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संगीत साहित्य मंच के तत्वावधान में वार्षिकोत्सव की मधुर बेला पर विराट कवि सम्मेलन

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ठाणे : साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था संगीत साहित्य मंच के तत्वावधान में दिनांक 20 जनवरी 2019 रविवार सायं काशीनाथ घाणेकर नाट्यगृह पवार नगर ठाणे (पश्चिम) में संस्था अध्यक्ष व संयोजक रामजीत गुप्ता व सह संयोजक नागेन्द्र नाथ गुप्ता के संयोजन में नववर्ष के उपलक्ष्य में वार्षिकोत्सव व सम्मान समारोह रखा गया।

जिसमें मुंबई व ठाणे शहरों से पधारे कवियों, ग़ज़लकारों एवं गीतकारों की उपस्थिति ने एक ऐतिहासिक विराट कवि सम्मेलन का रूप देकर मंच को शोभायमान कर पुरे नाट्यगृह के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।उक्त कवि सम्मेलन में कुल 25 साहित्यकारों ने संमा बांधा, कवियों की वागडोर संभालते हुए शिक्षक, प्रसिद्ध गीतकार उमेश मिश्रा जी ने संचालन का कार्य बखूबी निभाया।

इस वार्षिकोत्सव व विराट कवि सम्मेलन की अध्यक्षता दयाशंकर सिंह ने की तथा सम्माननीय अतिथियों में रामबक्स सिंह,विजय सिंह,डाॅक्टर बाबूलाल सिंह,दया शंकर सिंह,
के• एन• सिंह, सिद्धनाथ सिंह, एडवोकेट के•एच•गिरी, जयप्रकाश सिंह,एडवोकेट कुंवर सिंह,विधुभूषण त्रिवेदी, बी•डी•राय,राजेश विक्रांत(स्तंभ- कार,दोपहर का सामना),अशोक राय एवं शिल्पा सोनटक्के उपस्थित थी।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया गया।सुप्रसिद्ध गीतकार शिवम पांडे ने सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का आगाज किया और देशभक्ति गीत से संपूर्ण नाट्यगृह को देश भक्ति के रंग में रंग दिया।फिर गज़लकार ज्ञानचंद “ज्ञान” ने अपनी गजलों से लोगों के दिलों में जगह बनाई ।

ना बस में जिंदगी जिसके,
ना काबू मौत पर जिसका।
मगर इंसान फिर भी कब,
खुदा होने से डरता है ।।

गीतकार उमेश मिश्रा ने मंचीय संचालन करते हुए क्या खूब कहा-

जब भी कोई दर्द लिखूं गीत बन जाए..
लाख चाहे दुश्मनी हो मीत बन जाए..
स्वर मेरी ऐसी कोई विधा दे दो मां…
जो भी लिखूं मैं वही संगीत बन जाए….

छंद,सवैया के कवि विनय शर्मा “दीप ” ने अपने छंदों से लोगों को राधा-कृष्ण के प्रेम रूपी श्रृंगार रस से रसविभोर कर दिया-

छम-छम बजाके पैजनिया चली है वह,
खन-खन कंगना की खनक निराली है ।
फूदक-फूदक पग सखी संग चली जैसे,
मानो सुर-सरिता की धार बहने वाली है।

वरिष्ठ कवि रामप्यारे सिंह रघुवंशी ने तो वर्तमान समय, 20 सदी के बच्चों की हठ को दर्शाते हुए कहते हैं-

मोबाइल में घुस रहे बच्चे अब दिन-रात,
नहीं चाहिए अब उन्हें मम्मी-डैडी
साथ।
मम्मी-डैडी साथ, मोबाइल सबसे
प्यारा,
कार्टून और गेम आज घर-घर में
सारा।
खान-पान,पोइट्री सबकुछ करती
आज मोबाइल,
जाने क्या-क्या नाच नचायेगा कल और मोबाइल…?

गजलों के राजकुमार जाकिर हुसैन रहबर अपने अंदाज़ में कुछ यूँ कह गये-

वो अगर इशक में वादे से मुकर जाएंगे ।
हम भी ये तैय किए बैठे हैं कि मर जाएंगे ।।
नफरतें छोङ कर आवो तो मुहब्बत की तरफ ।
देखना मुल्क के हालात सुधर जाएंगे ।।

भक्ति के रंगों में श्रोताओं को रंगने वाले कवि ओमप्रकाश सिंह ने तो बच्चों के हठिले पन को उकेरते हुए कहा-

पकड के आँचल पप्पू बोला,
नानी के घर चल ना।
पटक के सिर तेरे चौकठ पर
फोड न दूँ तो कहना।

रोज रोज नानी केघर
क्यों जाता है रे मूये।
बूढी नानी पका देती
क्या तुझको मलपुये
नानी नानी कहता रहता,
भूला मम्मी बहना।
पकड़ केआँचल फिर से बोला,
नानी के घर चल ना।

बडा किया है दूध पिलाकर
तुझको पप्पू मैंने
राजभोग भी छोड दिया है
तेरे कारण मैं ने।
पूरा करेगा लाल मेरा
अब तू ही मेरा सपना।
तू कहता है मम्मी मम्मी
नानी के घर चलना।

कवि अनिल शर्मा ने मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में बबलू की पतंग को सराहते हुए पूरे त्योहार के मानक को दर्शाते हुए-

बबलू ने पतंग के
एक एक अंग पे,
कुछ यूं लिखा
भिन्न भिन्न रंग से।

चूड़ा – दही
गट्टा – गट्टी लाई
गुड़ – तिलवा
खिचड़ी पकाई

तेरा दूध
तेरी दवाई
तेरी चाय
सब कुछ है माई,

पापा कहते हैं,
तुमको सब पसंद है,
मां तुम बिन मेरा
हर त्योहार बदरंग है।

प्लीज़ मम्मी
तुम मेरी पतंग पर बैठ जाओ
मैं कभी जाने नहीं दूंगा
बस एक बार आ जाओ।

पापा तुम्हारा
खूब खयाल करते है
तुम्हारे चित्र पर
रोज फूल रखते हैं।

मम्मी! त्योहारों पर
पापा खूब रोते हैं
तेरा नाम लेकर जागते
तेरा नाम लेकर सोते हैं।

आज बुआ जी
कचौड़ी बनाई हैं
पूड़ी भांजी और
खीर भी पकाई है।

मम्मी आज तुमको
ऊपर से आना होगा
पापा को चुप कराकर
मेरे साथ खाना होगा।।

उक्त कवियों के अतिरिक्त कवियत्री लक्ष्मी यादव,रवि यादव, जवाहर लाल निर्झर, त्रिलोचन सिंह अरोरा, कवियत्री आभा दवे,कवियत्री शिल्पा सोनटक्के, कवियत्री आर•जे• आरती सैया हीरांशी,उमाकांत वर्मा, सतीश सामयिक, धनीराम राजभर, बेचनराम बारी, मनोज मैकस,रामजीत गुप्ता एवं नागेन्द्र नाथ गुप्ता ने भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने में कोई कसर नहीं छोडा।कार्यक्रम अध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने सभी कवियों, गजलकारों, गीतकारों की लेखनी को खूब सराहा और उन्होंने कहा मैं भविष्य में साहित्य की गंगा को आगे बढाने में सहायक रहूँगा।

अंत में आयोजक श्री रामजीत गुप्ता ने आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत कवियों के हाथों पुष्पगुच्छ देकर करवाया और आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया ।

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