लिखने का 15 हजार रूपये लेते थे। अशोक श्रीवास्तव ने सोचा कि एक गाना गौहर कानपुरी से लिखवा लेंगे तो उनका नाम फिल्म में आ ही जायेगा और गाने दूसरे से लिखवा लेंगे। बैरी कंगना का एक गाना है ‘ पहली पहली रतिया सुनावे ऐसी बतिया, रात सैंया ने आफत मचाय दिन्हों”। इस गाने के बाद अशोक अपने कमरे पर बैठकर सोच रहे थे कि बाकी गाना किससे लिखवाया जाय, तभी अचानक उनके कमरे पर गौहर कानुपरी खुद चले आये और बोले कि अशोक तुम्हारा व्यवहार बहुत पसंद आया, अब सारे गाने मैं लिखूंगा। अब झिझकने की बारी अशोक की थी। वजट की चिंता की वजह से वे खुलकर कुछ बोल नहीं पा रहे थे तो गौहर कानपुरी उनकी परेशानी को समझ गये और बोले कि बिना किसी पैसे के सारे गाने लिखूंगा। संयोग देखिये कि जिससे एक गाने लिखाने को तरस रहे थे वह शख्स खुद सारे 8 गाने मुफ्त में लिखने को तैयार हो गया था।

अब बारी थी फिल्म में संगीत देने की तो अशोक के मन रविन्द्र जैन का नाम गूंज रहा था। लोग मना कर रहे थे कि रवीन्द्र जैन नहीं मानेंगे। वे भोजुपरी फिल्म में संगीत नहीं देंगे। लेकिन अशोक जब मन में ठान ही लिये थे तो उनकी इच्छा कैसे पूरी नहीं होती। पहुंच गये रवीन्द्र जैन के यहां और उन्हें भी तैयार कर लिया। फिर उस समय के भोजपुरी के सुपर स्टार कुणाल सिंह को 40 हजार और 15 हजार में मीरा माधुरी को बतौर हीरो हिरोइन साइन करने के बाद पूरी टीम लेकर भदोही आ गये। फिल्म की 80 प्रतिशत शूटिंग गोपीगंज के सोनखरी गांव में अशोक श्रीवास्तव के घर पर हुईं बाकी 20 प्रतिशत प्रह्लाद दास गुप्ता और रामपुर घाट पर हुई। इस फिल्म की स्क्रिप्ट बिहार के रहने वाले अशोक गुप्ता ने लिखी थी। बता दें कि पूरी फिल्म बनाने में कुल 9 लाख का खर्च आया था और 1992 में रिलीज हुई फिल्म ने 3 करोड़ का व्यवसाय किया था। बैरी कंगना ने भोजपुरी फिल्मों में जो अपना इतिहास लिखा था, वह आज तक चर्चा में है।

कैसे बनी बैरी कंगना पार्ट—2

बैरी कंगना के बाद अशोक श्रीवास्तव का फिल्मी सफर शुरू हो गया। इसके बाद बैरी सजना, सात फेरे, जय हो मैहर धाम, घर अंगना, तेरा प्यार मेरी जिन्दगी रिलीज नहीं, टीवी सिरीयल हमनी के संस्कार, हिन्दी फिल्म इश्क समंदर और गार्जियन बनायी।
गार्जियन फिल्म बुरी तरह फ्लाप हुई तो फिल्मों से मन उचट गया और घर बैठ गये। उम्र के 70 पड़ाव पार करने के बाद भी मन में फिल्म बनाने की इच्छा बलवती रही, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। इसके बाद उन्हें डा. कुन्दन ज्योतिषी मिले और बताये कि आप एक महीने मुम्बई जाकर रहिये सारे रास्ते मिल जायेंगे। मुम्बई जाने के बाद जब 15 दिन बीत गये औ मन उचटने लगा तो वापस आने की सोचने लगे। तब डा. कुन्दन ज्योतिषी ने उन्हें और रूकने की सलाह दी। एक महीना बीतने से पहले ही रास्ते मिलने लगे और पूना में बिल्डर का व्यवसाय करने वाले भदोही के याकूबपुर निवासी विनोद पाण्डेय से मुलाकात हुई जिन्होंने फिल्म में पैसा लगाने की बात कही और फिल्म की कहानी आगे बढ़ने लगी। अशोक बतातें हैं कि फिल्म कल्पना में नहीं बल्कि भारतीय अध्यात्म पर आधारित है। जो बातें पहले भी गीता में कही जा चुकी है। यह फिल्म बैरी कंगना प्रथम की कहानी से आगे बढ़ती है और तंत्र मंत्र का भी खूब प्रयोग किया गया है। बैरी कंगना पार्ट 2 का निर्देशन अशोक तिवारी अत्रि ने किया है। ​संगीत मधुकर आनंद का है। फिल्म में रवि किशन, शुभी शर्मा, आशीष सिंह और काजल राघवानी ने मुख्य भूमिका निभायी है।

विधायक विजय मिश्रा पर फिल्म बनाने की चाहत

कहते हैं यदि दिल में जूनून हो तो उम्र कभी बाधक नहीं बनता। वहीं जूनून अशोक में दिखता है। 74 वर्ष की उम्र के बावजूद फिल्मी दुनिया के कदम रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अशोक ने बताया कि बैरी कंगना पार्ट—3 की तैयारी भी शुरू हो गयी है। इसके बाद आल्हा उदल सहित कुछ और फिल्म बनाने की इच्छा है। कहा कि उनकी प्रबल इच्छा है कि ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्रा पर फिल्म बनायें। इस संबंध में श्री मिश्रा से बात करेंगे और बात आगे बढ़ायी जायेगी।

सुपर हिट होगी बैरी कंगना—2

डा. कुंदन ज्योतिषी

फिल्म की शुरूआत से ही फिल्म के निर्माता को अपनी राय दे रहे डा.कुन्दन ज्योतिषी ने बताया कि बैरी कंगना 2 भोजपुरी फिल्म जगत में इस दशक की सबसे सफल फिल्मों में से एक होगी, फिल्म के हर पहलू को देख परख कर शुटिंग की गयी है। डा. कुंदन ज्योतिषी ने फिल्म की शुरूआत से लेकर उसकी शूटिंग कहां होगी और कब होगी। सब ज्योतिषीय गणना पर कराया है। बता दें कि डा. कुदन ज्योतिष विद्या के काफी जानकार हैं और फिल्म निर्माताओं सहित विभिन्न मामलों में लोगों को अपनी राय देते रहते हैं।